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Ekta Dhohare

Inspirational

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Ekta Dhohare

Inspirational

रंग की कीमत

रंग की कीमत

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अरे शालूू देख सलोनी तैयार हुई की नहीं सविता जी ने अपनी छोटी बेटी से कहा और आप यहां आराम से पेपर पढ़ रहे हैं। बाजार से कुछ सामान लाने को कहा था लेे आए आप ( सविता ने अपने पति किशोर सेे कहा) लड़के

वाले आतेे ही होंगे।


किशोर जी - "हां भाग्यवान सब लेे आया हू इतना क्यों टेेंशन लेेेती हो'


सविता - "अरे आप समझते नहीं है आज केेे समय मेंं अच्छा लड़का और घर परिवार मिलना कितना मुश्किल हैैैै।'


किशोर - "हां वो तो है।"

सविता -" अच्छा में सलोनी को देख कर आती हूं तैैयार हुई की नहीं।"


आईने के सामने सावला रंग तीखे नैन, नक्श की लड़की बैठी हुई थी जिसने ने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी। मेेरी बेेटी कितनी , 

प्यारी लग रही है। कहीं नजर नाा लग नाा लग जाये।  


सलोनी -" नजर लगने के लिए सुुंदर होना जरुरी हैै माां मतलब गोरा रंग "


सविता - "तू भी बहुत सुंदर है ।'

सलोनी - "मां हर संडे को किसी ना किसी लड़के को बुलाती हो और जवाब वहीं आता है।"


सविता - "देखना इस बार ये रिश्ता पक्का हो जाएगा अरे तूने गुलाबी रंग की साड़ी क्यों पहनी है दूसरी पहन लेती"

'

सलोनी- "क्यों मां"

सविता- "एैसे ही बहुत सादा लग रहा है"

सलोनी- "सीधे बोल दो मा की इसमें में काली लग रही हूं"


सविता- "नहीं मेरी बच्ची ऐसा नहीं है तुुुुझ में कोई कमी नहीं है"

सलोनी -"अब तो आदत सी हो गई है मां"


तभी शालू दौड़ कर आती है मैं भी तो देखूं कैसी  लग रही है वाह दीदी बहुत सुंदर लग रही हो। मैं भी तैयार हो जाती हूं तुझे तैयार होने की जरूरत नहीं है


शालू - "क्यों नहीं है"


सविता लड़के वाले आ गए हैं किशोर जी की आवाज आती है तू अपने कमरे में जाकर पढ़ाई कर बाहर मेहमानों के सामने आने की कोई जरूरत नहीं है सलोनी खड़ीी सब सुन रही थी वो जानती है कि मां क्यों नहीं आने देना चाहती है क्योंकि शालू का रंग गोरा है पहले भी जब भी लड़के वाले आए थे उन्होंने शालू को ही पसंद किया है।वह होल में आती है जहां लड़के वाले बैठे होते हैं जिनमें लड़के के माता-पिता, उसकी बुआ आई है

प्रकश( लड़के के पिता) किशोर जी से कहते हैं ये मेरा बेटा मीत है इसका खुद का बिजनेस है"बहन जी लड़की को बुलाइए"( मीत की मां) पुष्पा सविता से कहती है

सविता -"बुुुलाती हूंं"


सलोनी चााय नाश्ता लेकर आती है "सब उसे देखकर एक दूूसरे काा मुुंह ताकनेे लगते हैं"


किशोर - "इंग्लिश लिटरेचर से एम.ए किया है यूपीएससी की परीक्षा देना चाहती है पढ़ने में बहुत होशियार है।"

सविता- "जी बहन जी घर के काम मेंं भी बहुत निपुण हैं ।"


पुष्पा- "रंग बहुत दबा हुआं है हमारा एक ही बेटा हैै आगे वंश खराााब हो बिल्कुल नहीं हमेशा की तरह उसकी आंखें नम हो गई है "

उसे इन सब बातों की आदत पड़ चुकी है पर मन को आहत होने से नहीं रोक पातीी और अपने कमरे में चली जाती है। 


वह सोचती है क्या रंग हीी सब कुछ है उसकाा स्वभाव , चरित्र,गुण कुछ मायने नहीं रखता कभी सविता जी उसके कमरे में आती है और कहती हैं लोगों ने हां कर दी है और तूूू बेकार में रो रही है 15 दिन बाद शादी हैै तेरी पंडित जी को बुलवाकर शादी की तारीख भी तय कर दी है 

"

सलोनी- "इतनी जल्दी क्योंं"

सविता -" उन्हें कोई दिक्कत नहीं है और हमें भी तूू क्यों बेेेकार में सोचती है इतना "

सलोनी कुु नहीं बोली  पर उसे सब कुछ अजीब लग रहा था पहले तो उसके रंग को लेकर इतना कहा फिर अचानक मान जाना


समय कम था तो शादी की तैयारियां जोरों शोरों से होने लगी और वह दिन भी आ गया लााल सुर्ख जोड़े में सलोनी दुल्हन के रूप में वाकई बहुत खूबसूरत लग रही थी।


सविताा- "मेेेरी बेटी कितनी प्यारी, सुंदर लग रही किसी की नज़र ना लगे" (काला टीका लगाते हुए)।


सलोनी- "माां रोते हुए नहीं बेटा आज तेरे लिए बहुत ही खुशी का दिन है"


शालू-" और में कैसी लग रही है( पीच कलर के लहंगे में तैयार हुई खड़ी)"

सविता-" मेरी दोनों बेटियां बिल्कुल परियों जैसे लग रही हैै। बारात भी आ गई है"


बारात का स्वागत होता है और दुुुुलहे को मंडप में लाया जाता है


प्रकश- लाााईये पच्चीस लाख रुपए जैसा कि हमारे बीच तय हुआ था।


किशोर- प्रकश जी बस थोड़ी देर में आता हूं 

और अन्दर से पैसो से भरा बैग उनको दे देते हैं

प्रकाश - आईये मंडप में चलते हैं

किशोर- जी

पंडित- दुल्हन को बुलाइए


शालू सलोनी को लेकर मंडप में आती है और बिठा देतीी है कुछ देर बाद प्रकाश जी किशोर जी को मंडप से बाहर बुला कर ले जाते हैं उनकेेे पीछे पुष्पा सावित्री ।


प्रकाश- किशोर जी पच्चीस लाख रुपए की और व्यवस्था कीजिए ।


किशोर- प्रकाश जी हमारे बीच तो सिर्फ पच्चीस लाख रुपए की बात थी।


प्रकाश - हां पर देखीये मीत को अपना बिजनेस और बड़ा करना है फिर उसे कार भी लेनी है और ये सब हम अपने लिए थोड़ी ना मांग रहे हैंं।


किशोर- लेकिन प्रकाश जी इतने पैसे नहीं हैं मेेेरेे पास इन पच्चीस लाा रुपए का भी अपना घर गिरवी रख कर किया है।


सविताा- समधन जी येे शादी हो जाने दीजिए धीरे धीरे सारे पैसे दे देंगे।


पुष्पा- सविता जी ये सब हम अपने लिए थोड़ी ना मांग रहे हैं हम तो आपकीी बेटी और दामाद के लिए कह रहे है।


प्रकाश- बेकार की बहस से कोई मतलब नहीं है आप अभी पच्चीस लाख रुपए कीजिए वरना येे शादी नहीं हो पायेगी।


सविताा- समधी जी हमारी कितनी बदनामी होगी अगर बारात ऐसे ही लौट गई तो।


पुष्पा -वो सब हम कुछ नहीं जानतेे अब आप लोग खुद ही देख लीजिए। 


पीछे शालू खड़ी सब देख और सुन रही थी वो सबकुछ जाकर मंडप में बैंठी सलोनी को बता देती है सलोनी उठती है और मीत को साथ आने को कहती हैं।


सविता - सलोनी बेेेटी तू क्यों यहां आ गई मंडप से उठना अच्छा नहीं होता हैै


सलोनीी- कितने में बेचा है मुझे आप लोगों नेेे लालचीी लोगों को ‌‌‌‌‌।


सविता- कैसी बात कर रही है पागल हो गई है यह तो हर माता-पिता काा कर्तव्य होता है ।


सलोनी- शादी करना कर्तव्य होता है दहेज देकर बेटी की खुशियां खरीदना नहीं मांं पापा और इस बात की क्याा गारंटी है कि यह लोग आगे पैसा नहीं मांगेंगे या मुझे खुश रखेंगे बताइए ऐसे लालची लोगों के यहां मैं शादी नहीं करूूंगी।


पुष्पा- चुप कर लड़की( गुस्से से देखतेे हुए) शीशे में जाकर अपनी शक्ल देख पहले कहां मेरा दूध जैसा गोरा चिट्टा बेटा और कहां की काली चाय की तरह।


सलोनी- फिर भी आंटी जी लोग हमेशा चाय को ही पसंद करते हैं दूध को दूध को नहींं। 


किशोर जी और सविता - चुप हो जााा बेेेटी बारात का खाली हाथ लौटना अच्छा नहीं होता कौन करेगा तुझसे शादी और तेरी छोटी बहन से भी।


सलोनी- मां पापा अगर ऐसे लोगोंं के यहां शादी करना है तो में कुुंवारी ही ठीक हूं। बताइए मीत आपका क्या फैसला है क्या आपके माता-पता का मेरे माता-पिता सेे दहेज 

मांगना ठीक है।


मीत- सलोनी यह सब हमारे अच्छे भविष्य के लिए ही तो हैं ‌‌।


सलोनी- क्यों तुम्हें इतनी काबिलियत नहीं है कि तुुम अपनी खुद के दम पर यह सब हासिल कर सको। और आप लोगों ने यह सोच भी कैसेे लिया आप लोगों को बेघर करके मैं अपना घर बसा सकती हूंं मुझेेेेे ऐसे पैसों के लालची लोगों से कोई रिश्ता नहीं करना हैऐसे लड़के को मेरा जीवन साथी चुना हैै जो अपनी होने वाली पत्नी के लिए कुुछ बोल हीना सके ना ही सही और ग़लत में फर्क कर सकेऐसे लड़के के साथ क्या मैं खुश रह पाऊंगी।हर लड़की की शादी होना जरूरी होता है हर माता-पिता का सपना होता है ये पापा पैसों के बल पर रिश्तेते नहीं बनते सिर्फ समझौते होते हैं जिनमें स्नेही की कोई जगह नहींं होती है ।


पुष्पा - जुबान तो देखो इस लड़की की हमें अब अपनी और बेेेज्जजती नहींं करवाना यह शादी अब हरगिज़ नहीं होगी।


सलोनी - आप क्या मनाा करेंगे शादी के लिए ।मैं खुद ऐसे लोगों के यहां शादी नहीं करना चाहती जिनका कोई जमीर नहीं हो।


पुष्पा- दहेज हमें इसलिए नहीं चाहिए था की हम लालची हैं अपने इतने गोरे सुंदर बेटेे हो तेरे जैसी कालीी- कलूटी लड़की से शादी करवा रहे हैं तो तेरे रंग की कीमत थे यह पैसे जिसे तू दहेज कह रही है।


सलोनी - फिर तो आंटीी जी अपने बेटे की किसी गोरी लड़की सेे ही शादी करवा दीजिए क्योंकि वहा शायद आप कीमत कम लगाएं रंग देखकर क्योंकि मेरेेेेे रंग की कीमत तो आपने पचास लाख रुपए लगाई। अब अब अगर यह शादी पोती तो जीवन भर मेरे माताा- पिता आप लोगों को मेरे रंग की कीमत देते रहते हैंहाथ जोड़कर आपसे विनती है आप लोग अपनी बारात वापस ले जा सकते हैं। और जो पच्चीस लाख रुपए आप लोगों ने मेरे पापा से लिए हैं उन्हें दो दिन में भिजवा दिजियेगा वरना मुझे मजबूरी में पुलिस को बुलाना पड़ेगा अब आप लोग जा सकते हैं और बारात लौट गई। 


सविता - ये क्या किया तूने शादी मेंं यह सब होता रहता है ।

शालू - मत रो मां दीदी ने बिल्कुल सही किया। अगर शादी के बाद दीदी को वह लोग मारते पैसों के लिए प्रताड़ित करते तो हमारा तो पैसा भी जाताा, घर भी जाात और दीदी कभी खुश भी नहीं रह पाती।


सलोनी - माां पापा आप सभी मेरा नम्र निवेदन है कि आप लोग जा सकते हैं यह शादी नहीं होगी अब। सारे मेहमान चले जाते हैं ।


आज संडे का दिन है सलोनी आराम सेेेेे सोई हुई है बेटा सूूूूरज सर पर आ गया है इतनी देर तक सोना ठीक नहीं होता है।


सलोनी - मां आज फिर से लड़के को नहीं बुलाया ना


सविता - नहीं पगली हंसते हुए चाय नाश्ता कर लेे।

थोड़ी देर बाद सलोनी हॉल में अपने माता पिता और बहन के साथ बैठकर नाश्ता करने लगती है 

सलोनी - मैं सोच रही हूं यूपीएससी की तैयारी शुरू जो मेरा सपना है।


शालू - अच्छा है दीदी

किशोर जी - ठीक है बेटी जैसा तुम चाहो

सलोनी - थैैंक्यूू पापा ।


सलोनी अपने सपनों को पूरा करने के लिए एक नये सफर की शुरुआत करने चल दी कुछ बनने की चाह में जहां उसे अपने रंग की कोई कीमत नहीं चुकानी पड़ेगी।


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