लॉकडाउन
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आज इस मुश्किल समय का 11वाँ दिन है। सुबह रोज़ की तरह हुई, एक प्याली चाय और पत्नी की प्यारी मुस्कुराहट केसाथ... अख़बार आजकल बंद हैं... सो चाय के साथ पत्नी की बातें साथ बैठकर करते सुनते हैं.. रात को क्या सपने दिखे सेलेकर रामायण शुरू हो गयी तक... कहीं जाना नहीं होता इसलिए कुछ भी करने की कोई जल्दी नहीं होती।
घर की साफ़ सफ़ाई.. नहाना धोना और पूजा पाठ करने के बाद.. टी०वी० पर महाभारत के साथ भोजन करने के बाद देखान्यूज़ में तो दिन ब दिन बढ़ते corona संक्रमण के केस देखकर सिहर उठा।
क्यूँ लोग इतनी लापरवाही कर रहे हैं ये समझना मुश्किल हो रहा है। इसी पर श्रीमती जी से डिस्कशन कर रहा था। उनकेस्कूल के सहकर्मी और सर वैगेरा के फ़ोन आने लगे.. वो busy हो गईं। मैं फिर TV की ख़ाक छानने लगा।
शाम को बिटिया की इच्छा प
ास्ता खाने की हुई... मैं उन लोगों में से हूँ जो किचन में जाना पसंद नहीं करते या यूँ कहें कीज़रूरत महसूस नहीं करते। मैंने सोचा आज बिटिया को मैं पास्ता बनाकर खिलाता हूँ। डट गए साहब... और जैसे तैसे पूछ-पाछ कर बना लिया पास्ता... बिटिया ने फ़ोटो ली पोस्ट डालने के लिए। खाया बोली मस्त है पापा। हालाँकि उतना अच्छानहीं था पर उसकी तारीफ़ ने हौसला बढ़ाया। dinner के लिए नमकीन चावल
बनने तय हुए... सोचा ये भी बना डालूँ... श्रीमती जी की guidance में ये शुभ कार्य भी सम्पन्न हुआ।
पहली bite मैंने ही ली... ह्म्म्म्म्म not bad... खाओ... श्रीमती जी ने खाया ह्म्म्म्म ठीक है पर स्वाद वैसा नहीं जैसा तुमबनाती हो। अरे शुरू शुरू में ऐसे ही होता है। धीरे धीरे सीख जाओगे।
Tv चालू है कभी इधर कभी उधर के चैनल देख रहे हैं और समय काट रहे हैं।