नज़रिया महिला मजदूर
नज़रिया महिला मजदूर
हम भी सुबह के चाय पीने निकले ही थे कि कुछ दूर पर कंस्ट्रक्शन साइट्स चल रही थी। आप यकीन नहीं मानेंगे लगभग 10 लोग 25 ×25 कि एक बिल्डिंग तैयार कर रहे है। काम शानदार और तेज तरार मात्र दस लोग, हमारा भी खुराफाती दिमाग पता नहीं कहाँ कहाँ चला जाता है उसमें ज्यादातर लेडिज थी हैरानी वाली बात यह है एक लेडिज को देखा उसके दो बच्चे भी वहाँ मौजूद थे एक दो साल का एक चार साल का दो साल वाला रो रहा था। अब नजारा देखिए उस औरत को गुस्सा नहीं आ रहा बल्कि उसे आभास हो रहा यह भूख से रो रहा है। उसने अपने एक जगह रखे थैले से शायद पराठे निकाले काफी बडे रोता हुआ लड़का धीरे धीरे रोते रोते खा रहा और चुप हो गया औरत दुबारा काम चालू कर दी।
एक लगभग 18 कि लड़की भी उनके साथ थी उसके चेहरे पर सुन्दरता आकर्षण देखे तो सोशल साइट्स पर बादाम दिखाने वाली से कहीं बेहतर है और वह कड़ी मेहनत कर रही थी। इनका ग्रुप ऐसा है कि ईंट बालू सीमेंट मसाला बनना किसी एक पर निर्भर नहीं, कुदाल फावड़ा हो या बेलचा हो अकेले बालू तसले से उठाना आदत सी बन गई है। हैरान रह गए देखकर और शहर कि बात छोड़िये आजकल गाँव में भी जो लेडिज नई नई दुल्हन आ रही या घर पर है बैठे बैठे सोते सोते कमर में दर्द स्किन प्रॉब्लम आदि आदि लगती रहती है। सुविधाजनक घर में भी तो सोचिए यह किस मिट्टी के बनी है।
सबसे हैरान वाली बात यह है कि यह ज्यादातर आदिवासी या st sc महिलाएं है।
और थोड़ा दो अक्षर पढ़ लेने से हम आरक्षण से देश पीछे जा रहा लिखने लगते है। यकीनन भारत में ही नहीं विश्व में अगर कामगार महिलाओं कि गणना कि जाए तो वह आदिवासी st sc समुदाय कि 90% आंकड़ा इन्हीं का है।
और इन महिला लड़कियां को रोज डे से नहीं रोजगार डे मतलब है। इनके हौसले इनकी मेहनत ने लिखने पर मजबूर कर दिया तमाम योजना बनाने वाले डेवलप करने वाले सचिव अधिकार अगर किसी विशेष वर्ग से ना होकर जिस दिन व्यक्तिगत स्वभाव का व्यक्ति जिम्मेदारी सम्भाले उस दिन भारत के विकसित मजबूत होने से कोई नहीं रोक सकता।
मेरा व्यक्तिगत सुझाव यह है
1 इन महिलाओं को कामगार क्षेत्र में Pf जोड़ा जाए जिससे इनके बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो सके।
2 इनका वेतन और कार्य का समय निर्धारित हो समय पर उपलब्ध हो।
2 इनकी प्रीयेड का विशेष ध्यान रखा जाए और महीने में चार कि जगह कम से कम 6 छुट्टी निर्धारित हो।
3 इनका कॉन्टेक्टर यह तय करे कि इनकी मानक सुरक्षा उपकरण उपलब्ध हो।
4 इनके स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जाए साथ में नाजुक स्थिति में आर्थिक सहायता प्रदान किए जाए।
5 उनके बच्चों कि देखभाल आंगनबाड़ी विशेष स्कूल कि एक अलग सर्वे कर देखभाल केन्द्र बनाया जाए।
