Nisha Mishra

Drama

3.4  

Nisha Mishra

Drama

सबक सीख गई निम्मी

सबक सीख गई निम्मी

6 mins
910


निम्मी अभी कॉलेज से आती ही होगी, यह सोच जल्दी-जल्दी घर के काम को आभा निपटाते हुए जल्दी से किचन में जाकर दोपहर के खाने की तैयारी करने लगी। सारा काम ख़तम होने के बाद जैसे ही आभा सोफे पर बैठी ही थी कि, दरवाजे की घंटी बजी और बाहर से चिल्लाने की भीआवाज आज आई, “मम्मी जल्दी से दरवाजा खोलो, मुझे बाथरूम जाना है।” और दरवाजा खुलते ही निम्मी बाथरूम की तरफ तेजी से भागी।

बाथरूम से बाहर निकलने के बाद मम्मी ने कहा- “निम्मी तुम इतनी बड़ी हो गई हो,तुम्हें कुछ समझ में आता भी है कि नहीं !“ “अब क्या हुआ मम्मी ?”

मम्मी गुस्से से बोली- “डोरबेल को कोई लगातार दबा के रखता है।” अगर वो ख़राब हो गया या उसमें आग लग जाएगी तो…तुम अब १६ साल की हो गई हो। सही-गलत समझा करो जरा बेटा।” “मम्मी प्लीज,अब लेक्चर मत देना। मैं सुनने के मूड में नहीं हूँ। माफ़ कर दो। आगे से नहीं गलती होगी।”

“अच्छा बताओ, शर्मा अंकल की किताब लौटाई कि नहीं, जो पापा ने दी थी।”

“पहले मुझे भूख लगी है मम्मी। खाना दे दो, अपने सवाल बाद में पूछ लेना प्लीज, अच्छा खाना क्या बनाई हो मम्मी।”

“दाल, चावल, रोटी और पालक की सब्जी।”

“ओह…मम्मी क्या रोज-रोज यही बनाती हो, मुझे नहीं खाना है।” गुस्सा करती हुई निम्मी ने मम्मी से कहा और अपने कमरे चली गई।

मम्मी ने कहा-“निम्मी खाना खा लो,शाम को कुछ अच्छा बना दूंगी।” निम्मी गुस्से से कमरे से बाहर निकल बेमन खाना खाने बैठी और पहला निवाला लेते ही बोली- “छि…मम्मी क्या खाना बनाया है, नमक कितना ज्यादा है। मम्मी आपको तो खाना भी बनाना नहीं आता है।”

“निम्मी खाने में नमक सही है।” मम्मी ने कहा,पर निम्मी को खाना पसंद नहीं आ रहा था, इसलिए उसे खाने में ऐब ही ऐब लग रहा था। थाली आगे सरका के निम्मी कमरे में चली गई,और मम्मी की आँख भर आई।

निम्मी बेडरूम में जाकर पापा को फ़ोन लगाती है और पापा को बोली- “पापा- मम्मी को खाना बनाना ही नहीं आता। मम्मी ने खाने में कितना नमक मिलाया है।”

पापा बड़े ही प्यार से निम्मी को बोला- “देखो निम्मी, मम्मी कितना काम करती हैहमारा, कितना ख्याल रखती है। हो जाता है, बेटा कोई बात नहीं।”

“नहीं…नहीं पापा, मम्मी रोज ही ऐसे ही खाना बनाती है। आप आज आते समय बाहर से ही खाना लाओ, मैं नहीं खाऊंगी ये खाना।”

“अच्छा…अच्छा,निम्मी शांत हो जाओ। मैं रात को आते समय बाहर से खाना लाऊंगा। ठीक है अब तुम खुश हो।”

“यस पापा ‘आई लव यू पापा।” कहते हुए फ़ोन रख देती है। पापा ने मम्मी को फ़ोन कर सारी बात मालूम की कि, निम्मी क्यों इतना गुस्से में है। मम्मी ने जब सारी बात पापा को बताई तो “पापा ने कहा-“तुम चिंता मत करो। निम्मी को प्यार से समझाता हूँ, तुम आज शाम को खाना मत बनाना।”

मम्मी ने कहा- “क्या तुम्हें भी लगता कि मैं अच्छा खाना नहीं बनाती हूँ।

“नहीं..नहीं ऐसा नहीं है तुम तो हमारा ख्याल भी रखती हो और अच्छा खाना भी बनाती हो। ऐसा कुछ भी मत सोचो।” मम्मी को समझाते हुए पापा ने गुड बाय करके फ़ोन रख दिया। शाम को जब पापा ऑफिस से आते हैं, तो डोरबेल की आवाज सुनते ही निम्मी टी.वी. देखना बंद करते हुए दरवाजा खोलती है और निम्मी पापा के हाथ से बैग ले लेती है। खाने का पार्सल हाथ में न देखकर कहती है- “पापा खाना कहाँ है ?”

“रुको,निम्मी थोड़ी साँस तो लेने दो।” ‘सारी पापा।’ जब पापा सोफे पर बैठ जाते हैं तो कुछ समय बाद निम्मी पापा से फिर कहती है- “पापा बोलो न,क्या हम बाहर खाने जाने वाले हैं। वाह पापा…पर पापा मम्मी को बुखार हो गया है और बैडरूम में सो रही है।” निम्मी निराश होकर बोली। पापा ने निम्मी से पूछा-“मम्मी ने दवाई ली !”

निम्मी बोली-‘ हम्म…।’

पापा बैडरूम में जाकर मम्मी को देखते हैं तो मम्मी सोई हुई थी। पापा ने मम्मी को नहीं उठया और बाहर आकर निम्मी से बोले- “निम्मी, मम्मी तो अब खाने के लिए बाहर नहीं जा सकती है। एक काम करते हैं, हम मिलकर अच्छा-सा खाना बनाते हैं।”

“हाँ…पापा मम्मी से भी अच्छा खाना ना !”

‘हम्म…’ कहते हुए पापा ने कहा-तो चलो आज निम्मी के हाथों से स्वादिष्ट खाना खाएंगे। ”

पापा और निम्मी खाना बनाने में लग जाते हैं। खाना तैयार होने के बाद निम्मी मम्मी के बैडरूम में जाकर कहती है- “मम्मी चलो, खाना खा लो। आज मैंने और पापा ने मिलकर खाना बनाया है।”

मम्मी कहती है-“क्या पापा आ गए ? तुम चलो मैं आती हूँ।”

“नहीं…नहीं मम्मी,पापा टेबल पर खाना लगा रहे हैं। आपको बुलाने को कहा है।” हाथ को खींचते हुए बोली-“चलो न मम्मी ।”

और मम्मी बहार आकर कुर्सी पर बैठती है। तब पापा कहते हैं-“अब तुम्हारा बुखार कैसा है ?”

‘ठीक है’,मम्मी ने कहा।

“आप आए और मुझे उठाया भी नहीं !” पापा ने कहा-“तुम्हारी तबियत ठीक नहीं थी और तुम सो रही थी,सो मैंने नहीं उठाया।”

“ये देखो,आज निम्मी ने क्या बनाया है…

आलू-मटर की सब्जी, बिरयानी, दा , पराठा।” तभी निम्मी बड़ी खुश होकर बोली- “मम्मी देखो खाना मस्त दिख रहा है ना !” निम्मी ने मम्मी को खाना परोसकर दिया। मम्मी ने पहला निवाला खाया ही था कि निम्मी ने पूछा- “मम्मी कैसा बना है !

अच्छा है न।”

‘हम्म… ‘ मम्मी सिर हिला देती है। अब निम्मी ने अपनी थाली परोसी और खाने बैठी। जैसे ही खाना मुँह में डाला तो तपाक से बोल उठी- “छि…..सब्जी में तो नमक ज्यादा हो गया है पापा।

मम्मी आप तो बोले, खाना बहुत अच्छा है। आप ये कैसे खाना खा रहे हो ? मम्मी ने निम्मी से कहा- “निम्मी खाना बहुत अच्छा बना बेटा। मुझे इसमें कोई कमी नजर नहीं आ रही है।देखो बेटा, नमक ही थोडा़ तेज है,पर तुमने इस खाने में अपना प्यार डाला तो इसमें स्वाद भी आ गया है।” मम्मी ने मुस्कुराते हुए निम्मी को बड़े प्यार से समझाया। अब निम्मी को अपनी गलती का एहसास होने लगा कि कैसे उसने मम्मी के साथ दोपहर में अच्छा व्यवहार नहीं किया। मम्मी के इस प्यार को देख वो रोने लगी और मम्मी के गले जाकर लिपट गई। बोली- “मम्मी,मुझे माफ़ कर दो। आज के बाद मैं कभी भी आपसे बुरा व्यवहार नहीं करुँगी। मम्मी, पापा सही कहते हैं तुम हमारी कितनी चिंता करती हो। मम्मी दोपहर का

खाना अच्छा बना था। उसमें नमक ज्यादा नहीं था। मम्मी आप हमसे बहुत प्यार करती हो ‘आई सो सारी’ मम्मी ‘आई लव यू’, मुझे माफ़ कर दो मम्मी।”तभी पापा ने कहा-“निम्मी अब बताओ, खाना कौन अच्छा बनाता है ! निम्मी या मम्मी !”

निम्मी ने खुश होकर कहा- ‘मम्मी।’ और अब किचन से दोपहर का खाना थाली में परोस कर लाती है और मजे से चटकारे लेते हुए खाने लगती है।

पापा मम्मी की तरफ देखकर मुस्करान लगे और पलकें झपकाते हुए मानो यह कह रहे थे कि अब सब ठीक है। इन्सान को हमेशा दूसरे के काम की कद्र करना चाहिए, उसे सदैव सम्मान देना चाहिए, न कि उसका अपमान करना चाहिए।


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