लेख
लेख
"क्या तुमने कभी प्रेम किया" तो इसका जवाब मैं बिल्कुल हाँ में दूँगी। हाँ, मैंने प्रेम किया है और हमेशा से करती आई हूँ तथा अपने अंतिम क्षण तक करती रहूँगी। मैं अपने माता-पिता और गुरुजनों से प्रेम करती हूँ, अपने परिवार से,अपने दोस्तों से, अपने देश व इस देश की मिट्टी से प्रेम करती हूँ। फौजी भाइयों से, सभी विद्यार्थियों से, यहाँ की संस्कृति,रीति-रिवाज,भाषा,किसानों से,अपनी लेखनी से,अपनी कलम से,अपनी पाठकों से भी मैं बहुत प्रेम करती हूँ।
अपनी लेखनी के लिए आप लोगों के द्वारा जो सम्मान पत्र दिया जाता है,उन सभी *सम्मान पत्र* से प्रेम करती हूँ क्योंकि इन्हें ही मैं अपनी असली सम्पत्ति मानती हूँ। इस देश के कण-कण से प्रेम करती हूँ, देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीद भाइयों से प्रेम करती हूँ।
लेखनी लंबी हो जायेगी तो मेरे प्रिय पाठकों की संख्या कम हो जायेगी। जो कि मैं बिल्कुल नहीं चाहूँगी इसलिए अब इतने में ही अपनी लेखनी को विराम देती हूँ।