Lucky Nimesh

Thriller

1.0  

Lucky Nimesh

Thriller

ऑनलाइन धोखा

ऑनलाइन धोखा

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￰पब में चकाचक रौशनी फैली हुई थी। सभी लोग नशे में झूम रहे थे। हॉल में मध्यम सा संगीत गूँज रहा था। रोहन और मोहित भी नशे में थे। वो एक तरफ मेज़ पर बैठे हुए थे। "मोहित यार बहुत दिन हो गए कोई तितली नहीं फंसी" रोहन ने वहां मौजूद लड़कियों पर निगाह मारते हुए कहा।

"सही कह रहा है यार कुछ करना पड़ेगा। पता नहीं आज कल की लड़किया कैसी है ज़रा सा भाव दो तो शादी की बात शुरू" मोहित ने मुंह बनाते हुए कहा। रोहन ने सहमति में गर्दन हिलायी और अपने व्हिस्की के गिलास को उठा लिया तो मोहित ने भी ऐसा ही किया। दोनों काफी देर तक लड़कियों की बात करते रहे। जब वे पब से निकले तो उनके पैर लड़खड़ा रहे थे। दोनों अपने हॉस्टल की तरफ चल दिए। रोहन ने अपनी कार को हॉस्टल की तरफ मोड़ दिया।      ***


रोहन दिल्ली में रहता था। पापा बहुत बड़े बिज़निस मैन थे। पैसो की कमी नहीं थी। फ़िलहाल रोहन देहरादून में पढाई कर रहा था। हॉस्टल में रहता था वहीं मोहित उसे मिला। दोनों बिगड़े हुए थे। शराब और शबाब के शौक़ीन। न जाने कितनी लड़कियों को फंसाकर उनकी ज़िन्दगी बर्बाद कर चुके थे। उनका यही शौक था जो दिन ब दिन बढ़ता जा रहा था।
****


रोहन हॉस्टल में पहुँच कर सीधा बेड पर लेट गया। मोबाइल देखा तो फेस बुक पर मैसेज पडे थे। उसने सभी मैसेज पढ़े। फ्रेंड रिक्वेस्ट में उसे कजरी नाम की रिक्वेस्ट आ रही थी। उसने एक्सेप्ट की तो पता चला की उसका मैसेज भी था।
'हेलो 'रोहन ने भी तुरंत लिखा 'हेलो जी आप, कौन?' मगर उधर से कोई जवाब नहीं आया तो रोहन ने उसकी प्रोफाइल देखी कजरी इसी महीने ही फेसबुक से जुड़ी थी। फोटो कोई नहीं था। प्रोफाइल पिक्चर भी नहीं
तभी उस तरफ से मैसेज आया।
'जी"
"आपका मैसेज आया था" रोहन ने लिखा।
"बाबू जी गलती से हो गया जी"
रोहन ने सोचा शायद इस को अभी ठीक से फेसबुक चलाना नहीं आता है।
"क्या तुम को फेसबुक चलाना नहीं आता" रोहन ने लिखा।
"जी ऊ का है न हमरी सहेली शीला ने बताया था"
"अच्छा अच्छा मेरा नाम रोहन है दिल्ली में रहता हूँ, मुझसे दोस्ती करोगी?"
"ना बाबू जी आप तो लड़के है"
"तो क्या हुआ मैं तुम्हे फेसबुक चलना सिखाऊंगा"
"सच्ची बाबू जी"
"और क्या" रोहन के दिमाग में इस लड़की को फाँसने की योजना बनने लगी।
"बाबू जी मैं जा रही हूँ बापू बुला रहे है ना
***


इसी तरह धीरे-धीरे रोहन उससे चैटिंग करता और उसे फांसने के लिए कभी उसके मोबाइल में पैसे डलवाता। कभी उसकी तारीफ़ करता कुल मिलाकर वो अपनी योजना में सफल होता जा रहा था। वो खिलाड़ी था इस खेल का, मॉडर्न से मॉडर्न लड़कियों को फंसाने का हुनर था, कजरी तो फिर भी गाँव की थी। रुड़की में कोई गाँव था उसी में रहती थी। पांचवी पास थी उम्र भी 16 साल। रोहन उसे किसी भी हालत में छोड़ने वाला नहीं था।
"कजरी एक बात कहूँ बुरा तो नहीं मानोगी" रोहन ने मैसेज किया।
"नहीं बाबू जी मैं काहे बुरा मानूंगी"
"मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं"
काफी देर तक कोई जवाब नहीं आया रोहन ने कई बार हैल्लो लिख कर भेजा। मगर कोई जवाब नहीं।
"बाबू जी ये आप क्या कह रहे है हमका यकीन नाही आ रहा" काफी देर बाद कजरी का जवाब आया।
"कजरी मुझे नहीं पता तुम कैसी हो कैसी सूरत है मगर फिर भी मुझे तुमसे प्यार हो गया है क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करती?"
"बाबू जी प्यार हम भी करने लगी हुईं पर हमरी सहेली कहत रही की शहरी बाबू धोखा देते हैं"
"अरे नहीं पगली हर कोई ऐसा नहीं होता मुझ पर यकीन करो" रोहन का फेंका तीर निशाने पर लगा। कजरी ने भी हाँ कह दी थी। रोहन पक्का खिलाड़ी था धीरे-धीरे ही वो आगे बढ़ रहा था।
********

"कजरी मैं तुम्हे देखना चाहता हूँ कि मेरी कजरी कैसी है तुमने तो मेरा फोटो देख ही लिया है मगर तुमने तो मुझे फोटो भी नहीं दिखाया" रोहन ने चैट किया और मीठी सी शिकायत की।
"बाबू जी मुझे फोटो डालना नहीं आता"
"मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ कजरी। मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकता"
"अभी नहीं कुछ दिन बाद बापू कहीं जाएंगे तो मैं बता दूंगी" "ठीक है"
दोनों की ऑनलाइन मुहब्बत अपने ज़ोरो पर थी। रोहन किसी भी हालत में कजरी को पाना चाहता था। पहले मौके पर ही।
कई दिनों बाद कजरी ने उसे मिलने को कहा। रोहन ने भी हाँ कह दी आखिर वो दिन ही गया था जिसके लिए उसने इतना ड्रामा किया था। वो कार में सझ धज कर रुड़की के लिए निकल गया। हीरापुर गाँव के बहार गाड़ी रोक के कजरी का नंबर मिलाया।
"हेलो कजरी कहाँ हो"
"बाबू जी मैं बाग़ में हूँ वहीं आ जाओ" रोहन ने देखा थोड़ा आगे ही आम का लम्बा चौड़ा बाग़ था। उसने गाड़ी वहीं ले जाकर खड़ी कर दी। और बाग़ में घुस गया थोड़ा आगे जाकर ही उसे एक लड़की दिखाई दी। बेहद खूबसूरत थी वो। रोहन ने कहा "कजरी मैं रोहन" कजरी ने गर्दन हाँ में हिलायी। रोहन ने उसे गले लगा लिया। शर्माती हुई कजरी भी उसकी बाहों में सिमट गई।
"तुम बहुत खूबसूरत हो कजरी" 
कजरी शरमाते हुए बोली "बाबू जी आप भी"
दोनों बहुत देर तक बातें करते रहे। रोहन ने कस्मे वादे किये की वो सिर्फ कजरी से ही शादी करेगा।
"कजरी चलो कहीं घूमने चलते हैं"
"कहाँ बाब जी"
"बस वैसे ही सड़को पर"
"मगर बापू आ गए तो...?"
"कुछ नहीं होगा हम जल्दी आ जायेंगे कार से जाएंगे"
"मगर..."
"अगर मगर छोडो आओ" कह कर रोहन ने उसे गाड़ी की तरफ ले गया। और गाड़ी मोहित के फॉर्महॉउस की तरफ मोड़ दी। चाबी उसने पहले ही ले ली थी। पूरा प्लान था।
आधे घंटे बाद गाड़ी फॉर्महॉउस में थी।
"बाबू जी इ हमका कहाँ ले आये?
"अरे कहीं नहीं ये मेरे दोस्त का फॉर्म हाउस है आओ",   मगर बाबू जी... मगर रोहन उसका हाथ पकड़कर अंदर ले गया। फॉर्म हॉउस बिलकुल खाली था। अंदर कमरे में पहुंचकर रोहन ने चिटकनी लगा दी।
"इ का कर रहे हो बाबू जी दरवाज़ा काहे लगा दिया?"
"इतने दिन बाद कजरी तुम मुझे मिली हो मैं तुमसे प्यार करूँगा" इतना कह कर उसने कजरी को बाहों में भर लिया। कजरी कसमसा उठी अपने आपको छुड़ाने लगी" नहीं बाबू जी शादी से पहले नहीं"
"शादी भी हो जायेगी कुछ गलत नहीं है वो अपने होठो को उसके होठो के करीब करता हुआ बोला।
"नहीं बाबू जी ये गलत है हमका घर जान दो" मगर रोहन ने नहीं सुनी उसे तो सिर्फ कजरी का बदन दिखाई दे रहा था। कजरी पूरी कोशिश कर रही थी छूटने की मगर रोहन की पकड़ मज़बूत थी।
"बाबू जी मैं शोर मचा दूंगी"
"शोर मचाएगी हरामजादी शोर मचाएंगी ..एक थप्पड़ उसने कजरी के गाल पर मारा, कजरी के आँख से आँसु बाह निकले। वो धोखा खा चुकी थी। रोहन ने उसकी नहीं सुनी। कमरे में कजरी की चीखे गूँज रही थी। वासना का खेल खेला जा रहा था। वो छटपटा रही थी मगर रोहन पर कोई असर नहीं।
कजरीअपनी इज़्ज़त लुटा चुकी थी।
लुटी पिटी कजरी को रोहन गाँव के बहार छोड़कर चला गया।
********
रोहन नशे में हॉस्टल पहुंचा। कपड़े बदलकर सोने की तैयारी कर रहा था। कजरी से अब चैट का मतलब नहीं था, कजरी को ब्लॉक कर दिया था। तभी दरवाज़े की बेल बजी। उसने दरवाज़ा खोला। वार्डन था।
उसने रोहन को एक लिफाफा दिया। रोहन ने पूछा कौन दे गया है। तो उसने कहा कोई लड़का था आपका दोस्त बता रहा था। दरवाज़ा बंद करके उसने लिफाफा खोला तो... पैरों तले से ज़मीन निकल गयी। नशा उतर चूका था। माथे पर पसीना था हाथ काँप रहे थे। लिफाफे में उसकी और काजल कीे रेप की फोटो थी। रोहन रेप करता हुआ साफ़ दिखाई दे रहा था। फोटो के साथ एक लेटर भी था। उसमें लिख था।
"रोहन मेरे पास तुम्हारे और भी फोटो है ऐसे ही, सोच रहा हूँ फेसबुक पर पोस्ट कर दूँ। मगर मैं नहीं चाहता की कोई शरीफ आदमी बदनाम हो। इसलिए आप बस 5 लाख रुपये लेकर मसूरी के पास एक सुनसान बहुत बड़ा बांग्ला है वहां आ जाओ। तुम्हे ढूंढ़ने में परेशानी नहीं होगी। चालाकी कोई नहीं। कल शाम, अकेले।"
बस इतना ही लिखा था। रोहन के जिस्म से जैसे जान ही निकल गयी हो। वो सोच रहा था की कौन हो सकता है ये जो मुझे ब्लैक मेल कर रहा है। और उसने फोटो कब खींची, दिमाग सुन्न पड़ गया था। मगर क्या हो सकता था। उसने तुरंत 5लाख रूपये का इंतज़ाम किया।
********
अगले दिन शाम को वो बंगले के बहार खड़ा था। मगर उसे कोई नहीं दिखाई दिया। अंदर की तरफ गया उसे एक अपनी ही उम्र का लड़का दिखाई दिया। चेहरे से ही क्रूर दिखने वाला वो शख्स होठो में सिगरेट दबाये उसे ही देख रहा था।
"पैसे ले आए रोहन"
"कौन हो तुम?"
"सवाल नहीं पैसे दो और निकल लो"
"मगर नेगेटिव"
"अभी तो पहली क़िस्त है मिल जाएंगे नेगेटिव" उसके होठो पर ज़हर भरी मुस्कान थी। रोहन समझ गया की वो फंस चूका है।
"तुमने फोटो कैसे खींचे?"
"मुझे पता था तुम यही पूछोगे बताता हूँ" इतना कहकर उसने ताली बजायी अंदर से किसी के आने की आहट सुनाई दे रही थी। रोहन उसी तरफ देख रहा था। उस शख्स ने अंदर कदम रखा।
धड़ाम धड़ाम
रोहन को ये सपना लगा क्योंकि जो अंदर आया था वो और कोई नहीं कजरी थी। यक़ीनन वो कजरी ही थी। जींस टॉप में होठो में सिगरेट थी। बड़ी अदा से चलती हुई वो रोहन के पास पहुंची और धुआं रोहन के मुँह पर छोड़ते हुए बोली
"कइसन हो बाबू" रोहन हैरानी से उसे देख रहा था कजरी तुम...?
"कजरी उर्फ़ नेहा"
"तुम क्या सोचते हो तुमने मेरा रेप किया, नहीं...मैं खुद अपना रेप करवाया...का समझे।

ये मेरा साथी है हम ऐसे तुम जैसो को फंसाते है और ज़िन्दगी भर माल ऐंठते है।"
रोहन उसे एक तक देखे जा रहा था।
"तुम सोच रहे हो हमने ये कैसे किया। सुनो ये मेरा दोस्त पब में तुम जैसे लोगो की कुंडली निकालता है फिर मुझे बताता है मैं किसी भी तरह से उन्हें फंसाती हूँ।
जब इसने तुम्हारे बारे में बताया की तुम तो पहले से ही हरामी हो तो मैंने तुम्हारे फेसबुक पर रिक्वेस्ट भेज दी। तुमने तुरंत ही प्लान बना लिया मुझे फंसाने का। मगर तुम ये नहीं जानते थे की उल्टा तुम फंस रहे थे। गाँव की लड़की की एक्टिंग इसलिए की जिससे तुम्हे मुझे फांसने में आसानी हो और देखो मैं कितनी जल्दी फंस गयी है न।
तुम जब मुझे अपने फॉर्महॉउस पर ले गए थे तभी से ये मेरा साथी हमारा पीछा कर रहा था। मैंने चीखने चिल्लाने की एक्टिंग की और तुम्हे लगा की तुम रेप कर रहे थे।
तभी इसने हमारे फोटो खींचे और तुम्हे भेज दिए।
और कुछ...
"अब पैसे दो और अगली क़िस्त के इंतज़ाम में लग जाओ।
"मगर... मैं... इतने पैसे कहाँ से लाऊंगा?"
"पता है तुम्हारा बाप बहुा अमीर है ,,वहां से लाना"

पैसे देकर रोहन लुटा-पिटा सा वापिस हॉस्टल की तरफ चल दिया। वो तो सोच रहा था की मैं नेहा को ठग रहा हूँ मगर नहीं... ठगा तो उसे गया था। दाव उलटे पड़े थे और ऐसे उलटे शायद ही सीधे हो।


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