प्यार की छांह से
प्यार की छांह से
ढंक लिया संसार अपना मैने तुम्हारी बांह से।
जल उठे नयनों के दीपक प्यार की इस छाँह से।
पंखुरी बन फूल की हंसने लगे सपने मेरे
छुप की मेरी आंख में तुम नींद बन जगने लगे।
ढूबती गई स्नेह - जल में मिल न पायी थाह से
जल उठे नयनों के दीपक प्यार की इस छाँह से।
नाम सुनकर ही तुम्हारा चल उठे ठंडी पवन
प्यार का सिंगार करके खिल उठे धरती - गगन।
जिस तरफ देखो नज़ारे भीगे तुम्हारी चाह से
जल उठे नयनों के दीपक प्यार की इस छाँह से।
ढक लिया - - - - -