प्रेम
प्रेम
मैं प्रेम में अभी उतना प्रौढ़
नहीं हो पाया हूँ शायद
जितना तुम हो,
तुममें और तुम्हारी स्मृतियों
में बस इतना ही अन्तर है
जितना ईश्वर और मूर्तियों में हैं
तुम्हारा साथ,
ईश्वर का साथ है
तुम्हारी स्मृतियाँ, छायाचित्र
मूर्तियाँ हैं
जो मुझे तुम तक पहुँचाती हैं
(तुम तक पहुँचाने का
एक सशक्त माध्यम हैं )
मैं तुम तक पहुँचने के एक
सफल प्रयास में दत्तचित्त हूँ।
