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विश्वविजेता

विश्वविजेता

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तरुण पाँचवीं क्लास का विद्यार्थी था। रोज की तरह आज सुबह भी 5 बजे कोयल की आवाज सुनकर नींद खुल गयी। झँझला उठा। माँ से कहा- ये कोयल रोज सुबह क्यों उठ जाती है।

माँ ने कहा- कोयल को कोई चुप करा नहीं सकता।

गुस्सा आ गया तरुण को। पार्क पहुँच गया। उसने भी कु कु की आवाज लगाई। कोयल ने भी कु की आवाज लगाई। फिर तरुण ने, फिर कोयल ने, फिर और जोर से, फिर और जोर से। माँ ने दोनों का युद्ध देख लिया था। खाना पहुँचा दिया। तरुण खाना खाता रहा, आवाज लगाता रहा।

बेचारी कोयल पहले तीव्र आवाज से प्रतिउत्तर देती। फिर कहारने लगी। फिर आवाज फटने लगी। इधर तरुण खाना खाके और बुलंद हो गया। घंटों तक चला ये युद्ध। आखिर कोयल को हार माननी पड़ी। फ़ुर्र से उड़ गई। फिर कभी आवाज नहीं सुनाई पड़ी।

आज माँ को झूठा साबित कर दिया था उसने। अपनी नजरों में वो विश्वविजेता था।


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