वह बूढ़ी औरत
वह बूढ़ी औरत
यह बात 2018 की है। मैं एक बार कॉलेज से आने के बाद थोड़ा परेशान परेशान सा था। सोचा अगर थोड़ा बाहर घूम आऊं तो शायद मन हल्का हो जाएगा। यह सोचकर मैं मेरे घर के पास वाले पार्क में थोड़ा टहलने के लिए चला गया। बाहर की हवा, बच्चों का शोर काफी भला लगा लेकिन अभी भी ना जाने क्यों मन की उदासी खत्म नहीं हो पा रही थी। ऐसा कभी-कभी हर एक के साथ होता है लेकिन उस दिन ना जाने मेरे साथ यह चीज़ कुछ ज़्यादा ही हो रही थी। मैं यूं ही चुपचाप बैठा हुआ था कि मेरे कंधे पर किसी ने हाथ रखा और बड़े प्यार से पूछा,"दुखी क्यों हो बेटा?"
मैंने पीछे देखा तो लगभग 50 से 60 साल की एक वृद्ध महिला मेरे पीछे खड़ी हुई थी। मैं पहले थोड़ा सकपका गया लेकिन फिर उस महिला में बिल्कुल अपनी दादी और नानी की छवि दिखाई दी तो मैंने अनमने मन से जवाब दिया,"आंटी बस यूं ही थोड़ा उदास था।"
वो महिला मेरे पास बैठी और बड़े प्यार से बोली "परेशानियाँ हर एक की ज़िंदगी में होती है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि अपने जिंदगी के इतने कीमती पल हम उदासी में गुजार दें और फिर तुम्हारी अभी उम्र ही क्या है उदास होने की। फ़िजूल की चिंता करने से आज तक कोई सफल नहीं हुआ है। अपने काम में ध्यान लगाओ, तुम्हें फल अपने आप मिल जाएगा।"
"यह सब कुछ कहना बहुत आसान है आंटी। मुझे बार-बार लगता है कि मैं एक बहुत ही बेवकूफ़, नासमझ और ऐसा लड़का हूं जिसे कुछ भी हासिल नहीं होगा।" आंटी हँसी और बोली," तुम्हारी जनरेशन की ना यही दिक्कत है। हर मिनट और हर सेकंड इतने ज्यादा उदास रहते हो कि कभी-कभी लगता है कि तुमसे ज्यादा जिंदगी तो हम बूढ़े लोग जी रहे हैं। यह बातें हमेशा याद रखो, मेहनत करते रहो और जिंदगी के हर मिनट का आनंद लिया करो। अच्छी बात है जिंदगी में कुछ करके दिखाना, लेकिन अगर यह महत्वकांक्षा सर दर्द बन जाए तो बहुत बुरी है। मेरी बात पर विचार करना और जिंदगी के हर मिनट का जितना लुत्फ़ हो सके उतना उठाना। क्या पता जिंदगी हमें कब ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दे जहां से लौट आना बहुत मुश्किल हो!!"
यह कहकर आंटी वहां से चली गए लेकिन मुझे उनकी यह बात बहुत अच्छी लगी। मैं रोज़ पार्क जाने लगा। अक्सर आंटी से मुलाकात होती और उनसे खूब सारे विषयों पर बात होती। आंटी का चेहरा आज भी याद है। हरदम हँसती रहती, खिलखिलाती रहती और जिससे भी वह मिलती यही सलाह देती थी की जिंदगी के हर मिनट का खूब लुत्फ़ उठाओ। उनका व्यक्तित्व इतना करिश्माई था की हर कोई उनसे बात करने को और अपनी समस्याओं का समाधान पूछने के लिए उत्सुक रहता।
एक दिन जब मैं पार्क गया और काफी देर तक टहलता रहा लेकिन आंटी दिखाई नहीं दी। बड़ा अजीब लगा क्योंकि शाम 5:00 बजे आंटी अक्सर बाहर दिखाई देती थी। मुझे लगा कि शायद थोड़ी तबियत खराब होगी इसलिए नहीं आई होंगी लेकिन करीब1 हफ्ते तक आंटी पार्क नहीं आई। एक बार को लगा कि उनके घर जाकर उनका हालचाल पूछा आऊं लेकिन पता नहीं क्यों एक अजीब सी घबराहट के कारण हिम्मत नहीं हुई। कुछ दिन और इंतजार किया और फिर जब रहा नहीं गया तो उनके साथ टहलने वाली एक वृद्ध महिला के पास गया और आंटी के बारे में पूछा। वह वृद्ध महिला कुछ देर चुप रहने के बाद बोली ,"तुम्हें सच में नहीं पता कि उनके साथ क्या हुआ?"
मैं थोड़ा डर किया और बोला नहीं मुझे तो ऐसा कुछ नहीं मालूम।
तब उस महिला ने जो बताया उस सुनकर मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गई। वह आंटी जो कि 1 सरकारी स्कूल से रिटायरड टीचर थी और जो खूब हँस कर सब से मिला करते थी, सब का हौसला बढ़ाया करती थी उनकी जिंदगी वास्तव में इतनी खुश हाल नहीं थी। उनका बेटा अपनी नौकरी छूटने के कारण भयंकर तनाव में आ चुका था और दिन रात शराब का सेवन करने लगा था। शराब की बुरी लत से उसका लिवर खराब हो गया और एक दिन वह इस दुनिया से चल बसा। अब अपनी बीमार हो चुकी बहू और इकलौते पोते को संभालने की जिम्मेदारी उन्हीं की थी।
मैं करीब 5 मिनट तक वहीं खड़ा रहा और आंटी की बातों को याद करता रहा। मैंने सोचा इतना भयंकर दुख होने के बावजूद आंटी इतनी खुशी से जीने का हौसला रख सकती है तो फिर मैं क्यों नहीं।