मां के बूढ़े हाथ
मां के बूढ़े हाथ
मेरी गरीबी में हंसा जमाना बहुत था !
मेरे अपनों का ठिकाना बहुत था !
मुसीबत में डोर ने तोड़ लिया नाता
पहले अपनों का आना जाना बहुत था !
यूं तो सब बातें पुरानी हो गई !
बचपन के दिन अब कहानी हो गई !
याद कर लेता हूं तस्वीरों में ममता को !
मेरी मां सदा सदा के लिए सो गई !
ना जाने कब वो कहानी पुरानी हो गई !
मेरे बचपन की खुशी जवानी में खो गई !
कभी-कभी लगता मुझे मां मेरे साथ है !
संकट से बचाए लगता सर पे मां का हाथ है !
वो हाथ कब बूढ़ा हो गया खबर नहीं हो पाई !
मेरे बचपन में मां ने खूब चक्की चलाई !
मां के बूढ़े हाथों को पकड़कर पेट पर रखता था !
आंखों में नीर था मगर टपकने नहीं देता था !
इन हाथों ने मुझे सुलाया है !
इन्हीं हाथों ने मुझे स्नान कराया है !
इन्हीं हाथो ने मेरी आंखों को सजाया है !
इन्हीं हाथो ने मुझे राजा बनाया है !
इन्हीं हाथों ने मुझे प्यार दिया है।
इन्हीं हाथों ने मुझे संसार दिया है !
इन्हीं हाथों ने मुझे खड़ा किया है !
इन्हीं हाथो ने मुझे बड़ा किया है !
क्या नहीं किया इन बूढ़े हाथों ने !
कैसे जला दूं इन हाथों को !
इन्हीं हाथों ने मुझे पहला निवाला दिया है !
मां आंगन मेे ममता के बीज बो गई !
ना जाने कब वो कहानी पुरानी हो गई !
मेरे बचपन की खुशी जवानी में खो गई !
खो गई वो रीत जो मां ने बनाई थी !
टूट गई वो नीव जो मां ने लगाई थी !
एक छोटी सी खटिया पर मां सिमटी है !
आज दो गज कपड़े में मेरे मां लिपटी है !
लिपट लिपट कर आंखें मेरी बहुत रोली !
उठ खड़ी हो मेरी मां तू आज बहुत सोली !
आंखें खोल मां देख घर कौन-कौन आए है !
छोड़ गए थे जो बेटे तुझे वो भी आए हैं !
देख तो सही तेरे पास तेरे नाती नाते खड़े हैं !
देख ले आंखें खोल कर मां तेरे भाई आए हैं !
आज मां प्राणों से मुक्त हो गई !
ना जाने कब वो कहानी पुरानी हो गई !
मेरे बचपन की खुशी जवानी में खो गई !