ये मेरा मेकअप......
ये मेरा मेकअप......


शादी से लौट कर आने के बाद शिखा अपने कपड़े और गहने समेट के रख ही थी कि उसके पति ने कहा तुम औरतें भी ना कितना मेकअप करती है। जब देखो तब लीपा पोती करती रहती हो और हम मर्द ऐसा कुछ नहीं करते।
शिखा ने सोचा कि यह लीपापोती, तुम लोग कर भी नहीं सकते इसपे सिर्फ हमारा अधिकार है और बिना कुछ बोले बस सोचने लगी कि सच ही तो कहते हैं....
औरतें बहुत मेकअप करती हैं क्योंकि हर समय वह किसी न किसी चीज की कमियों पर मेकअप करती आ रही है। कभी घर, कभी परिवार, बच्चे,पति, समाज और हर रिश्ते की बातों पर वह लीपा पोती करती आ रही है। कभी अपने घर की इज़्ज़त छुपाने का मेकअप...बेहतर अवसर ना मिले तो उस पर मेकअप....शादी होने पर ससुराल ने ताना मारा तो उसका मेकअप.....पति ने बेवफाई की तो उस पर मेकअप....बार बार अपमान, तिरस्कार, व्यंग सहने का मेकअप... औरत को कम आंकने का और अगर सक्षम हैं तो, उसके चरित्र पर प्रश्नों की बौछर का मेकअप......रिश्तों को 'बढ़िया ' देखने का मेकअप......बच्चों की गलतियों को ढकने का मेक
अप..रिश्तेदारों द्वारा किए गए अनादर पर मेकअप ......सबको यह देखने का मेकअप की वो खुश हैं हर हाल में..निरादर, अपमान, उपक्षित ज़िन्दगी जीने का मेकअप।
लोगो का कहना ' बड़ी सुखी हैं ' इसको क्या ग़म? उसकी असलियत का मेकअप.... घुटन भरी ज़िन्दगी जीए जाने का मेकअप ...परिवार में अस्तित्वहीन हो जाने पर मेकअप ....एक औरत जन्म से लेकर मृत्यु तक मेकअप ही तो करती रहती है। फिर भी हमेशा उसी को अपमानित होना पड़ता है। इतनी मेकअप के बाद भी वह कुछ नहीं कर पाती खुद के लिए। बह जाते हैं उसकी आंखों से काजल आंसूओं के साथ तभी तो कहते हैं बिना मेकअप स्त्री अधूरी है सच ही तो कहते है। समाज मे रिश्तों का कड़वा सच बाहर ना लाने का मेकअप......
हाँ, हम औरते जानती हैं ज़िन्दगी के बदनुमे चेहरे को ढकने का मेकअप....हर हाल में, मुस्कुरा कर, 'सब ठीक हैं ' कह कर..ज़िन्दगी को खुशनुमा देखने का मेकअप.....यह अपने मन में कहती शिखा सोने चली गयी क्यूंकि कल उसे सुबह पति को ऑफिस जल्दी भेजना था।