Sukhbir Singh Alagh

Inspirational

4.2  

Sukhbir Singh Alagh

Inspirational

उम्मीद

उम्मीद

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अभी पिछले लॉकडाउन के कारण घर के हालात ठीक नहीं हुए थे की इस साल फिर से लॉकडाउन लगा दिया गया। हालत ये थी कि घर चलाना मुश्किल हो गया। रामू जो कि एक मजदूर था जिसकी कोई महीने की तनखाह नहीं आती थी। बल्कि वह रोज़ का कमाता था। इस समय का सबसे बुरा प्रभाव इन्ही लोगों पर पड़ता था।

आज दो हफ्तों से ज्यादा का समय हो गया लॉकडाउन लगे को। आज रामू का परिवार बस कुछ लोगों की मदद के सहारे जीवित है वो हर दूसरे दिन खाने की मदद कर देते है। इस समय कभी कभी उन्हें भूखा भी रहना पड़ता है।

रामू का सात साल का बेटा अरुण अक्सर पिता से पूछता है कि पापा आप दुबारा काम पर कब जाओगे। हम दुबारा पेट भरकर खाना कब खाएगे। पर रामू के पास आंसूओ के अलावा इस सवाल का कोई जवाब नहीं था। वह अपने बेटे को प्यार से कहता है कि और कुछ दिनों की बात है जल्द ही पापा फिर से काम पर जाने लगेंगे फिर हम सब पेट भरकर खाना खाएगे।

रामू इस बात से भी अनजान नहीं था कि सबकुछ खुलने के बाद भी उसे काम के लिए दुबारा भटकना होगा। पर रामू फिर भी रोज़ इस बात की उम्मीद करता है कि जल्द ही हालात सामान्य होंगे और वह फिर से पहले की तरह ज़िन्दगी जी सकेगा और अपने परिवार को पाल सकेगा।

ये सिर्फ रामू की नहीं बल्कि उसके जैसे अनेकों लोगों की कहानी है।

भगवान से प्रार्थना है कि फिर से सबकुछ पहले जैसा हो जाए।


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