Khushboo Pathak

Inspirational

4.0  

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सूरज का सपना

सूरज का सपना

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एक बार की बात है मध्य प्रदेश के इंदौर के पास एक गांव में सूरज का जन्म हुआ वह परिवार में सात भाई बहनों में सबसे छोटा था ।सूरज के माता पिता और उसका पूरा परिवार एक साथ रहता था और खेती किसानी पशुपालन कर अपना जीवन यापन करता था। सूरज धीरे-धीरे बड़ा होने लगा और गांव के ही पास सरकारी स्कूल में अपने भाई बहनों के साथ जाकर पढ़ाई करने लगा। सूरज बचपन से ही काफी प्रतिभावान था परंतु पढ़ाई के साथ साथ उसे खेलना कूदना दोस्तों के साथ घूमना उनसे बातें करना अच्छा लगता था। सूरज अपने दोस्तों और आसपास के लोगों से अपने गांव के बारे में और खेती किसानी रहन सहन के बारे में अक्सर बात किया करता था। धीरे-धीरे समय बीतने लगा और गांव में ही एक परिवार रहने के लिए आया उस परिवार में रोहन नाम का लड़का था उसके पिता बैंक में नौकरी करते हैं जो अभी ट्रांसफर होकर गांव में अपने पूरे परिवार के साथ रहने के लिए आए हैं। धीरे-धीरे सूरज और रोहन की अच्छी दोस्ती हो गई दोनों साथ ही स्कूल जाने लगे और बड़े होने लगे सूरज पढ़ाई के साथ-साथ अपने घर में बड़े भाई बहनों के साथ घर के कार्य और खेती किसानी के बारे में भी जानकारी लेने लगा सूरज ने गणित विषय लेकर अपने स्कूल की शिक्षा को सफलतापूर्वक पूरा किया परिवार वाले इस बात से बहुत खुश हुए लेकिन उन्होंने अपनी वर्तमान स्थिति से भी सूरज को अवगत कराया की वह सूरज को आगे पढ़ाने में कैसे सहयोग करें क्योंकि परिवार बहुत बड़ा था और आमदनी बहुत कम लेकिन सूरज का मनोबल बहुत ऊंचा था। उसके दोस्त रोहन ने सूरज को अपने पिता से मिलाया। सूरज ने अपनी मन की बात रोहन के पिता से की जिससे उसे आगे पढ़ने के बारे में उसके पिता ने जानकारी दी और उसे प्रोत्साहित भी किया। क्योंकि शहर में रोहन के पिताजी के अच्छे जान पहचान के लोग रहते हैं वह सूरज को मदद जरूर करेंगे सूरज रोहन के पिता जी से मिलकर बहुत खुश हुआ और आगे अपनी पढ़ाई के लिए। प्रयास करने लगा । उसने 12वीं के बाद की कॉलेज में प्रवेश लेने के लिए सभी परीक्षाओं का बेहतर ढंग से तैयारी की और अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण हुआ अब बात परिवार वालों से करने की थी। घर के सभी लोग सूरज की इस उपलब्धि से बहुत खुश हुए और उसे प्रोत्साहित किया कि वह शहर जाकर आगे पढ़ाई करें। रोहन के पिता ने सूरज की मदद करते हुए अपने दोस्तों जो शहर में रहते हैं। उनकी जानकारी दी सूरज शहर आ गया और उसने वहां अपने दोस्तों के साथ रहने लगा और कॉलेज जाने लगा क्योंकि सूरज का चयन भोपाल के प्रमुख विश्वविद्यालय में हुआ था जिससे उसे आर्थिक रूप से ज्यादा परेशानी का सामना तो नहीं करना पड़ा क्योंकि उसे स्कॉलरशिप मिल गई लेकिन गांव से दूर रहना अपने खर्च निकालने के लिए उसे कुछ ना कुछ काम करने का सोचा। कॉलेज के बाहर ही एक कंप्यूटर ऑफिस हुआ करता था जहां ऑफिस सहायक की आवश्यकता थी सूरज ने वह नौकरी कर ली और दिन में वह कॉलेज जाकर पढ़ाई किया करता था और शाम को ऑफिस में पार्ट टाइम नौकरी करने लगा जिससे उसे किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं थी। धीरे-धीरे समय बीतता गया और सूरज ने एक-एक करके अपने सभी सेमेस्टर परीक्षाएं अच्छे अंको से प्राप्त की सूरज ने कंप्यूटर साइंस विषय में इंजीनियरिंग पूर्ण कर ली अब समय था कॉलेज में आने वाले केंपस सिलेक्शन का जिसमें सूरज ने एक साथ कई कंपनियों में चयन हुआ जैसे इंफोसिस आईटी आईबीएम और विप्रो में चयनित हुआ। सूरज बहुत खुश हुआ उसे लगा शहर आकर अब मेरे सपने साकार हो गए और वह छुट्टियों में अपने गांव चला गया। उसके परिवार वालों को यह बात जानकर बहुत खुशी हुई कि सूरज इतनी अच्छी कंपनी में नौकरी करेगा और शहर में रहकर जो आमदनी होगी उससे अपने परिवार को भी मदद मिलेगी ।सूरज को बेंगलुरु में नौकरी के लिए जाना पड़ा वह बेंगलुरु में अपने दोस्तों के साथ मिलकर रहने लगा और आईटी कंपनी में नौकरी करने लगा। धीरे-धीरे समय बीतने लगा सूरज शहर की जिंदगी में अपने आप को बेहतर ढंग से रहकर आगे बढ़ने लगा कंपनी में उसका बहुत अच्छा प्रदर्शन देखकर उसे विदेश में अपनी एक ब्रांच को संभालने का एक नया अवसर प्राप्त हुआ जिसके लिए सूरज को अमेरिका जाना पड़ा ।सूरज ने सोचा कि अब मेरी जिंदगी के सारे सपने पूरे हो गए अब मुझे कुछ हासिल करने की आवश्यकता नहीं है मुझे जो कमाई होगी उससे मैं अपने परिवार वालों को गांव में पैसे भेजूंगा जिससे मेरी परिवार का रहन-सहन बेहतर हो पाएगा। सूरज धीरे-धीरे जीवन के नए रंग और विदेश के तौर तरीके सीखने लगा और वहां घुल मिल गया धीरे-धीरे समय बीतता गया और सूरज मन लगाकर काम करता गया उसे अच्छी आमदनी भी होने लगी। परिवार को भी आर्थिक रूप से सहायता मिलने लगी। सूरज ने एक बार सोचा की मेरी पढ़ाई से मेरा और मेरे परिवार का बहुत भला हुआ और आर्थिक रूप से हम ऊपर उठ पाए लेकिन मैं अपनी मां मातृभूमि के बारे में कुछ नहीं कर पा रहा हूं जो मेरा सबसे बड़ा कर्तव्य है। मेरा गांव ही मेरे लिए मेरा परिवार है और मेरे लिए सब कुछ है ।सूरज ने सोचा कि कुछ दिन छुट्टी लेकर गांव हो आओ और वह वापस अपने देश आ गया अपने गांव में उसके परिवार वाले उसे देखकर बहुत खुश हुए और गांव में तो सूरज की बहुत चर्चाएं होने लगी इससे पहले गांव का कोई भी युवा ऐसे विदेश जाकर नौकरी नहीं किया इसीलिए सूरज की उपलब्धियां गांव के लिए नई और खुशी की बात थी। सूरज ने एक बार फिर अपने दोस्त को याद किया और रोहन से मिलने उसके घर गया। वहां उसके पिता जी से भी उसकी मुलाकात हुई वह भी सूरज के बारे में जानकर काफी खुश हुए लेकिन सूरज ने अपनी मन की बात रोहन के पिता से की मैं वर्तमान में इतनी अच्छी कंपनी में नौकरी कर रहा हूं अच्छे पैसे कमा रहा हूं मुझे लगा मैंने जीवन में सब कुछ हासिल कर लिया है मैंने अपने सारे सपने पूरे कर लिए हैं लेकिन मैंने अपने गांव अपनी माता मातृभूमि के लिए कोई भी योगदान नहीं किया है मुझे इस दिशा में कुछ कार्य करना चाहिए।

यह सारी बातें सूरज ने रोहन की पिता से कहीं सूरज ने अब ठान लिया था कि वह अपने गांव के विकास के लिए कुछ ना कुछ कार्य अवश्य करेगा। रोहन के पिता ने अपने दोस्त के बारे में सूरज को बताया जो पारिवारिक रूप से खेती किसानी का ही कार्य करते हैं और वर्तमान में जैविक खेती कर बहुत अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं और ना सिर्फ अपने परिवार बल्कि आसपास के गांव सभी की मदद कर आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं ।सूरज ने विदेश की नौकरी छोड़ दी और रोहन के पिता के मार्गदर्शन से उनके दोस्त से मिलने चल पड़ा और वहां जाकर उसने जैविक खेती के बारे में पूरी जानकारी एकत्रित की। वह वापस गांव आया और अपने ही खेत से जैविक खेती की शुरुआत अपने परिवार वालों के साथ मिलकर की। धीरे-धीरे वह अपने रिश्तेदारों दोस्तों परिवार वालों और गांव वालों तथा अपने गांव के पंचों से मिलकर इस दिशा में कार्य करने लगा सब मिलकर फसल सब्जी भाजी और फल उगाने लगे इसमें लागत भी बहुत ज्यादा नहीं आई यह खेती बिना किसी केमिकल और फर्टिलाइजर से की जाती है इसके बारे में सूरज ने अपने गांव के लोगों को धीरे-धीरे प्रशिक्षण देने लगा। जिससे सब मिलकर अच्छी फसल सब्जियां और फल उगाने लगे अब समय आ गया था। इन सब्जियों और फलों को सही दाम में बेचने का सूरज शहर में जाकर वहां के व्यापारियों से बाजार में अपने फलों और सब्जियों को बेचने के बारे में चर्चा की और व्यापारियों से लेन-देन करने लगा। धीरे-धीरे सूरज की सब्जियां फल वगैरा अच्छे दामों में व्यापारियों के द्वारा खरीदे जाने लगे और उससे अच्छा पैसा मिलने लगा ।उसके साथ साथ गांव के अन्य लोग भी जैविक खेती की सहायता से अच्छी फसल उगा कर शहरों में अपनी सब्जियां फल बेचने लगे धीरे धीरे वह आर्थिक रूप से संपन्न होने लगे।आज सूरज का गांव पूरी तरह से स्वावलंबी और आत्म निर्भर विकसित गांव में उसकी गिनती होने लगी है गांव के पंचों और लोगों ने भी सूरज के इस प्रयास की बहुत प्रशंसा की और उसका मनोबल बढ़ाया और कहा अगर सूरज समय रहते अपने गांव के बारे में नहीं सोचता तो ना जाने हमारे गांव को और यहां के लोगों को कितनी परेशानियां का सामना करना पड़ता और बहुत सारे लोग पैसे के अभाव मैं गरीबी से जिंदगी जीते। गांव के सब लोगों ने कहा कि सूरज हमारे लिए एक नई रोशनी लेकर आया जिससे हमारा गांव रोशन हुआ और सभी स्वाबलंबी होकर एक बेहतर जिंदगी जीने लगे। सूरज ने भी मन ही मन सोचा कि आज मैंने सही मायने में अपने सपनों को साकार किया है।

अधिकांश लोग सिर्फ अपने बारे में ही सोचते हैं अपने जीवन में आगे बढ़ने अपने सपनों को पूरा करने के बारे में ही सोचते हैं पर सूरज जैसे युवा ने अपने गांव को ही अपने जीवन का मुख्य लक्ष्य मानकर उस दिशा में प्रयास करने लगा और सही मायने में अपने परिवार और गांव के सभी लोगों का सपना पूरा किया।



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