SHAKTI RAO MANI

Drama

3  

SHAKTI RAO MANI

Drama

यूके ०८ डी २०४२ एक अनसुलझा रहस्य

यूके ०८ डी २०४२ एक अनसुलझा रहस्य

20 mins
234


समय 

२०३८

आधुनिक हरिद्वार

८ दिसंबर २०३८

स्नेहा आंटी:- शायद आज ही वो तारीख है जब जया स्नेहा को समय भवर में फसा देगी…? मुझे जल्दी जाना होगा ।

………….

ऑफिसर रिसो:- रुद्र आज पांच दिन हो गए है, शांतनु की मौत का कोई सबूत नहीं मिला .. ?????

रुद्र:- २ दिसंबर को शांतनु की लाश हरिद्वार मेट्रो में मिली, फिर 8 दिसंबर की शाम को स्नेहा आंटी और जया की लाश मिली,उसी दिन से स्नेहा भी गायब है।

रीसो:- हमे बस स्नेहा का पता लगाना है ,ये केस सॉल्व हो जाएगा।

रुद्र:- तुम्हे याद है जब हम जया के फोन को चैक कर रहे थे उसमें एक डॉक्यूमेंट था जिसमें सिर्फ युके 08 डी २०४२ लिखा था।

रीसो:- तो……????? मतलब मुझे कुछ समझ नहीं आया।

रूद्र:- यार! भाई ऐसे गाड़ियों के नंबर का रजिस्ट्रेशन २०२६ के बाद नहीं हुआ ।और आजकल इस टाइप की गाड़ियां, खासकर पेट्रोल की गाड़ियां ज्यादा यूज नहीं होती है ???


(कुसुम घाटी ०९ दिसम्बर २०१९ राजाजी नेशनल पार्क )

 

विश्वास: अशोक समय क्या हुआ है.

अशोक: सर ९:१५ मिनट हुए हुए है पर अभी ४५ मिनट है १० बजने में.

विश्वास: अशोक इधर आओ.

अशोक : क्या सर .... ... सर! यह तो मर गया, पर है कौन?

विश्वास: मुझे कैसे पता होगा.

(विश्वास पुलिस को कॉल लगता है.)

विश्वास: हेल्लो, पुलिस स्टेशन , मैं राजा जी नेशनल पार्क से फारेस्ट रेंजर विश्वास बात कर रहा हूँ, यहाँ कुसुम घाटी में एक लाश है. जल्दी आईये !

(पुलिस वहा आती है और विश्वास जी से पूछताछ करती है और लाश की जाँच करती है तभी आवाज आती है)

श्याम: इसके हाथ में एक कागज है और पर्स में कुछ IDकार्ड.

जय: श्याम जी आईडी में पता देखो.

श्याम: सर ये तो कनखल हरिद्वार का रहने वाला है.

जय: उसके हाथ में जो कागज है उसे खोलो............ नालायक तुम्हारे ग्लव्स कहा पर है .

(श्याम कागज खोलता है )

श्याम : इसमें लिखा है यूके ०८ डी २०४२ ?

जय: इसकी हालत एक्सीडेंट की लग रही है, इस घाटी में एसा कांड तो हो नहीं सकता मतलब यह मर्डर केस है, जल्दी रिपोर्ट तैयार करो.

श्याम : जी सर.

(अगले दिन पुलिस कनखल पहुँचती है )

जय: अरे! श्याम, पुरे घर में ताला लगा हुआ है, पता करो कहा है घर के लोग.

(श्याम जाता है और पड़ोसियों से पता करता है, पता चलता है की घर में तीन लोग रहते है, उर्वशी,कुलेंद्र और उसकी ६ साल की बेटी स्नेहा, पड़ोसियों से पता चला की ये तीनो ०८ दिसम्बर की सुबह अपनी नानी के घर सुल्तानपुर गए हुए है. इतनी जानकारी लेकर पुलिस वह से चली जाती है )

जय : यार! ०८ की रात को मर्डर हुआ, लाश अगले दिन कुसुम घाटी में मिलती है, बाकी २ कहा है ?

श्याम: सर सुल्तापुर चले ?

जय :मुझे पहले यह बताओ की और कोई सबूत मिले.

श्याम : हा! वो कागज जिसमे यूके ०८ डी २०४२ लिखा था और कुछ होटल्स के कार्ड.

जय: तुम पता करवाओ की यहाँ नंबर किसकी गाड़ी का है, कुछ तो है जो ये यह नंबर लेकर घूम रहा था,और वो कार्ड कौन से होटल का है.

श्याम: स्पॉट ओन ४००५७ और जीवन उत्सव रिसोर्ट.

जय : सब-इंस्पेक्टर राजीव को बुलाओ.

(राजीव वहा आता है )

राजीव : सर! क्या काम था.

जय : तुम मेरे साथ एक केस देखो, तुम स्पॉट ओन ४००५७ जाओ और इस मरे हुए व्यक्ति की जानकारी लो.

(राजीव जाता है और केस को हैंडल करता है, राजीव देर न करते हुए स्पॉट ओन ४००५७ जाता है,,

वही दूसरी और जय जीवन उत्सव रिसोर्ट जाते है और कुलेंद्र की जानकारी लेते है. 

पता चलता है की, कुलेंद्र उस रिसोर्ट में आखरी बार ७ दिसम्बर की शाम को एक सुनैना नाम की लडकी के साथ आया और सुबह ८ बजे चला गया था.)

जय: क्या वो गाड़ी में आये थे या फिर अकेले.

रिसोर्ट का मालिक: शायद लड़की के पास कार थी.

(जय ने सीसीटीवी कैमरा से गाड़ी का नंबर लिया और चेक किया गाड़ी का नंबर था युके०८ सी १४१२, जो लाश के साथ मिले टुकड़े से मेल नहीं खा रहे थे.)

जय: श्याम सुनैना का पता हमे मिल चूका है,इससे पूछताछ के लिए वारेंट तैयार करो.

(जय और श्याम राजीव का इंतज़ार करते है, तभी कुछ देर बाद राजीव कांस्टेबल विजय के साथ आता है )

राजीव : सर! उस रिसोर्ट में कुलेंद्र नहीं गया, ना ही यह नंबर किसी गाड़ी का है मतलब ऐसा नंबर से कोई गाड़ी है ही नहीं।

जय : उस रिसोर्ट में कूलेंद्र की जानकारी नहीं परंतु उसके हाथ में वहां का विजिटिंग कार्ड था, और ये गाड़ी का नंबर एक्जिस्ट भी नहीं करता?

राजीव: सर लाश को मिले दो दिन हो गए है और हम लोगो ने घर में जानकारी भी दी है पर अभी तक कोई आया नहीं?

जययही तो अजीब बात है कोई घर वाला नहीं आया। श्याम तुम गाड़ी निकालो आज सुल्तानपुर चलते है।

(जय राजीव और श्याम जा रहे होते हैं, तभी एक लड़की वह आती है और कहती है, सर में उर्वशी हूं,मुझे पड़ोसियों से पता चला कि पुलिस स्टेशन बुलाया है।)

जय: जी कुसुम घाटी में आपके पति की लाश मिली है।

(उर्वशी बस देखती है और आंसू छलकते है।)

उर्वशी: कब?

राजीव: 8 तारीख को।

उर्वशी: उस दिन तो स्नेहा का जन्मदिन था, और कुलेद्र 5 दिसंबर से रोड कंस्ट्रक्शन के काम से जेईई इंजिनियर कि मीटिंग में थे और 8 तारीख की शाम को वापस घर आने वाले थे। तभी उनकी असिस्टेंट सुनैना की कॉल आती है कि कुलेंद्र आज नहीं आ पाएंगे. मेरी सुनैना से बहुत झड़प हुई। इसलिए उस दिन गुस्से में मैं अपने मायके चली गई। ये सुनैना ही होगी कातिल।

जय: आप शांत हो जाए इतना बताए की कुलेंद्र का किसी से झगड़ा,दुश्मनी थी?

उर्वशी: नहीं वो लोगो से ज्यादा मतलब नहीं रखते थे।

( पुलिस उर्वशी को दिलासा देते है कि वो कातिल को जल्द ही पकड़ लेंगे, और उर्वशी वहां से चली जाती है)

जय: सुनैना के पास जाना जी होगा, राजीव मैं चाहता हूं कि तुम वहां जाओ।

(राजीव सुनैना की जानकारी निकाल सुनैना के घर जाता है ,राजीव ने देखा कि उसके रूम पे ताला लगा है,राजीव ने मकान मलिक से सुनैना के घर की चाबी ली, और उसके रूम में जाता है। अंदर जाते ही राजीव ने देखा कि रूम में सब सामान बिखरा हुआ है,टेबल पे एक मोबाइल पड़ा है ,राजीव उस मोबाइल को चैक करता है।)

राजीव: हैलो जय सर! यह एक मोबाइल मिला है, जिसमें कूलेंद्र का एक मैसेज है जिसमें लिखा है यूके 08 डी २०४२ हैलो…. हैलो…? (कॉल कट जाती है)

राजीव: ये पावडर का पाऊच कैसा है इस पर कृष्णा कॉटेज शाहपुर का ऐड्रेस लिखा है,यह बहुत सारे पैकेट है, ये ड्रग लग रही है।

(राजीव सुनैना के घर से बाहर निकलता  और जय को कॉल करके जानकारी देता है कि यह पर बहुत से पाउडर के पाउच है जो एक बैंग में पैक है जिसमें कृष्णा कॉटेज का ऐड्रेस है, राजीव जाता है और उस पाउडर के सैंपल को लैब में देकर आता है कुछ घंटो बाद लैब से पता चलता है कि यह ऑक्सीटोसिन  नाम कि दवाई है जिसका पाउडर बना दिया गया है। राजीव ये बात जय को बताता है ।)

(जय राजीव कि बात सुनकर खामोश हो जाता है और राजीव को सीधे सुल्तानपुर आने को कहता है जहां उर्वशी का मायका है। जय कॉल काटता है और घबरा जाता है।)

जय: श्याम, इस केस की जितनी भी फाइल तैयार हुई है सब इक्कठा करके गाड़ी में डाल दो.

जय(फ़ोन मिलाता है ): हेल्लो राजगुरु जी मैं इंस्पेक्टर जय बोल रहा हूँ.

राजगुरु: हा जय आज कैसे याद किया तुमने कोई बात है क्या ?

जय: गुरु जी एक बात पूछनी थी आपसे, आपके धंधे में कोई कुलेंद्र और सुनैना है ?

राजगुरु: हां ये तो खास बंधे है हमारे.

जय : सर कुलेंद्र का मर्डर हो गया है . और हम इस केस को लेकर आगे बढ़ चुके है.

राजगुरु : मैं तुम्हे बताने ही वाला था की कुलेंद्र को मैंने ही मरवाया है,मेरे खास फारेस्ट रेंजरस ने मुझे जानकारी दी थी की कुलेंद्र यहाँ धंधा छोड़ कर अपने बिज़नस पर ध्यान दे रहा है मुझे डर था की वो पोल न खोल दे.इसलिए मैंने उसे घटी में मरवा दिया.,जय तुम यह केस अपने हिसाब से देख लो,मैं तुम्हारे अकाउंट में पैसे ट्रान्सफर कर देता हु , उन दोनों रेंजर को भी कुछ दे देना .

जय :  श्याम,गाड़ी में सारे पेपर रखो और कुसुम घाटी चलो.

 श्याम : क्या हुआ सर .

जय :  यहाँ केस क्लोज करना होगा.

श्याम :  राजीव सर को क्या कहेंगे.

जय : उसे भी पैसे दे देंगे.

(जय और श्याम कुसुम घाटी पहुँचते है, पता चलता है अशोक और विश्वास वह नहीं है, उधर राजीव थका हुआ अपने घर जाकर केस के बारे में सोचता है, की ०८ दिसम्बर की रात को हुआ क्या ? क्यूंकि सुनैना का सामान ऐसे बिखरा हुआ हो मानो किसी के साथ लड़ाई हुई हो,उर्वशी अपने घर में न रह कर अपने मायके रह रही थी. मतलब उर्वशी भी कुछ छुपा रही है.)

जय :  हेल्लो राजीव तुम सीधा कल पुलिस स्टेशन आना केस हमारे अंडर मे नहीं रहा अब.

(जय को पता चलता है की अशोक ओपर विश्वास उस ०९ तारीख को रिपोर्टिंग देने नहीं आये तभी से वो गायब है और घर भी नहीं गए.)

जय: हेल्लो गुरु जी, आपके दोनों रेंजर तो उसी दिन से गायब है.

राजगुरु: क्या ? सुनैना भी उसी दिन से फ़ोन नहीं उठा रही है आखिर ये तीनो गायब हुए कहा..जय तुम पता करो ये तीनो धोखा तो नहीं दे रहे है न.

जय :आप निश्चिंत रहे पहले कुलेंद्र की पत्नी का कुछ करते है.

राजगुरु : तुम कुछ भी करो पर इस खबर को बाहर न जाने दो.खासकर ऑक्सीटोसिन की खबर को.

जय: जी गुरूजी.

(अगले दिन राजीव पुलिस स्टेशन आता है तभी जय भी आ जाता है)

जय: देखो राजीव हमे यहाँ केस बंद करना होगा क्यूंकि इसमें महाजनों का नाम आ रहा है,जो इस केस को बंद करवाना चाहते है

राजीव : परन्तु यहाँ केस बहुत अजीब है,सुनैना गायब है, उर्वशी भी बहुत कुछ छुपा रही है ,यहाँ सिर्फ मर्डर केस नहीं है, और मैं यह केस नहीं छोड़ने वाला हूँ.

जय: एक काम करो तुम कल मतलब १३ दिसम्बर को उर्वशी के मायके जाओ उससे उगलवाओ की उसने सुनैना से क्या-क्या बातें की थी.और ऑक्सीटोसिन के बारे मैं क्या जानती है, तब तक श्याम और मैं महाजनों से मिलकर आते है.

राजीव : जैसा आप ठीक समझे.

(जय और श्याम निकल जाते है, कुछ देर बाद राजीव भी गाड़ी लेकर कनखल उर्वशी के घर निकल जाता हैजो बंद पड़ा था,राजीव उर्वशी का घर खुलवाता है और अंदर जाता है. उर्वशी की लगी फोटो देखकर राजीव चोक जाता है.इसी बीच राजीव और श्याम उर्वशी के मायके सुल्तानपुर जाते हैजय दरवाजा खटखटाता है, एक लड़का दरवाजा खोलता है जिसकी उम्र २० रही होगी .)

जय: क्या यहाँ उर्वशी का घर है?

लड़का: जी हां..... आपको जीजाजी और दीदी मिल गए क्या?

जय और श्याम एक दुसरे को देखते हुए: तुम्हारी दीदी कहा है,वो हमारे पास कल आई थी.

लड़का: नहीं एसा नहीं हो सकता,दीदी मेरे पास बस ८ दिसम्बर की सुभ को आई थी, रो रही थी कह रही थी की कुलेंद्र ने जिन्दगी बर्बाद कर दी है.फिर वो दिन में चली गयी थी,तबसे उनका फ़ोन भी बंद है,उनके घर पर भी ताला लगा है इसलिए मैंने कनखल पुलिस स्टेशन में एफ. आई . आर. लिखवा दी थी.

जय : तुम्हारी दीदी कल हमारे पास आई थी..... खेर जाने दो.. तुम्हारे पास कोई तस्वीर है क्या उर्वशी की?

(श्याम मोबाइल से तस्वीर ले रहा होता है तभी जय कहता है, श्याम हमे कल कृष्णा कॉटेज जाना होगा.)

जय : तुम्हारा नाम क्या है ?

लड़का : शांतनु.

जय:  शांतनु तुम्हे खबर नहीं की तुम्हारे जीजाजी की हत्या हो चुकी है.

शांतनु:  नहीं सर...., आप क्या कह रहे है, पर ये सब हुआ कब, आप लोगो ने बताया क्यूँ नहीं.

जय :  तुम्हारे घर कांस्टेबल द्वारा खबर आई होगी.

शांतनु: यहाँ कोई नहीं आया सर.

(श्याम और जय एक दुसरे का मुह देख रहे होते है)

जय:श्याम, उस कांस्टेबल को कॉल मिलाओ जिसे यहाँ ये खबर पहुंचानी थी.. ये सब चल क्या रह है..

(श्याम कॉल मिला रहा होता है परन्तु फ़ोन बंद बताता है.फ़ोन मिलाते मिलाते जय और श्याम गाडी में बैठ के वापस स्टेशन जाते है)

जय: श्याम, वो फोटो दिखाओ. यार... अगर ये उर्वशी है तो वो..... वो कौन थी जो हमारे पास आई थी.. सब गड़बड़ हो गयी.....लापरवाही कर दी हमने इस केस में.....

(जय और श्याम पुलिस स्टेशन पहुचते है तभी राजीव भी आ जाता है.राजीव बताता है की उसने उर्वशी के घर की तलाशी ली जहा ऑक्सीटोसिन के पैकेट मिले है और एक नोटबुक के पेज पर लिखा था यूके ०८ डी २०४२. )

राजीव:  कुछ बात समझ नहीं आई, सुनैना के पास भी पैकेट मिले और उर्वशी के पास भी.और ये गाडी का नंबर रिपीट हुआ मतलब ये कोई कोड या डुप्लीकेट नंबर है जिसकी वजह से ये लोग इस ड्रग का लेन देन करते हो?

जय: शायद तुम सही कह रहे हो...

राजीव: मजेदार बात तो यह है की जो उस दिन अपने आप को उर्वशी बता रहीं थी शायद उर्वशी नहीं है.क्यूंकि इसके घर में जो फोटो थी वो बिलकुल ही अलग है..और उसकी बच्ची किधर है?.

जय: वो अपने मामा शांतनु के घर है. श्याम,.. राजीव को फोटो दिखाओ जो शांतनु ने तुम्हे दी है.

श्याम: देखिये सर, क्या यही फोटो है न उर्वशी की.

राजीव : नहीं ये भी नहीं. ये कौन है ?

जय: यही तो है उर्वशी...

राजीव:  नहीं सर ये नहीं है, उर्वशी के घर में जो फोटो है.वो यह नहीं है.

जय : ये फोटो हमे उसके भाई ने ही दी है

राजीव: तब तो उसका भाई झूठ बोल रहा है,उसे पकड़ना होगा वो उर्वशी को छुपा रहा है मुझे अब उर्वशी पर शक हो रहा है. इसी ने मारा होगा कुलेंद्र को, शायद कुलेंद्र को पता चल गया होगा की उसकी वाइफ ड्रग का धंधा करती है.

(शाम हो जाती है सब मिलके सोच रहे होते है की कल कैसे शांतनु को पकडे,तभी जय के फ़ोन पर एक फ़ोन आता है.....)

जय:  हेल्लो कौन?

(हेल्लो मैं सुनैना बोल रही हूँ, सर आप कृष्णा कॉटेज आ जाइये वरना ये उर्वशी मुझे मार डालेगी.)

जय: आप घबराओ नहीं, ये बताओ की अभी उर्वशी कहा है.

सुनैना: मेरे सामने है.........?

जय: राजीव तुम और श्याम फटाफट शांतनु को जाकर पकड़ो मैं कृष्णा कॉटेज जा रहा हूँ

राजीव: ठीक है सर!

(रात के ०८ बज चुके और राजीव और श्याम सुल्तानपुर जाते है, जय कृष्णा कॉटेज के लिए निकल जाता है.)

जय कृष्णा कॉटेज के अंदर जाता है तो देखता है वह देखता है की वह दो लाश है.जय अपनी बन्दुक निकालता है,और इधर उधर देख रहा होता है वो देखता है की जो फोटो राजीव ने दिखाई थी उर्वशी की वो मरी हुई है मतलब उर्वशी मर चुकी है.उर्वशी के गोली लगी होती है,दूसरी तरफ एक और लड़की की लाश थी जिसका शरीर नीला पड़ चूका था.

जय:  इसे जहर से मारा है, और ये गोली लगने से मरी है,जो जहर से मरी है उसके हाथ में बन्दुक है.मतलब इसने उर्वशी को मारा परन्तु इन लाशो से बदबू आ रही है,इनकी मौत को ३-४ दिन हो गये है.तो फ़ोन किसने किया ?

(तभी पीछे से एक रोड जय के सर पर लगती है और वही रोड दूसरी बार उसके पीठ में घुसती हुई पेट से बहार निकलती है.

)

(दूसरी तरफ राजीव और जय शांतनु के घर जा रहे होते है तभी श्याम कहता है.)

श्याम : सर सुनैना के पास सर का नंबर कहा से आया......?

राजीव और श्याम एक दुसरे को देखते है और श्याम तेज़ी से गाड़ी को मोड़ता है और कहता है. हम लोग शांतनु को अपना नंबर देकर आये थे मतलब सब चाल है,राजीव जय को फ़ोन लगाता है,जय फ़ोन नहीं उठाता है.

राजीव : श्याम, सीधा कृष्णा कॉटेज चलो कुछ तो हुआ है.

(श्याम और राजीव बैकअप के लिये फटाफट से वह जाते है श्याम अपनी रायफल और राजीव अपनी बन्दुक निकल कर सतर्क हो जाते है.राजीव देखता है की वह तीन लाशे है जिनमे से एक जय की लाश थी.जय के पीठ में एक सरिया घुसा रहता है . तभी दूसरी तरफ एक रफ़्तार से आता सरिया सीधा श्याम के गले के आर पार हो जाता है और वो मर जाता है इतने में राजीव छुप जाता है क्यूंकि वार बहुत दूर से एक सटीक निशाने से हुआ मतलब कोई देख रहा है राजीव दोड़ता हुआ जाता है तब तक एक सरिया राजीव के हाथ पर लगता है जिससे उसकी बन्दुक गिर जाती है राजीव देखता है की यह तो शांतनु है उसकी शांतनु से हाथापाई होती है इतने में शांतनु राजीव के पैर में एक सरिया मारता है जिससे राजीव घायल हो जाता है जिससे राजीव आगे बढ़ नहीं पाता है, तभी शांतनु दूसरा सरिया उसके पेट में आधा घुसा देता है.) 

राजीव: तुमने ही सबका खून किया है,और तुम ही ऑक्सीटोसिन से कुछ गलत कर रहे हो.

शांतनु:- राजीव सर! आप तो गलत ही फस गए इस केस में । मरना तो जय और श्याम को था…. खेर कोई बात नहीं।

राजीव:- पर तुमने इन सब को क्यूं मारा।

शांतनु:- मैंने बस जय,श्याम और उन दो फॉरेस्ट रेंजर्स को मारा था।

राजीव:- तो इन तीनों को किसने मारा ।

शांतनु:- तुम्हे कहानी सुनाता हूं तब तक जिंदा रहना। 4 दिसंबर को उर्वशी दीदी मेरे घर आयी थी,रो रही थी ,कह रही थी कि कुलेंद्र ने जिंदगी बर्बाद कर दी है,वो सही व्यक्ति नहीं है स्नेहा की जिंदगी भी खतरे में है।

उर्वशी:- मुझे कुलेंद्र पर शक था कि इनका किसी के साथ चक्कर चल रहा है, तो मैने इनके व्हाट्सएप मैसेज चेक करने लगी । ये किसी सुनैना नाम की लडकी से बहुत बातें करते थे और कॉल भी।

पर ये दोनों बहुत अजीब बातें करते थे जैसे गाड़ियों के नंबर युके १२ जे २०४२, युके ३१ एफ २०४२, इन सब में २०४२ कॉमन रहता। इनकी कॉल रिकॉर्डिंग से पता चला कि ये किसी दवाई की डीलिंग करते है,जिनसे लड़कियों का देह व्यापार किया करते थे। ये बहुत बड़ा स्कैम था ,मैंने कुलेंद्र को फॉलो करना शुरू किया,मुझे बहुत खबर पता चल गई थी,इनका कोई चक्कर नहीं चल रहा था बल्कि ये तो बहुत ही ज्यादा गलत कामो में थे। सुनैना और कुलेंद्र किसी के कहने पर ये सब करते थे,इनका खुद का एस्कॉर्ट था,ये लोग कुछ नंबर लेकर दवाई का बैग भेजा करते थे, इनमें कुछ लड़के शामिल थे. लड़कियों को फसा कर या गर्लफ्रेंड बना कर उनका विश्वास जीत कर उन्हें ये दवाई वायग्रा की तरह या किसी भी बहाने से खिलाते थे। मैंने पता किया कि ये कोई ऑक्सीटोसिन नाम की दवाई है जिसका पाउडर ये लोग बनाते थे इस पर सरकार ने बेन लगाया हुआ है ये चाइल्ड बर्थ या गाय भेसो में दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए इस दवा को देते थे ।पर इस दवाई को बाद में बंद करवा दिया गया था। जब कोई इंसान खासकर लड़कियां इसका सेवन करती थी तो ये दवाई एस्ट्रोजेन को बहुत ज्यादा एक्टिव कर देता था जिससे लड़कियों में काम उतेजना कंट्रोल में नहीं रहती है और यह समय से पहले ही शारीरिक बदलाव करता था जिससे लडकिया बहुत तेज़ी से बढ़ती थी ये दवाई सेक्स हार्मोन को जबरदस्ती एक्टिवेट करके रखता है । इनके ग्रुप में बहुत से लड़के थे जिनके पास गर्लफ्रेंड थी वो किसी भी तरह इस दवा को देकर उन्हें इसका आदि बना देते ओर लड़कियों को इसकी भनक भी ना लगती और धीरे धीरे ये लड़कियों को इस काम के लिए मना भी लेते थे क्यूंकि ऑक्सीटोसिन पूरे ब्रेन सिस्टम पे बहुत बुरा असर करता है जिससे तनाव बहुत ज्यादा होता है यह दवा एक जहर थी । कुलेंद् इन दवाइयों का पैकेट बना कर रख देते थे और कोई जब लेने आता तो ये सुनैना को ये पैकेट देते । सुनैना सारी डील कृष्णा कॉटेज में ही किया करती है । यह सब जानने के बाद मैंने कुलेंद से इस बारे में बात की ,पहले तो वो अनजान बने रहे। फिर उन्होंने सब कुछ बताया।

कुलेंद्र:- इसमें पैसा ही पैसा है ।

उर्वशी:- शर्म बेच के खा गए हो क्या,किस तरह का काम कर रहे हो ,तुम १५००० की नौकरी ही करो वो ही सही है मुझे या स्नेहा को नहीं चाहिए ये पैसे ।

कुलेंद्र:- ये काम रुक नहीं जाएगा, उर्वशी लोग इससे ज्यादा गलत काम करते है ।

उर्वशी:- एक दिन तुम स्नेहा को भी बर्बाद कर दोगे।

कुलेंद्र:- वो मेरी बच्ची है, मैं उसके साथ ऐसा नहीं करूंगा।

उर्वशी:- तो क्या हुआ जब तुम दूसरों को सम्मोहित कर सकते हो तो इसमें भी देर नहीं करोगे।

(उर्वशी और कुलेंद्र दोनों की आंखों में आंसू आ जाते है उर्वशी पुलिस की धमकी देती कुलेंद्र माफी मांगता है ,उर्वशी मन ही मन सोचने लगी की इन सबका कारण सुनैना है ओर उर्वशी सुनैना को मारने की सोचती है वहीं कुलेंद्र सोचता है कि मुझे यह सब छोड़ देना चाहिए).

शांतनु:-  उसके बाद दीदी और मैंने सुनैना को मारने का प्लान बना लिया था।हमने सुनैना को कॉल लगाई,दीदी ने उससे बात की।

उर्वशी:-  हैलो मैं उर्मिला खत्री बोल रही हूं और आपका नंबर मुझे कुलेंद्र ने दिया है ।

(सुनैना ने  पहले बहुत पूछताछ की फिर  उसने बताया कि हम लड़कियों के साथ कभी जबरदस्ती नहीं करते या जबरन नहीं पकड़ते है,बल्कि उन्हें सम्मोहित करते है को वो ये दवाई ले, जैसे ही वो इस दवाई की आदि हो जाएंगी वो और कामो उतेजित होंगी उनका व्यापार करना आसान होगा और मैनुपुलेट करना भी आसान होगा इसके लिए आपको एक लड़के की जरूरत होगी जो एक बॉयफ्रेंड का कार्य करेगा। इसके बाद हम आपसे लगातार डील करेंगे।)

उर्वशी ने सुनैना को बताया की हमारे पास पहले से एक लड़की है जो अपने मन से यह कार्य करना चाहती है बस हमे इस दवाई की जरुरत उसके शारीरिक रूप में बदलाव के लिए लेनी है.सुनैना यहाँ बात समझ गयी उसने उसे कोड दिया यूके ०८ डी २०४२ उर्वशी ने इस कोड का मतलब पूछा तो उसने कहा की मिलने पर बताती हु.तुम इस कोड को बताकर ही दवाई ले सकती हो.उर्वशी ने डील कर ली

शांतनु:- हम अब तैयारी कर रहे थे, की सुनैना को कैसे मारा जाए।

5 दिसंबर को कुलेंद्र बाहर निकाल गए उर्वशी ने देखा कि कुलेंद्र के पास 5-6 पैकेट है जिसमें से युके 08 डी २०४२ का पैकेट भी था, उनके पास ये पैकेट कहा से आ रहे थे हमे पता नहीं पर पैसों का सारा खेल कुलेंद्र करता था।

(शांतनु रोज कृष्णा कॉटेज जाता ओर छुपके से देखता कि आखिर सुनैना डील कैसे करती है उसने देखा कि डील से पहले सुनैना क्लाइंट को रानीपुर मैक्डोनल्ड में मिलती थी वो सिर्फ बर्गर और कोल्ड ड्रिंक ही ऑर्डर करते थे । प्लेन यह था कि कोल्ड ड्रिंक के जरिए सुनैना को मारा जाए। ) 

शांतनु:- दीदी ने मुझे जीजाजी का पीछा करने के लिए कहा, मैंने ऐसा ही किया वो 5 दिसंबर को उत्सव रिसोर्ट में थे तो मैंने स्पॉट ओन रिसोर्ट में रूम लिया मैं उन्हें रोज फॉरेस्ट रेंजर ओर सुनैना के साथ देखता था।

( ८ दिसंबर की शाम को शांतनु उर्वशी को कॉल लगाता है।ओर कहता है कि सुनैना यह से निकाल चुकी है)

उर्वशी:- हाँ मुझे भी अभी सुनैना का कॉल आया कि 7 बजे रानीपुर मैक्डोनल्ड में मिले।

शांतनु:- मैं जीजा जी का पीछा कर रहा हूं, ये कुसुम घाटी जा रहे है।

( उर्वशी सुनैना से ७ बजे मिली, उर्वशी ने प्लान सेट किया हुआ था की कोई एक लड़का उसकी कार पर कचरा फेकेगा, सुनैना कोल्ड ड्रिंक मंगाती है.उर्वशी कहती है )

उर्वशी:  शायद आपकी कार पर कोई कचरा फेक रहा है और कुछ कर रहा है.

(सुनैना जाती है और देख कर आती है,मोका देख उर्वशी,सुनैना की कोल्ड ड्रिंक में जहर मिला देती है,सुनैना अंदर आती है और दोनों कोल्ड ड्रिंक पीते है,उसके बाद दोनों कृष्णा कॉटेज चले जाते हैं.)

शांतनु कुसुम घाटी में जीजा जी के पीछे जाता है.

शांतनु: रात के ८ बज चुके थे,वह कुछ फारेस्ट रेंजर और जीजा जी कुछ बातें कर रहे थे, मैंने सुना की जीजा जी कह रहे थे की वो यह काम छोड़ देंगे,दोनों रेंजर किसी से फ़ोन पर बात कर रहे होते है,जीजा जी और वो दोनों रेंजर खड़े खड़े पि रहे थे.तभी ८:३५ पर उर्वशी दीदी का कॉल आता है.

उर्वशी: हेल्लो भाई मैंने सुनैना को सब बता दिया है वो घबरा रही है और उसका मन अजीब भी हो रहा है.मैं तुझे घर मिलती हु.

शांतनु: उर्वशी वह से जा रही होती है तभी सुनैना कहती है कि मैं अभी मरी नहीं हूं।तुमने जहर दिया है पर असर अभी कम हैं, २०४२ मतलब ८:४२ मिनट पर हम क्लाइंट को पैकेट देते है,सुनैना कुलेंद्र को कॉल करती है कि तुम्हारी वाइफ ही युके 08 डी २०४२ है,कुलेंद्र घबरा जाता है,वो दो फॉरेस्ट रेंजर उसकी बातें सुन रहे होते है,सुनैना कहती है कि उर्मिला खत्री मतलब यूके, आज तारीख है 8 दिसंबर मतलब 8 डी को 8:४२ मिनट पर डील डॉन होगी। 8:४२ मिनट पर सुनैना उर्वशी को गोली मार देती है,इधर वो दो रेंजर भी जीजा जी को मारना शुरू कर देते है ओर अपनी रेंजर कार से उन्हें कुचल देते है, उनके जाने के बाद में अपने जीजा जी के पास जाता हूं, मेरी आंखो में आंसू थे वो अभी जिंदा थे ,पर मैंने उन्हें वहीं छोड़ दिया।

9 दिसंबर को दोनों रेंजर्स पुलिस को कॉल करके बुलाती है,पुलिस के वह से जाने के बाद दोनों को अकेला देख, भालों को उनके पेट में घुसा देता हूं,

ओह मै बताना भूल गया कि मैं निशानेबाजी और भाला फेकने में नेशनल खिलाड़ी हूं,वो दोनो तड़प रहे थे उन दोनों ने बताया कि कोई राजगुरु नाम का व्यक्ति किसी पुलिस वाले के जरिए से पैसे भेजा करता था,ओर वो पुलिस वाला हर बार किसी नए लड़के से हमारे पास पैसे भेजवता था ओर माल भी।हमे बस ऑर्डर दिया गया था कि कुलेंद्र धोखा कर रहा है उसे मारना है।

मैंने दोनों को मार डाला और डीज़ल से दोनों की लाश जला दी।

मै अगले दिन कृष्णा कॉटेज गया, वहां देखा कि दीदी मरी हुई थी।

उसके बाद जय मुझ पर शक करने लगा तभी मैंने जय को यह कहते सुना कि वो कृष्णा कॉटेज जाएगा ,तो मैं पहले ही अगले दिन कि शाम को वह पहुंच गया।

राजीव:- तो कॉल किसने की थी सुनैना बनकर? हमे यह बुलाया गया था।

सुनैना का कॉल आया था कि उर्वशी मार डालेगी ।

शांतनु:- नहीं मैंने कॉल नहीं की थी? पर जब जय आया था तो उसके हाथ में इस केस कि सारी फाइल थी,मैंने तुम सब को मार दिया।

(खेर तुम तो फ्री में ही मर रहे हो, इतना कहकर शांतनु सबकी लाश को बाहर इकठ्ठा करके आग लगा देता है,उर्वशी चाहती थी कि स्नेहा की जिंदगी बच सके, शांतनु को पता था कि वो इतने बड़े स्कैम को रोक नहीं सकता पर अपनी भांजी को बचा जरूर सकता है तो उसने हर एक सबूत मिटा दिए इस केस से।)

२० दिसंबर पूरा डिपार्टमेंट श्याम, जय,और राजीव को खोज रहा होता है , सीनियर ऑफिसर सीसीटीवी चैक करते है तो पता चलता है कि १० दिसंबर को एक लड़की इनके पास आयी थी।।

पुलिस ने बहुत कोशिश की पर उसके बारे में कुछ भी पता नहीं कर सके।

इधर शाम के वक़्त कांस्टेबल विजय अपने घर जा रहा होता है तभी एक कार वाला उसे रोकता है।

विजय:- कौन हो तुम?

राजगुरु:- ये ज्यादा इंपॉर्टेंट नहीं है बस ये बताओ कि जय ने फाइल कहा रखी है।

विजय:- तुम हो कौन, ओर कैसी फाइल?

राजगुरु:- इस केस में तुम भी थे, मैं जानता हूं कि मेरे माल की डीलिंग कभी कभी जय तुमसे करवाता था ,तो बताओ जय अब है नहीं तो अगर तुम चाहो तो ये धंधा तुम संभालो।

विजय:- जय ओर उस फाइल का क्या हुआ कुछ नहीं पता, ओर में इस काम ने नहीं घुसना चाहता हूं।

राजगुरु:- देखो एक गया दूसरा आता है,ये लोग बदलते है,समय बदलता है,सरकार बदलती है,बस ये धंधा नहीं बदलता सब वहीं रहता है।मुझे पता है इन सात दिनों के एक मात्र सबूत सिर्फ तुम हो । तो देख लो मौत या मौज……………….??????


लॉकडाउन 

विजय:-  भाभी, जय सर के घर में भी मातम है,श्याम का घर भी सुना और आपकी शादी भी राजीव सर से होनी थी……

जया:- लॉकडाउन की वज़ह से कोई भी इस केस पर ध्यान नहीं दे रहा है। मेरी राजीव से रोज बात हुआ करती थी वो इस केस के बारे में बताया करता था।

जया के पिता:- हमे यह बात कमिश्नर को बतानी चाहिए।

जया:- वो सब मिले है ,राजीव ने मुझे सबकी डिटेल दि थी।

पिता:- तुम दूर रहो, में तुम्हे नहीं खोना चाहता हूं।

जया:- पापा! मैं भी राजीव नहीं खोना चाहती थी।

मुझे पता है कि लॉकडॉउन के क्या करना है।

समय


२०२२

१० जनवरी

विजय:- आखिर क्यूं छोड़ना चाहती हो तुम एस्कॉर्ट ग्रुप।

स्नेहा:- मेरे पास कुछ मकसद है,एक मदद कर दो,मुझे अम्बेडकर सरस्वती विद्यालय स्कूल में एक टीचर कि पोस्ट में लगवा दो।

विजय:- क्या……?मजाक है क्या…..! धंधा करती हो वहीं करो,बच्चो को कबसे पढ़ाने का शौक आ गया?

स्नेहा:- तुम्हे इससे क्या….. तुम कुछ कर रहे हो या नहीं?

विजय:- वहां के संस्थापक से बात करता हूं ओर महाजनों से कहकर वह लगवा देता हूं।

समय

२०२२

अप्रैल


शांतनु:- मैं आपकी कुछ मदद करूं।

स्नेहा:- नहीं मैं रख लूंगी अपना बैग।

शांतनु:- ये मकान आपका है।

स्नेहा:- जी है मेरी अभी जॉब लगी है, मैं अध्यापिका हूं। इसलिए मैंने यह घर खरीद लिया।

शांतनु:- कोंस स्कूल में।

स्नेहा:- अम्बेडकर सरस्वती विद्यालय स्कूल में।

शांतनु:- मेरी बच्ची स्नेहा भी वही पड़ती है।

स्नेहा:- वाह! मेरा नाम भी स्नेहा है।

वैसे मैं आपकी बच्ची को जानती हूं वो अभी ६ कक्षा में है। अगली साल उसकी कोडिंग की क्लास शुरू होगी जो मैं पढ़ाऊंगी।

शांतनु:- ये तो बहुत अच्छा है, तो आप स्नेहा को घर पर भी पड़ा देना ।

स्नेहा:- जी बिल्कुल अब तो वो मेरे बहुत नजदीक रहेगी।

समय

२०२२

८दिसंबर

  ऋत्विक:- यार! मैं कौन सी जगह पर हूं, अब स्नेहा कहा मिलेगी।मुझे पहले पूरा पता करके आना चाहिए था।

 

२०२३ मार्च

दवाई फैक्ट्री भोगपुर


कॉन्ट्रैक्टर:- देखो इस लड़के के पास कोई आईडी नहीं है ,हूं इसे नहीं रख सकते है

कार्तिक:- भाई कुछ तो कर सकते है।

कॉन्ट्रैक्टर:- ऐसा काम करो कि इसका नाम अपने परिवार के सदस्यों में लिखवा दो उसके बाद जाकर एक आईडी बन सकती है ओर ये यहां काम भी कर लेगा।

कार्तिक:- हा अब तो यही करना होगा।

(कार्तिक ऋत्विक को एक नौकरी दिलवा देता है)

ऋत्विक:- कार्तिक ये अम्बेडकर सरस्वती स्कूल कहा है।

कार्तिक:- क्यूं…. क्या करेगा जानकार .. एडमिशन लेना है क्या?

ऋत्विक:- नहीं यार एक स्नेहा नाम कि लड़की है जिसकी उम्र अभी ७साल होगी।

कार्तिक:- तेरी रिश्तेदार है?

ऋत्विक:- यार तू बस मिलवा दे।

कार्तिक:- ठीक है।


२०२३

८ दिसंबर

 

स्नेहा:- अंकल आप हम बच्चो से क्यूं मिलते हों।

ऋत्विक: क्यूंकि बच्चे बहुत प्यारे होते है, और आप तो हो ही प्यारी,(ऋत्विक अंगड़ाइयां लेता हुआ) और मेरी गर्लफ्रेंड भी।

स्नेहा:- क्या????

ऋत्विक:- मेरी गर्लफ्रेंड भी नहीं है, इसलिए समय भी बहुत है मेरे पास तो मिल लेता हूं बच्चो से।

स्नेहा:- पता है मामा एक अंकल हम बच्चो से रोज मिलते है।

शांतनु:- बेटा! अनजानों से दूर रहो।

स्नेहा:- जी मामा! वरना मेरे मम्मी पापा की तरह मैं भी गायब हो जाऊंगी।

शांतनु:- ऐसा नहीं कहते स्नेहा!



(कार्तिक ऋत्विक के गले में हाथ डाल के फैक्ट्री से जाती हुई लड़की को देखता है)

कार्तिक:- यार! ऋत्विक, ये लड़की मुझे बहुत पसंद है कुछ करवा दे यार।

ऋत्विक:- मतकर ये इश्क़,इसकी कोई मंजिल नहीं।

ओ शायर! तेरे से तो बहुत सही हूं।एक ९ साल की बच्ची से प्यार नहीं करता में …..! कितना अजीब है तू।

(दोनों हस्ते है)

ऋत्विक:- तुम्हे क्या पता मेरे इश्क़ की दास्तां

        मैंने समय को चीर कर उसे पाने की ठानी है ।

कार्तिक:- वाह शायर! लगता है घायल हुए हो।

ऋत्विक:- एक आखिरी सुन।

        एक मोहब्बत है जिसकी खोज है

        इस सफर में मौत है या मौज है।

२०२५

८ दिसंबर

 

शांतनु:- तुम्हारे पास ये फाइल कहा से आयी?

ऋत्विक:- क्यूं करोगे जानकार!... एक पिता कभी अपने बच्चो काबुरा नहीं चाहता,चाहे उसमे लाखो बुराई क्यूं ना हो।तुम बचा सकते थे उन्हें? तुमने सब कुछ राज क्यूं रखा?

शांतनु:- तो तुम भी एक राज बन जाओ

       जिसकी खोज है मोहब्बत में

       उस सफर में तुम मौत बन जाओ

(इतना कहकर शांतनु ऋत्विक के गले पे चाकू घूमता है ओर ऋत्विक मर जाता है)



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama