नवल पाल प्रभाकर दिनकर

Children Drama

1.0  

नवल पाल प्रभाकर दिनकर

Children Drama

कुदाल कंगना

कुदाल कंगना

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एक बार एक बिल्ली थी जो कि जाट के यहां ’कढ़ावणी’ का सारा दूध पी जाती थीं। एक दिन जाट ने सोचा क्यों न आज मैं इस बिल्ली को मार दूं। इसलिए वह छुप कर बैठ गया। जब वह बिल्ली आई ओर उसने बिलोवने में मुंह डाला ही था कि जाट ने हाथ में लिए लट्ठ को बिल्ली पर दे मारा। बिल्ली मो बच निकली परन्तु वह बिलोवना टूट गया और उसका ऊपर का घेरा बिल्ली के सिर में टूट कर लटक गया।

अब वह बिल्ली मुश्किल से जान बचा कर गांव से बाहर निकलीं। गांव के बाहर उसने देखा कि एक मुर्गा बाहर खेतों में घुम रहा था। मुर्गे ने जब बिल्ली को देखा तो मुर्गे से रहा न गया और बिल्ली के पास जाकर कहने लगा। मौसी राम-राम। कहां जा रही हो। बिल्ली बोली राम-राम बेटे। मैं गंगा जी पर स्नान करने जा रही हूं। यह सुनकर मुर्गे ने उसके गले गले तरफ इशारा करते हुए पूछा - मौसी ये क्या हैं ? तब बिल्ली बोली, बेटे मेरे गले में यह कुदाल कंगना हैं। फिर मुर्गा कहने लगा कि - मौसी क्या मैं भी तुम्हारे साथ चलूं। बिल्ली बोली चलो बेटा, एक से दो भले। वे दोनों चल पड़े।

आगे रास्ते में चलते हुए उन दोनों को एक मोर मिला। मोर ने भी जब बिल्ली को देखा तो उससे भी रहा न गया। उसने बिल्ली से पूछा - मौसी तुम्हारे गले में ये क्या हैं तथा तुम दोनो कहां जा रहे हो। यह सुनकर बिल्ली ने सोचा आज तो दो-दो शिकार अपने आप मेरे पास चलकर आएं हैं। यह सोचकर बिल्ली बोली - बेटे मेरे गले में यह कुदाल-कंगना हैं तथा मैं गंगा जी नहाने जा रही हूँ। यह सुनकर वह मोर बोला - क्या मैं भी साथ चल सकता हूँ मौसी। बिल्ली तो चाहती ही यही थी कि वह भी साथ चले। बोली हां, बेटे तुम भी साथ चल सकते हो। दो से तीन भले। सभी चल पड़ते हैं।

आगे चलने पर उन्हें एक चूहा मिला। चूहा भी बिल्ली को देखकर पूछ बैठा मौसी राम-राम और तुम्हारे गले में ये क्या हैं ? तथा तुम सभी कहां जा रहे हो। यह सुनकर बिल्ली बोली बेटे मेरे गले यह कुदाल कंगना हैं और हम सभी गंगा जी स्नान करने जा रहें हैं। तुम चाहो तो तुम भी चल सकते हो। चूहा भी उनके साथ हो लिया।

उनके चलते-चलते शाम हो गई। अब तो चारों ओर बादल घिर आए बिजली कड़कने लगी। यह देख बिल्ली बोली चलों बेटों हम कहीं जाकर छुप जाते हैं। एक खाली ’बिटोड़ा’ था सभी उसके अन्दर घुस गए। बिल्ली उसके दरवाजे पर बैठ गई ओर रात का इंतजार करने लगी ताकि रात होते ही वह उन्हें खा सके। कभी वह बिल्ली चूहे की तरफ दौड़ती तो कभी मोर की तरफ ओर कभी मुर्गे की तरफ। यह देखकर मोर बोला मौसी ये आप क्या कर रही हैं। बिल्ली बोली, नहीं बेटा कुछ नहीं। मैं तो तुम्हारे साथ खिलारी कर रही हूँ।

चूहा उसकी इस चालाकी को भांप गया। वह मोर ओर मुर्गे से कहने लगा, यदि आपसे बचा जाए तो तुम बचों मैं तो बिल खोद कर यहां से भाग जाता हूँ। वरना यह हम सबको खा जाएगी। यदि आपसे बचा जाए तो मैं आपको एक तरकीब बताता हूँ तुम वैसा ही करना। ईधर मैं बिल खोद कर उसके अन्दर घुसूंगा। बिल्ली मेरी तरफ झपटेगी तुम दोनों बाहर उड़ जाना।

उन सभी ने चूहे के कहने के अनुसार वैसा ही किया चूहा बिल के अन्दर घुस गया। बिल्ली उसे पकड़ने गई तो मुर्गा ओर मोर दोनों भी बाहर की तरफ उड़ गए। इस प्रकार से बिल्ली को कुछ भी हाथ नहीं लगा। बेचारी चुपचाप वहां पर बैठी रह गई। वह बिल्ली भूख से झटपटा रही थी।


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