सपनों का मायाजाल Part 3
सपनों का मायाजाल Part 3
नवीन शहर जानें के लिए तैयार हो जाता है क्यों की आज शहर में बाबा जी का सतसंग लगने वाला है, और नवीन को सेवादारों की कॉल आई की तुम्हें आज सतसंग में आना है।
नवीन सेवादारों से ना नहीं बोल पाया, और शहर जाने के लिए घर में झूठ बोल दिया की मैं बाबा जी की माला वापिस करने जा रहा हूं।
सतसंग स्थल पर पहुंचकर नवीन ने बाबा जी को दंडवत प्रणाम किया और सतसंग सुनने के लिए एक कोने में चुपचाप हो कर बैठ गया।
सतसंग सुनने के बाद नवीन ने प्रसाद ग्रहण किया और घर चले गया। नवीन ने माला और चरणामृत की बोतल छिपा कर घर में प्रवेश किया।
नवीन की मां अब बहुत खुश थी की नवीन ने बाबा जी की नाम दीक्षा छोड़कर, माला उन्हें वापस कर दिया।
नवीन घर में अब चोरी छिपे नाम जप और बाबा जी का चरणामृत पिया करता। लेकिन नवीन की ये खुशी अधिक समय तक नहीं रहने वाली थी। कुछ दिनों बाद टीवी में खबर आती है की बाबा जी पर देशद्रोह और अन्य मुकदमे दर्ज किए गए हैं। बाबा जी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
नवीन को इस खबर पर विश्वास नहीं आता और वह बाबा जी के सेवादारों को कॉल करके सच्चाई जानना चाहता है।
नवीन परेशान हो कर सेवादारों से कहता है की बाबा जी पर देशद्रोह का आरोप क्यों लगा।
सेवादार नवीन को समझाते हुए जवाब देता है की यह बाबा जी के विरुद्ध साजिश रची गई है जिसमें बाबा जी को फंसाया जा रहा है। हमने इस कांड पर एक पूरी वीडियो बनाई है जाकर उसे देख लो।
नवीन अपने कमरे में जाकर चुपचाप वीडियो देखने लगता है जिसमें बताया जा रहा था की बाबा जी को एक झूठे मुकदमे में फंसाया गया। जब बाबा जी पेशी के लिए कोर्ट नहीं आए तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी का समन भेजा गया। बाबा जी के भक्तों ने पुलिस का पुरजोर विरोध किया। जिसके चलते बाबा जी के भक्तो और प्रशासन के बीच झड़प हो गई।
जब नवीन ने अखबारों की खबर देखी तो उसमें लिखा था, की गिरफ़्तारी से बचने के लिए बाबा जी ने हथियारों से लैस भक्तो को आगे कर दिया। जिन्होंने पुलिस का विरोध किया।
नवीन का बाबा जी से विश्वास उठ गया लेकिन बाबा जी ने अपने विचारों से नवीन का माइंड वास कर रखा था।
इसलिए नवीन अभी भी बाबा जी को निर्दोष समझ कर उनका सतसंग सुन रहा था।
चंद्र मोहन मुस्करा कर नवीन से कहता है देखो तुम्हारा बाबा तो देशद्रोही निकला। नवीन चुपचाप अपने पिताजी से कुछ नहीं कह पाता है।
चंद्र मोहन - ठिक किया जो तुमने उनकी नाम दीक्षा और विचारो पर चलना छोड़ दिया।
नवीन - मुझे मालूम नहीं था की बाबा जी इतने बुरे कर्म कर सकते हैं हमारे लिए तो वह भगवान थे।
चंद्र मोहन - ठिक है अब तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो कल ही हम दोनों शहर जाकर तुम्हें वहां शिफ्ट कर देंगे तुम वहां अच्छे से अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना।
नवीन यह खबर सुन कर खुश हो जाता है, और वह शहर जाने की तैयारी करने लगता है।
नवीन इंट्रोवर्ट लड़का है इसलिए वह शहर में अकेले ही रहने का फैसला करता है।
नवीन और उसके पिताजी दोनों नवीन के लिए एक कमरा दूंढते हैं और नवीन के लिए सभी उपयोगी समान लेकर पास के ही दुकानदार से नवीन की जान पहचान करा करके नवीन के पिता अपने गांव कंवा वापिस आ जाते हैं। नवीन के गांव से उसके कॉलेज की दूरी तकरीबन 200 km होगी जिसके चलते वो अपने घर से दूर रहने लगता है।
कॉलेज में नवीन का पहला दिन होता है वह दूसरे ब्रांच की कक्षा में जाकर बैठ जाता है। चलते फिरते नवीन को अपनी क्लॉस मिल जाती है और वह अपनी कक्षा में जाकर दुखी हो जाता है क्योंकि वहां सिर्फ 5 बच्चों ने दाखिला लिया था।
सभी जरूरी डॉक्यूमेंट नवीन ने कॉलेज में जमा कर दिए और कॉलेज वाले अब उन्हें वापसी करने से इंकार कर रहे थे। नवीन दूसरे अच्छे कॉलेज में दाखिला लेना चाहता था। नवीन का दोस्त प्रभात उसे अपने कॉलेज में दाखिला लेना को कहता है। लेकिन अब नवीन मजबूरी में वहीं पढ़ने का फैसला करता है।
नवीन अब अकेले अपने कमरे में बैठा रहता और अपने बचपन के बारे में सोचकर दुखी हो जाता। अपना नाम जप करता और चरणामृत पाकर फिर से खुश हो जाता।
नवीन का बचपन बहुत ही कठिनाइयों में बीता। जिसे याद करके वह काफी दुखी हो जाता है। नवीन ने कभी किसी को पलटकर जवाब नहीं दिया।
वह लोगों के सताए जाने पर भी अपने ही भीतर घुटता रहा। और आज जब नवीन अकेला है तो उसे वो नकारात्मक विचार बार बार परेशान करते हैं। आज नवीन के सपने में फिर कोई आया जिसने नवीन से बहुत बाते की उसने आज फिर से कहा की हम आ रहे हैं। नवीन को कुछ समझ नहीं आता की कौन मुझ से सपने में बात करता है।
नवीन और तारा की दोस्ती भी अब टूट जाती है कभी कभार फोन पर बात हो जाती है। नवीन अब सच में अकेला पड़ गया है पुराने दोस्त तो नवीन के कॉलेज का मजाक उड़ाया करते। नए दोस्त नवीन ने अभी तक किसी को नहीं बनाया। नवीन अब शहर में अकेला पड़ गया।
नवीन कभी भी अपने अकेलेपन को अपनी ताकत नहीं बना पाया। जब से वह शहर आया है गुम सुम सा रहता है किसी से बातचीत नहीं करता है। बस अपने आप में ही खोया रहता है।
नवीन के मकान मालिक जिसका नाम चिंतामणि है की एक बेटी और दो बेटे हैं। एक बेटा और बेटी हाई स्कूल में पढ़ते हैं, और बड़ा बेटा सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है।
चिंतामणि का घर नवीन के कॉलेज के पास ही था। इसलिए नवीन कॉलेज जाने के लिए एक साईकिल खरीद लेता है। नवीन के पास घर में एक मोटरसाइकिल है लेकिन नवीन के पिता जी उसे शहर में मोटरसाइकिल चलाने से मना कर देते हैं।
नवीन को शहर में अपने पड़ोस में एक खूबसूरत लड़की देखी। नवीन शाम को रोज उस लड़की को बगल वाले मकान की छत पर देखता। नवीन ने पूरे एक सप्ताह की तैयारी के बाद उस लड़की से उसका नाम पूछा।
लड़की ने संकोच के साथ कहा मेरा नाम काव्या है। नवीन को पहली ही नजर में काव्या से इतना प्रेम हो जाता है, की वह उस लड़की से मिलने के बाद बाबा जी की माला और चरणामृत फेंक देता है।
