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Zala Rami

Drama Fantasy Inspirational

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Zala Rami

Drama Fantasy Inspirational

विश्वास

विश्वास

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अंधेरा होने आया था। कंचन बा चूल्हा जलाने का प्रयास कर रहे थे। राजु दादा बाहर बैठे हुए थे। घर पर फोन नहीं था। पड़ोसवाले आकर बोले दादा आपका मुंबई से फोन आया है ,आप के बड़े बेटे का।

दादा ने फोन पर दस हजार की बेटे की मांग को सुनकर गुस्सा होकर बोले तुमको वहां शौक पूरे करने हे और हमने यहां कितनी मुश्किलों का सामना कर के आपको बड़ा कर दिया, अभी हमारे पास अंतर के आशीष के सिवा और कुछ नहीं है ऐसा कहते हुए दादा ने फोन काट दिया।


 घबराते हुए श्याम की बीबी श्यामा को बोली, किस्त नहीं चुकाएंगे तो वो घर जब्त कर लेंगे वो। कहां जाएंगे ,क्या करेंगे और कहां रहेंगे? आप चिंता मत कीजिए ईश्वर पर भरोसा रखिए छोटे भाई को.....?  बीच में बात काटकर श्याम बोले और कितनी बार, उसका भी संसार है। पर्दे के पीछे कोई खड़ा हो ऐसा श्यामा को आभास हुआ पर किसी को नहीं देखते हुए पर्दा ठीक करके चिंतातुर हो के सो गए । सुबह उठकर देखा तो उसके पैर के पास एक थैली पड़ी थी उसमें पूरे दस हजार रुपए थे। श्यामा ने श्याम को रुपए भरी थैली दिखाई। श्याम की नजर दीवार पर लगाई हुई छोटे के साथ अपनी तस्वीर पर अटक गई और बोल उठे किसका विश्वास करूँ सगे पिता का या सौतेले भाई का।।


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