कुछ अनकही बातें
कुछ अनकही बातें
ढेर सारी अनकही बातें
पड़ी है अंदर दिल की संदूक में
मन के ज़ख्मों पर समझो
यही बातें मरहम लगाती है
नसीब साथ उसका ही देता है
जाे बिना झिझक बात कह देता है
दुविधा में जो फंसा वो वैसे ही रह जाता है
हर वो बात उसकी अनकही हो जाती है
घुटन महसूस करने से तो
बोल देना हमेशा अच्छा होता है
बोझ के तले दबे रहने से तो
साफ दिल से कहना अच्छा होता है...