कोरोना नाटक
कोरोना नाटक


बहन-मैं घर मे बैठे बैठे पक गयी हूँ। क्यो न कही बाहर चलते हैं।
पिता- नही बाहर जानलेवा कोरोना फैला हुआ है। भाई-इस वक्त घर मे बैठना ही सही है। बाहर कोरोना का खतरा है।
दरवाज़े पर एक व्यक्ति आता है और दरवाज़ा खत खाताता है। माँ ऊपर से झांकती है और पता चलता है कि पानी का बिल आ गया है।
माँ बहन को कहती है- बेटी ज़रा अल्मारिह से मास्क लाना।
बहन-मास्क पहनने की क्या ज़रूरत।ऐसे ही चले जाओ।
पिता-जरूरत है बेटी।मास्क नही पहनोगे तो कोरोना होने का खतरा होता है।
भाई मम्मी से कहता है- दो गज की दूरी में ही रहना मम्मी मम्मी मास्क और दस्ताने लगा कर घर से बाहर निकलती है। वह वहां से बिल ले लेती है।
बहन बिना चप्पल के घर में चलती है।
पिता-अरे यह क्या कर रहे हो तुम। चप्पल पहनो।
बहन-क्यो पापा, घर मे ही तू हूँ।
पिता-याद नही मम्मी अभी बाहर से आई है। मम्मी के चप्पल में कोरोना का खतरा ज्यादा हो सकता है। इसलिए जब तक यह दिसिन्फेक्ट नही हो जाता तब तक चप्पल के साथ चलना है सभी को।
अगला दिन।
बहन-मैं अपने स्कूल को बहुत याद करती हूँ। मैं अपने दोस्तो से एक बार मिल सकती हूँ।
पिता-हाँ, ज़रूर कोरोना खत्म होने के बाद। टैब तक घर मे बैठे रहो , वैसे भी तुम अपने दोस्तों से फ़ोन पैड बाते कर सकते हो।
मैं भी अपने मित्रो को याद करता हूँ पर धैर्य बना कर रखता हूँ। हम ज़रूर कामयाब होंगे।
घर का दरवाज़ा खट खटता है। बाहर फल आए हैं।माँ मास्क, दस्ताने लगाकर बाहर से फल लेकर आती है।
बहन फल को खाना शुरू करने वाली होती है तभी
पिता-यह क्या कर रही हो फल को धुलने तो दो । उसके उपर कोरोना हो सकता है।
जाओ और अपने हाथ दिसिन्फेक्ट करो। हमें हर बीस मिनट पर हाथ धोना चाहिए।