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माँ ही विधाता है

माँ ही विधाता है

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माँ की ममता ही यहाँ भगवान है
माँ की ममता पर खुदा कुर्बान है |

माँ तपन में छाँव पीपल की घनी
माँ उजाला ज़िंदगी का मान है |

माँ के चरणो में समायी श्रष्टि है
माँ कि ममता ने किया धनवान है

ऋण चुकाया जा नहीं सकता कभी 
इस शख्सियत की ऐसी निराली शान है |

माँ की ममता आसमाँ सी छाँव है
जिसकी छाया चाहता भगवान है |

माँ के दामन में हज़ारों नेमतें 
माँ बिना दुनियाँ लगे वीरान है |

है पिता बल और सम्बल मानते
किन्तु माँ बालक की होती जान है |

नेह की जलधार अविरल बह रही
दु:ख सहती माँ सुखों की खान है |

माँ के चरणो में बसे तीरथ सभी
पर मनुज क्यों जान कर अंजान है |

[ 2 ]

जीवन की अरुणाई माँ है ,
भीनी सी अमराई माँ है ,
त्याग तपस्या की मूरत सी
भावों की गहरायी माँ है |

ज्ञानमयी गीता गंगा है ,
जीवन धन माँ आनन्दा है ,
नरम सुखद सी हरी दूब वह
थकन मिटा दे सुखकन्दा है |

माँ जीवन की एक क्यारी है ,
सदा महकती फुलवारी है ,
घने अभावों की दुनियाँ में ,
सुख दुख की ज़िम्मेदारी है |

नहीं कोई माँ के जैसा है ,
हर उपमा बेइमानी सी है ,
दुनियाँ की सारी दौलत भी ,
माँ के आगे पानी सी है |

माँ फिर आज तिरस्कृत क्यूँ है
इतनी आज उपेक्षित क्यूँ है |
मंजूषा भर गयी दर्द से ,
संतति क्यूँ बौरायी सी है |

[ 3 ]

माँ ! शब्दों से परे ,
एहसास की भाषा है |
माँ ! माथे की सिलवट ,
हर दर्द की दिलासा है |

माँ ! स्नेह की अविरल नदी ,
निश्छल प्रेम की पराकाष्ठा है |
माँ ! दुख सुख में समरस ,
सहनशीलता की परिभाषा है |

माँ ! बनावट से रहित ,
जीवन की सत्यता है |
माँ ! छल कपट से परे,
ईश्वर की उदारता है |

माँ ! संपूर्ण संसार ,
जग की जीवनता है |
माँ ! स्नेह भरी छाँव ,
सुख भरी बरखा है |

माँ आधार ,
गति लय और ताल है |
माँ ! उदार ,
सागर विशाल है |

माँ ! ही सर्वस्व ,
माँ ही परमात्मा है |
कहता है ईश्वर ,
माँ ही विधाता है |

[ 4 ]


शब्द अर्थ मन भाव सभी अहसास प्रेम में पग जाते |
अनुराग भरा उर अंतर में स्नेह प्रीत कण घुल जाते |
जो अपने दर्द छुपा कर भी वात्सल्य लुटाया करती है -
ऐसी ममता के कारण ही हम जीवन का सुख पाते |


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