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Siddharth Meshram

Inspirational

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Siddharth Meshram

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फिर किसके लिए जीना है ?

फिर किसके लिए जीना है ?

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फिर किसके लिए जीना है ? एक व्यक्ति का जन्म होता है, एक बच्चा बड़ा होता है। जीवन सुख-दुःख की अनेक आँधियों का सामना करता चला जाता है। लेकिन, जीवन क्यों रहता है ? आप किस लिए जीते हैं? और किसके लिए रहता है? हालाँकि, इसका कोई पता नहीं है। अपना पेट भरने के लिए वह अपना पूरा जीवन मेहनत मजदूरी में लगा देता है। पैसा कमाने के लिए कहीं काम करता है, छोटे-मोटे काम करता है, शारीरिक श्रम भी करता है। और अंत में मर जाता है। मौत के बाद परिजन और रिश्तेदार चार दिन तक रोते हैं और भूल जाते हैं। मृत्यु के बाद धरती पर हमारा वजूद हमेशा के लिए खत्म हो जाता है। हम कितने भी अच्छे क्यों न हो, मरने के बाद हमारी याददाश्त सिर्फ 10-15 दिनों के लिए ही होती है। क्योंकि हम अपने परिवार के लिए ही जीते हैं। मैं, मेरा परिवार ही हमारी दुनिया है।

तो किसके लिए जिएं ?

तो समाज के जीवित रहने के लिए, आप दुनिया की किन समस्याओं का समाधान करते हैं? आप क्या बनाते हैं? क्या आप किसी के लिए उपयोगी हैं ? इसे आपका करियर कहा जाता है। इसलिए जब आप अपने से परे सोचते हैं, तो उसे शिक्षा कहते हैं। करियर सिर्फ नौकरी पाने या बिजनेस में आगे बढ़ने तक सीमित नहीं होना चाहिए। समाज की सोच कर जीना ही जीवन है।

एक आदमी अमीर है क्योंकि उसके पास बहुत पैसा है, कार है, बंगला है, गहने हैं। बिल्कुल नहीं। एक नेकदिल, नेक दिमाग वाला व्यक्ति वास्तव में सबसे अमीर व्यक्ति होता है। पैसा, कार, बंगला, ये केवल अस्थायी, भौतिक सुख हैं, इनमें से कोई भी वस्तु मृत्यु के बाद अपने साथ नहीं ले जाई जा सकती। जो तुम अपने साथ ले जाते हो वह तुम्हारा कर्म है, तुम्हारे प्रति स्नेह है, समाज का स्नेह है, और वर्षों से खींची गई तुम्हारी स्मृति है, यह जीवन भर की कमाई है।

एक दूसरे से नाराज़ और नफरत करने के बजाय दोस्तों के साथ खुश रहना सीखें। आज हम जिस परिवार के लिए जी रहे हैं, जिन बच्चों को हम पाल रहे हैं। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वही बच्चे आपके बुढ़ापे में आपकी देखभाल करेंगे।* *ऐसा नहीं है कि आपका बुढ़ापा आपके बचपन की तरह बीत जाएगा। बचपन में लाड़-प्यार किया जाता है, लेकिन बुढ़ापे में भुगता जाता है, जिन बच्चों के लिए रहता है, वे एक पल में पराये हो जाते हैं। जीवन के अंतिम क्षण में प्रश्न उठता है कि हमने अपना सारा जीवन किसके लिए जिया है ?

घूमने का मन करे तो घूमने का खूब मजा लें। यदि आप वृद्धावस्था में चलना चाहें तो भी आपका शरीर आपका साथ नहीं देगा। इसलिए जब तक शरीर मजबूत है, घूम घूम कर सब कुछ देख लेना। अकेले भले ही आओ, पर जाओगे तो सबके साथ, असली मजा तो जाने में है...!


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