कर्म
कर्म
कर्म जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा है जिससे व्यक्ति जो दिल में ठान लेता है उसे करके ही रहता है ।जो कि में इस कहानी में लिखने जा रहा हूं एक नौजवान की आत्मकथा ।
एक राजीव नाम का लड़का, मिडल क्लास फैमिली से था ।लेकिन उसका दिल बहुत ही दयालु और सहनशील था । उसे बचपन से ही गरीबों कि मदद करने का शौक था और वह गरीबों की मदद कर के बड़ा खुश होता लेकिन कुछ ग़लत सोच वाले व्यक्ति थे जो कि राजीव के इस काम का मजाक उड़ाया करते और कहते कि "तू कौन सा करोड़पति है ,तू खुद का पेट तो भर ले दूसरों का क्या भरेगा।" लेकिन वह बोलता की जब हम दूसरों की मदद करेंगे तो खुदा हमारी मदद करेगा । एक दिन राजीव रास्ते से जा रहा था तो उसने देखा कि एक बुजुर्ग व्यक्ति रोड के किनारे बैठा है और अपनी मदद के लिए किसी फरिश्ते का इंतजार कर रहा है ।राजीव दौड़कर बुजुर्ग के पास गया और बोला "बाबा जी आप को कहाँ जाना है?" तो बुजुर्ग बोला "बेटा मुझे मेरे घर तक छोड़ दो मेरे पैरों से चला नहीं जाता।" राजीव ने बुजुर्ग व्यक्ति को अपने कंधे पर बिठाया और चल पड़ा । चलते चलते एक बड़ा सा बंगला आया बुजुर्ग ने कहा बस बेटा मेरा घर यही है । यह देखकर राजीव चकित रह गया । बुजुर्ग ने उसे अंदर बुलाया और कुछ पैसे दिए।लेकिन राजीव ने पैसे लेने से इंकार कर दिया बोला कि बाबा "सेवा करना तो मेरा कर्तव्य है।" फिर राजीव वहां से चल दिया और घर जाकर देखा तो उसकी मां की तबीयत बहुत खराब थी। राजीव मां को हॉस्पिटल लेकर गया । राजीव की जेब में पैसे भी नहीं थे। डॉक्टर ने बताया "ब्रेनहैमरेज हुआ है, ऑपरेशन करना पड़ेगा। जल्द से जल्द ₹50000 जमा कराओ।" अब राजीव बैठकर रोने लगा उसके पास कुछ भी नहीं था।तभी एक व्यक्ति कार से उतर कर आता है।यह वही बाबा थे जिन्हें राजीव ने उनके घर छोड़ा था। बाबा ने देखते ही राजीव को पहचान लिया और उसके रोने का कारण पूछा। राजीव ने बाबा को बताया। बाबा ने कहा बेटा फिक्र करने की जरूरत नहीं है। आपकी मां के ऑपरेशन का सारा खर्च में उठा लूंगा। और बाबा ने उसकी मां की ऑपरेशन के लिए ₹50000 काउंटर पर जमा करा दिए।ऑपरेशन सफल हो गया । बाबा पैसे देकर फिर चले गए।
किसी की मजबूरी का मजाक ना बना ए बंदे, मजबूर लोग ही अक्सर आगे बढ़ा करते हैं ।
सीख : हमें सब की सहायता करनी चाहिए ।क्या पता कोन व्यक्ति कब हमारे काम आ जाए।