ये क्या है ?
ये क्या है ?
एक सवाल जो हर
आदमी के अंदर है,
"ये क्या है ?"
क्या यही जीवन है,
जहाँ रोज मरना पड़ता है
जीने के लिए
जहाँ अपने सपने,
अपना सुख सब भूलकर
बस लगे हुए है
काम करने में।
पता नहीं क्या
कमाना चाहते हैं ?
क्या पाना चाहते हैं,
क्यों, आखिर क्यों ?
लोग कहते हैं,
अपने बच्चों के लिए
उन बच्चों के लिए जो
जरूरत पड़ने पर
अपने बूढ़े माँ-बाप को
दो वक्त की रोटी भी
नहीं दे सकते।
उनको दर-दर की ठोकरें
और वृद्धाश्रम में मरने के लिए
या अपने परिवार के लिए
उस परिवार के लिए
जो उसकी कमाई को
अपना समझते हैं।
और उसमें हिस्से के लिए
आपस में लड़ते हैं।
नहीं ये जीवन नहीं है
ये मौत है जो आपके
अंदर जी रही है।
मेरी एक सलाह है
अपने दोस्तों को
आप काम करो
"मगर पेट भरने के लिए और
साथ ही वो भी करो
जिससे आपका मन भरे।"
अपनों के लिए 12 घण्टे
काम करना बुरा नहीं है
पर अपने लिए क्या
12 मिनिट भी नहीं
करके देखो यार,
जिंदगी फिर से
जिंदा हो जाएगी।