प्यार बस हो गया

प्यार बस हो गया

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मेघा बंगाली परिवार से थी और संदीप मारवाड़ी परिवार से था। दोनों में प्रेम हो गया। मेघा को रोज़ संदीप से मिलना और उसके साथ वक़्त बिताना अच्छा लगता था। ऑफिस के बाद दोनों मिलने लगे और बाहर खा पीकर संदीप मेघा को घर छोड़ने लगना। यह रोज़ का क्रम बन गया। मेघा को नॉन वेज खाना पसंद था और संदीप शुध्द शाकाहारी था। मेघा संदीप के साथ शाकाहारी खाना ही खाती थी। संदीप बोलता भी था नॉन वेज मंगवा लो पर मेघा मना कर देती थी, बोलती मन नहीं है। उसे पता था संदीप तो फिर भी मान जाए पर उसके घरवालों को उसका नॉन वेज खाना पसंद नहीं आएगा। इसीलिए मेघा अभी से नॉन वेज छोड़ रही थी। एकदिन शाम को दोनों एक होटल में गए। संदीप ने वेटर से पूछा क्या स्पेशल है, वेटर बोला सर यहाँ की मछली बहुत स्पेशल है और लोग उसी के लिए हमारे यहाँ आते हैं। संदीप ने मेघा को देखा और बोला एक प्लेट मछली ले आओ और दो प्लेट छोला भटूरे ले आओ। मेघा को मछली खाना बहुत पसंद था। मछली आई, मेघा ने संदीप को देखा। वो बोला खा लो, मुझे पता है तुम्हें बहुत पसंद है। मेघा बोली क्या जरूरत थी, मैं सब छोड़ रही हूँ। संदीप के बोलने पर उसने चाव से खा लिया पर मन ही मन सोच रही थी कि गलत किया। दोनों वहाँ से खाकर गाड़ी करके घर चले। जैसे कि संदीप रोज़ मेघा को घर छोड़ता है, उसदिन संदीप मेघा के साथ था। घर पहुँच कर उतरते हुए संदीप ने मेघा को रोका और उसके होठों से अपने होठों पर एक चुंबन लिया। प्रेम में कोई छुआछूत नहीं होती यह बताने के लिए। मेघा शर्मा कर घर की और दौड़ पड़ी।मेघा को संदीप की यह बात ही पसंद थी, वो प्रेम में बस प्रेम ही मानता। बाकी किसी बात से उसे फर्क नहीं पड़ता। ना जात पात, ना धर्म, ना बड़ा छोटा। वह प्रेम करता तो बस सच्चे मन से। मेघा संदीप को खोना नहीं चाहती थी। वो जानती थी संदीप जैसे कोई चाहने वाला उसे मिलेगा नहीं। एक शाम को दोनों मिले और बातें कर रहे थे। अचानक मेघा ने कहा श्याम मैं नौकरी छोड़ रही हूँ। संदीप ने सुना और बोला कौन श्याम। मेघा बोली कोई नहीं, गलती से बोला श्याम। संदीप को समझ आ गया मेघा कुछ छुपा रही है। वो कुछ बोला नहीं और कहा मुझे जाना है। मेघा को छोड़ने भी आज वो नहीं आया। मेघा रास्ते भर ख़ुद को कोस रही थी।श्याम उसका पहला प्यार था जिसे मेघा भुला नहीं पायी और ना ही संदीप को बता पाई।दूसरे दिन मेघा ने संदीप को फोन किया, संदीप ने फोन उठाया नहीं। मेघा समझ गयी उसने गलती की है, सॉरी के मैसेज भेजे। संदीप का कोई जवाब नहीं आया। फिर संदीप को अपनी छोटी बहन से फोन करवाया।उसका फोन भी नहीं उठाया। मेघा के रोने के अलावा कोई उपाय नहीं था। संदीप इधर श्याम की तलाश में निकल गया। उसे पता लगाना था कि श्याम कौन है। मेघा की बहन को भी फोन किया और मेघा को बताने के लिए मना किया था। सारे दिन की भाग दौड़ के बाद श्याम का पता चला। श्याम से मिलने गया। पहले तो श्याम ने मना किया पर संदीप के बार बार कहने पर मिलने को तैयार हुआ। संदीप ने सारी बात जानी श्याम से और बताया मेघा उसे आज भी याद करती है।श्याम बोला मैं मेघा को भुला चुका हूँ, मेघा का स्वभाव से वह परेशान था। संदीप ने सारी बात जान ली। शाम को मेघा को मिलने बुलाया, श्याम को भी आने को कहा। तीनों शाम को मिले, मेघा श्याम को देखकर चौंक गयी। संदीप ने कहा चौंको मत, मैंने सब जान लिया। अगर एक दूसरे से अभी भी प्यार है तो सुलह कर लो वर्ना भुला दो एक दूसरे को। श्याम और मेघा का प्यार वर्षों का था, फिर एक बार जाग उठा। दोनों ने एक दूसरे से माफी माँगी। संदीप वहाँ से जाने लगा, मेघा को बोला खयाल रखना अपना। बोला मुझे संदीप बनकर रहना है किसी की ज़िन्दगी में, उसका पहला और आखिरी प्यार बन। मेघा कुछ बोल नहीं पाई, बस रो रही थी और श्याम उसका हाथ पकड़े हुए था।



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