राजस्थान टॉपर की कहानी अनिल की कलम से
राजस्थान टॉपर की कहानी अनिल की कलम से


नमस्कार सभी को..... मैं अनिल मंसुरिया, बाङमेर राजस्थान से एक कहानी संघर्ष की अपने शब्दों के जरिये बता रहा हूँ जो हर एक विधार्थी इंसान के लिये प्रेरणादायी है।
यह कहानी भारत देश के राजस्थान राज्य के बाङमेर जिले की जहाँ आज भी सारी सुविधा तो छोङो दो वक्त की रोजी रोटी भी नहीं मिल पाती हैं इस रेगिस्तानी राज्य में ना जानें ऐसे कितनी प्रतिभाएं होगी जिनके पास पहनने को कपङे व चप्पल नहीं, रहने को आशियाना नहीं है लेकिन उनके संघर्ष व हौसलें को सलाम है जिनके पास सबकुछ होते हुये मवभी सारी सुविधाएं वो कुछ कर नहीं पाते है, लेकिन यह कुछ ऐसा कर जाते है जो सबको चौका देते हैं कि आपके पास इस जहाँ सबकुछ होना जरूरी नहीं है तुम जीवन की राह में आने वाली विषम परिस्थितियों में उसका मुकाबला करके आगे बढ़ते हो तो परिणाम देरी से मिलेगा लेकिन सबको चौंका देगा। कुछ ऐसी ही कहानी हैं इस माटी के लाल प्रकाश फुलवारी की जिनके पिता चनणाराम व माता संतोष देवी के राजस्थान के इस माटी के कोहिनूर की कहानी अनिल की कलम से....... ॥
भाई प्रकाश जो एक झुग्गी झोपड़ी में पला बढ़ा तथा अपने विषम परिस्थितियों में सुविधाओं के अभाव में व अपने मेहनत लग्न जोश हौसले जुनून के बलबूते पर 99.2% परिणाम देकर चौंका दिया, कि प्रतिभाएं सुविधाओं की मोहताज नहीं होती। जिसको ना जाने इससे पहले कितनी संघर्षों व सुविधाओं के अभाव में गुजरना पड़ाव इन सुविधाओं के अभाव में भी खुद को कभी कम नहीं आंका। घर की आर्थिक स्थिति कमजोर तथा इस रेगिस्तानी शहर में दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती हर किसी को। उसके पापा मेहनत मजदूरी करके घर का घर खर्चा चला ही रहे थे लेकिन कुछ समय बाद उनको भी लकवा जैसी बीमारी ने चपेट में ले लिया जिससे घर की स्थिति दयनीय सी हो गयी।
उसके बाद भी ना जाने प्रकाश ने इन विषम परिस्थितियों में कभी खुद को टूटा हुआ कमजोर ना समझकर वो आगे के अध्ययन के लिए वो दो वर्ष तक एक ही स्कूल ड्रेस में वो भी फट्टी पुरानी जिसके लिये उसने अपने अध्यापकों की डॉट से ना जाने कितनी बार गुजरना पङा।
और इस तपन भरे रेगिस्तान में पहनने को चप्पल तक नहीं, ना कोई छोटी बङी संस्था से पढा, पढा तो सिर्फ अपने विधालय व खुद के मेहनत लग्न से, इन सारी सुविधाओं के अभाव में परिश्रम निरंतर जारी रखा। तथा संघर्ष के उन रास्तों से गुजरा जहाँ पर सारी सुविधाएं होने के बाद भी कुछ लोग टूट थक के हार मान के बैठ जाते है लेकिन इसने अपने जीवन में कभी किसी हालात को देखकर मायूसी ना पाली होगी चेहरे पर, इन हालातों को नजरअंदाज करते हुये चेहरे पर खुशी के भाव लेके आगे बढा। जिस व्यक्ति का जितना लम्बा संघर्ष होगा वो उतना ही घिसकर निखरता है प्रकाश भी इन हालातों से घिसकर आगे बढा है तब ही तो सारा राजस्थान उसका के परिणाम देखकर प्रकाश मान हो गया। सबको वाकिफ करवा दिया कि प्रतिभाएं सुविधाओं के अभाव में निखरती सजती है। यह प्रतिभाएं सिर्फ किसी के साथ व जूनून की मोहताज होती हैं सुविधाओं की नहीं। कभी ना कभी इस कोहिनूर की तरह निखर कर बाहर आ ही जाती हैं। आज भाई प्रकाश राजस्थान ही नहीं दुनिया में अन्य पिछङे गरीब विधार्थीयों के लिये प्रेरणा स्रोत है जो हर विधार्थी व हर एक इंसान में जोश जूनून भर रहा है कि सुविधाओं के अभाव में भी आप बहुत कुछ हासिल कर सकतो हो जो सारी सुविधाओं के बाद भी नहीं कर सकते। उसके लिये खुद को पहले पहचानों निखारों क्योंकि यह व्यक्ति खुद को काबिल होना पङता है पहले कोई बङी बङी संस्था में सारी सुविधाओं का होना काफी नहीं है इस से आप कुछ नहीं कर नहीं सकते हो इसके लिये खुद में पहले जोश जूनून हौसले मेहनत व लग्न का भाव दिल में होना जरूरी है काबिल बनाना होगा खुद को तथा जीवन में आने वाली कठिनाइयों को नजरअंदाज कर हँसते हुये आगे बढोगे तो ही आप फतेह कर सकते हो किसी चीज पर। इस जहाँ में नामुमकिन कुछ भी नहीं है नामुमकिन है तो बस हमारी सोच है की हम कुछ कर नहीं सकते। अगर दिल में थाम लिया तो सब कुछ मुमकिन है इस जहाँ में बस उसके लिये थोड़ी मेहनत कोशिश करोगे तो उसका परिणाम देरी से मगर सबको चौंका देगा।
आज भाई प्रकाश ने अपने माँ पापा का ही नहीं राजस्थान के सभी वासियों का दिल जीता है कि आने वाले समय में यही रेत में छिपी प्रतिभाएं देश दुनिया में अपने माटी की महक बिखरेगी। इसलिये विनती उन मानयवरों व संस्थाओं को जो तत्पर रहती इन प्रतिभाओं को आगे के सपनों को पंख देने के लिये वो आगे आये तथा उनको सहयोग प्रदिन कर सहायता दे। ताकि इस राजस्थान की माटी की धरा में झुग्गी झोपड़ी में ना जाने कितने अनगिनत प्रकाश जैसे प्रतिभावान कोहिनूर छिपे है। इन प्रतिभाओं के अध्यनन में आने वाली बाधाओं के लिये थोड़ा सहयोग मिलेगा तो यह प्रतिभावान विधार्थी देश दुनिया में अपनी प्रतिभा के बलबूते पर भारत का परचम लहरा देंगे।