वसंत
वसंत
"अरे फुलवावती ! तुम इतना परेशान काहे हो ? पहले तू कहती थी बसंत के समय हमारे घर में खुशियां आ जाएगी।पर बसंत तो कब का आ गया, अब क्या हुआ ?"
"क्या बताएं रुक्मिणी, मेरा बेटा बोला था कि वसंत में आ जाएंगे विदेश से, मगर वह अभी तक ना आया है। न फोन से बात करता और ना हीं चिठ्ठी भेजता। 2 साल से उसका इंतजार कर रही हूं , मगर वह आ ही नहीं रहा है। पता नहीं कब आएगा ?"
"क्यों उसका इंतजार कर रही हो वह ? अब नहीं आएगा, वही बस जाएगा"रुक्मिणी कहती है और चली जाती है। यह सुन फुलवावती और चिंता में पड़ जाती है।
उसी शाम फुलवावती के दरवाजे पर खटखट हुई।
फुलवावती दरवाजा खोली तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना न था, क्योंकि उसका बेटा रुपेश वापस आ चुका था। आज फुलवा- वती के घर बसंत आ चुका था।
