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Maan Singh Suthar

Inspirational

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Maan Singh Suthar

Inspirational

प्रतिस्पर्धा

प्रतिस्पर्धा

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शास्वत सत्य है जीवन और मृत्यु के मध्य एक प्रतिस्पर्धा निरंतर चलती रहती है एक जुनून ही है जो जीने की लालसा को बल प्रदान करता है। जैसे एक बेल पर लगने वाले सभी फूल फलों में तब्दील नहीं हो पाते हैं उसी तरह जन्म लेने वाला हर इंसान जीवन को खुशहाल तरीके से जी सकें ये सही नहीं कहा जा सकता है। इसके लिए जीवटता और जुनून चाहिए। इसी से जुड़ा हुआ आज का हमारा पात्र हैं सुभाष चन्द्र शर्मा जी। सुभाष जी जन्माध है और बिना आंखों की दृष्टि के इस दुनिया में आए है।

 जन्मान्ध होने के कारण इनके जीवन को सामान्य इंसान के जीवन की तरह तो बिल्कुल ही नहीं कहा जा सकता है। जन्म से ही चुनौतियां इनके सामने बांहे फैलाए खड़ी हुई थी। बचपन जैसे तैसे किसी तरह बीत गया और जवानी की दहलीज पर कदम रख दिया सुभाष ने। अब ज़िन्दगी की असल चुनौतियां इनके सामने थी क्योंकि अब मां बाप भी एक जवान बेटे को कितना सहारा देते।

सुभाष शुरूआत से ही पढ़ने में बहुत होशियार था एक बार जिस चीज के बारे में सुन लिया मानों वो हमेशा के लिए दिमाग पर छप गया। समय बीतता गया और सुभाष ने बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। इसके तुरंत बाद प्री.बीएड का फार्म भर दिया और कुछ समय बाद परीक्षा भी दे दी और परिणाम का इंतजार करने लगा। कुछ समय बाद परिणाम आया तो सुभाष ने परीक्षा उत्तीर्ण कर ली और बीएड कोर्स के लिए क्वालीफाई कर लिया।

 कुछ समय बाद कांऊसलिंग के लिए नजदीक ही एक कालेज मिल गया और सौभाग्य से मुझे भी वही कालेज कांऊसलिंग के लिए मिला और हम दोनों ने बीएड में प्रवेश ले लिया। धीरे धीरे जान पहचान बढ़ी और हम दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती हो गई। समय पंख लगाकर धीरे धीरे अपनी चाल में उड़ता रहा और पता ही नहीं चला कब साल गुजर गया और परीक्षा का समय भी आ गया। हम सब ने परीक्षा दी और सभी अच्छे नंबरों से पास हो गए।

असल में अब शुरू होता है प्रतिस्पर्धा भरा जीवन और प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारियों में जुट गए। हमारी कथा के नायक सुभाष भी जुट गए तैयारी में और खूब मेहनत की और इस परीक्षा को भी पूरे आत्मविश्वास के साथ क्लीयर कर दिया और आज राजस्थान में एक सरकारी स्कूल में अध्यापक पद पर नियुक्त है और जन्मांध होने के बावजूद भी जीवन को कभी बोझ नहीं समझा और अपने जुनून और जीवटता के साथ सुखी जीवन का मार्ग खुद तैयार किया।

हमें भी छोटी मोटी बाधाओं को देखकर घबराने से पहले सुभाष जी जैसे जीवट इंसानों की ओर एक बार देख लेना चाहिए क्योंकि हमारे लिए हम भी अपने रास्ते स्वयं बना सकते है और एक सुखद जीवन जी सकते हैं।


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