स्त्री तेरी कहानी
स्त्री तेरी कहानी
स्त्री तेरी कहानी जो कल थी
है वही आज भी
ना बदली तू ना बदली तेरी कहानी
निश्छल, निस्वार्थ, निर्मोही,
भावनाओं में सिमटी आज भी।
ना बदली है दुनिया की सोच
तेरे लिए
देनी पड़ती है दुहाई
तेरे सम्मान की आज भी।
प्यार किया किसी ने तो
सारी इज़्ज़त तेरे नाम
नफरत किया किसी ने तो
सारी ज़िल्लत तेरे नाम।
नहीं है तेरी ज़िन्दगी पे
हक़ तेरा आज भी
तेरी ज़िन्दगी के बदलते हैं
हक़दार आज भी।
बस औरत है तू
और नहीं कोई वजूद तेरा
ना तुझे समझा किसी ने
आज तक ना समझना चाहता है
कोई आज भी।
है अगर बदलनी
खुद की ये कहानी तो
मुर्दे अरमानों को ज़िन्दा कर
कर हिम्मत और
सपनों को पूरा कर।
है साहस अगर
खुद को तोड़ देने का
तो दिखा साहस
खुद को जोड़ देने का।
ले ज़िम्मेदारी और बदल दे
तेरी वो कहानी
सफल है जो शायर की शायरी में
हक़ीक़त में जो सफल नहीं आज भी।