सुखद स्वप्न
सुखद स्वप्न
उड़ जाऊँ उस नील गगन में,
कुछ लहराकर कुछ बलखाकर।
दूर देश की सैर पे जाऊँ,
मैं चिड़ियों - सा पंख लगाकर ।
.....
[ शेष फिर। ]
उड़ जाऊँ उस नील गगन में,
कुछ लहराकर कुछ बलखाकर।
दूर देश की सैर पे जाऊँ,
मैं चिड़ियों - सा पंख लगाकर ।
.....
[ शेष फिर। ]