उत्तरदायित्व
उत्तरदायित्व
रामभरोसे अस्पताल में डिसिप्लिनेरी कमिटी बैठी थी। हाल खचाखच भरा था मामला था एक रेज़िडेंट डॉक्टर की पिटाई का।
दो दिन पहले डॉक्टर रामअवतार मेडिसिन फ़र्स्ट ईअर की मरीज़ के परिजनों द्वारा पिटाई कर दी गई थी। आक्रोश में साथ के रेज़िडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी थी।मामला अख़बारों में छा गया। आनन फ़ानन में अस्पताल एडमिनिस्ट्रेशन को कमिटी बैठानी पड़ी।
एक तरफ़ मरीज़ के परिजन एवं आम जनता बैठी थी एक तरफ़ बाक़ी रेज़िडेंट डॉक्टर बैठे थे।झगड़े का अंदेशा देखते हुए पूलिस भी बुला रखी थी।कक्ष के बीच में प्राचार्य मेडिकल कॉलेज, अस्पताल के सूपरिंटेंडेंट एवं अन्य कमिटी मेम्बर बैठे थे।एक तरफ़ दर्शक दीर्घा में मीडिया भी मौजूद थी। एक अधेड़ उम्र के प्रफ़ेसर अपनी जगह से उठे और मरीज़ के परिजनों से सवाल पूछना शुरू किया।
“रामलालजी आपके पिता थे हमें उनके जाने का बेहद अफ़सोस है क्या आप हमें बताएंगे शुरू से की उस दिन क्या हुआ था?”
“सर, दोपहर के दो बज रहे थे।मेरे पिताजी यहाँ रामभरोसे कोविड अस्पताल में दो दिन से भर्ती थे उन्हें साँस में तक़लीफ थी।उन्हें BP और शुगर भी था।दो दिन से वो 94 पर्सेंट पर ऑक्सिजन मेंटेन कर रहे थे। परसों दोपहर को अचानक दो बजे उनको साँस लेने में ज़्यादा दिक़्क़त होने लगी।उनके कहने पर मैंने ऑक्सिजन का फ़्लो भी बढ़ा दिया, फिर भी साँस लेने में दिक़्क़त उनके कम नहीं हुई । अचानक बिस्तर से उठकर नीचे गिर गए और अचेत हो गए। मैंने उनके मुँह पर पानी के छींटे मारें क्योंकि ऐसा पहले भी एक दो बार घर पर हुआ था और पानी के छींटे मारने से उन्हें होश आ जाता था लेकिन इस बार उन्हें होश नहीं आया।मैंने सिस्टर को आवाज़ लगायी, उस समय नर्सेज़ के कमरे में कोई भी नहीं था।फिर मैंने डॉक्टर को आवाज़ लगायी। मैं डॉक्टरों को आवाज़ लगाता रहा और कोई नहीं आया। क़रीब 15 मिनट तक पिताजी बेहोश रहे 15 मिनट बाद डॉ राम अवतार ने आकर उन्हें देखा उन्हें ट्रॉली पर लिया और सामने आईसीयू में शिफ़्ट किया और दो घंटे बाद उनकी मौत हो गई।आप ही बताइए साहब क्या ये अस्पताल की लापरवाही नहीं है? ऐसे डॉक्टरों को पीटा ना जाय तो क्या किया जाए? ये लोग तभी सबक़ सीखेंगे।”
“तुम होते कौन हो सबक़ सिखाने वाले? क़ानून को अपने हाथ में लेने वाले?” रेज़िडेंट्स में से एक की आवाज़ आयी।
“तुम शिकायत करते एडमिनिस्ट्रेशन अपने आप ऐक्शन लेता तुमने बच्चे का हाथ तोड़ दिया??”
“जब मेरे पिताजी बेहोश होकर ज़मीन पर पड़े थे तब आपका डॉक्टर कहाँ था..इसे इसके किए की सज़ा मिलनी चाहिए थी।”
“सजा मुक़र्रर करना तुम्हारे हाथ में है क्या? तुमने उसकी पूरी ज़िंदगी बर्बाद कर दी उसको इतनी बेकद्री से पीटा के अब वो किसी भी सीरीयस मरीज़ का इलाज करने से घबराएगा। ”
प्रफ़ेसर अब डॉक्टर राम अवतार के पिता की ओर मुड़े और उनसे पूछा । ”आप क्या कहना चाहते हैं?”
“सर, मुझे तो इतना पता है पिछले 8 महीने से मेरा बेटा घर नहीं आया। वो कहता था कोविड मरीज़ों की सेवा करनी है बहुत कम डॉक्टर है अस्पताल में इसलिए छुट्टी मिल पाना मुश्किल है ।12-18 घंटे की डूटी आना तो अब नोर्मल बात है। अब काम करने की आदत जो गई है पापा। आप चिंता मत करो। आप माँ का और दीदी का ध्यान रखो।मास्क पहनकर रखना। पूरे दिन पी पी ई किट पहनने से बेहतर है थोड़ी देर mask लगाकर रखना।गर्मी में दो घंटे पी पी ई किट नहीं पहना जाता है पापा 90- 100 मरीज़ों पर एक डॉक्टर है। सुबह पूरा राउंड ख़त्म करने में दो ढाई घंटे लगता है । फिर उनके नोट्स फ़ाइल में डालने पड़ते हैं। सब बड़े डॉक्टर मेरे काम की तारीफ़ करते हैं।
दोपहर का खाना तो जो मरीज़ों का आता है उसमें से खा लेते हैं ।शाम के समय हॉस्टल आ पाते हैं फिर भी दिमाग़ में यही लगा रहता है कि किसी का रेफरेंस छूट गया किसी का कोई टेस्ट रह गया।”
इतना कहते कहते उनकी आँखें भर आयी
“ डॉक्टर साहब आज लग रहा है कि कहीं मैंने अपने बच्चे को डाक्टर बनाकर कोई गलती तो नहीं कर दी ! क्या मैंने उसे यह दिन देखने के लिए उसके इतने साल बर्बाद किए मैं इन जनाब से सिर्फ़ यही पूछना चाहता हूँ के क्या आपका बच्चा अगर मेडिकल में होता और अगर उसे कोई उसे ऐसे पीट जाता तो आप क्या करते ?”
फिर वो सीनियर प्रफ़ेसर मीडिया की तरफ़ मुड़े और बोले,
“आप लोगों ने मरीज़ के मरने पर अख़बारों में इतना बवाल मचाया इस मामले को इतना तूल पकड़वाया अब आप लोग कुछ पूछना चाहते हैं??”
उनमें से एक आदमी खड़ा हुआ और मरीज़ के रिश्तेदार से पूछा कि अगर डॉक्टर वहाँ नहीं था तो ट्रॉली तो वहीं पड़ी थी और आईसीयू सामने था तो आपने ख़ुद ही अपने पिता को ट्रॉली पर लेकर आईसीयू में शिफ़्ट करवाने की कोशिश क्यों नहीं की ? इतना तो आप खुद भी कर सकते थे ये तो कॉमन सेन्स है!”
“जी उस समय मुझे कुछ सूझा नहीं”
“15 मिनट तक आपको कुछ नहीं सूझा और पिताजी की मौत ke 15 मिनट बाद ही आपने रेज़िडेंट डॉक्टर को इतना पीटा कि हाथ पर तोड़ दिए तब आपको सूझ-बूझ आ गई थी??”
“पहले 15 मिनट आप क्या कर रहे थे ?”
“जी मैं इस अस्पताल की लापरवाही का विडीओ बना रहा था ताकि उसे आप लोगों के सामने पेश कर सकूँ यह देखिए विडीओ!”
पूरे हॉल में सन्नाटा पसर गया सब आवाक उस रिश्तेदार को देख रहे थे जिसमें से इंसानियत शायद ख़त्म हो चुकी थी।
