स्वपन
स्वपन
“यह मेरे हाथी की मस्त चाल और मात।” मुस्कुराते गोपालदास ने शतरंज की बाज़ी समाप्त की। बाज़ी हार चुके कृष्ण कुमार ने अपनी बड़ी लम्बी मूँछ को ताव देते हुए कहा “मूँछ तो मेरी लम्बी है, खेलता तू अच्छा है।“
यह सुन कर गोपाल दास ने ठहाका लगाया “कृष्ण तू अपनी मूँछ पर अधिक ध्यान देता है, उसका आधा समय भी शतरंज में लगा तो मेरे से अच्छा खेल सकता है।“