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Dr. Akansha Rupa chachra

Inspirational

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Dr. Akansha Rupa chachra

Inspirational

भीनी मुस्कुराहट

भीनी मुस्कुराहट

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गर चाहते हो अपना भला,

तो सीखो,मुस्कुराने की कला।


मुस्कुराहट जिंदगी है,

मुस्कुराहट है बन्दगी।

मुस्कुरा के ही सदा हम,

जीत सकते जंग भी।।


देखते हो यदि गमों को,

तो दिखेगा केवल अंधेरा।

और दिखेगी रात ही बस,

दिख न पायेगा सवेरा।।


पर चाहिये हमें उजाला,

पग पग कदम बढ़ाने को।

दिखना चाहिए पंथ हमें

अपनी मंजिल पाने को।।


क्या अंधेरों ने कभो,

दिखलायी है स्वर्ण किरण।

क्या तारों और चन्द्र बिना ,

भली लगी है रात एक क्षण।।


तो फिर क्यों न समझें हम,

उजियारे की बात भला।

यही उजाला मन में आकर,

सिखला जाता मुस्काने की कला।।


मुस्कान भरा एक चेहरा देख,

नन्हा बालक मुस्का देता।

और कहीं एक व्यथित हृदय भी,

थोड़ी सी खुशियाँ पा लेता।।


एक नन्हे से पौधे को ,

जब प्यार हमारा मिल जाता।

मुरझाया सा उसका मन भी,

हौले हौले खिल जाता।।


गम तो जीवन का हिस्सा है,

उसको तो आते रहना है।

ज्यों गुलाब के संग हों कांटे,

फिर उससे क्यों हमें डरना है।


गम तो फैला हर कोने में,

हर घर में,हर आँगन में।

पर देखो कहीं न बसने पाये,

अपने तन ,मन, जीवन में।।


अतः हटाने गम को दूर,

और बसाने हेतु उजाला।

भुला कर सब कुछ स्वपनों जैसा,

सीखो अब मुस्काने की कला।।



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