कही फिर से प्यार ना हो जाये
कही फिर से प्यार ना हो जाये
सुबह सूरज की हलकी सी लाल किरण आ के मेरे सेहरे को चमका रही थी। हल्का हल्का हवा ने सेहरे की ऊपर बिखरे बालों से खेलने शुरू कर दिये थे ! माँ ने कब का आके जगा दिए थे मुझको... पर मैं बहत देर तक बिस्तर पे ही लेती रही। आज माँ की आँखो में कुछ अलग ही चमक और ख़ुशी थी ! माँ ने फिर से पुकारा, माजनी, उठ जा बेटा ! और जल्दी से फटाफट रेडी होके आजा ! बिहू के दिन भी कोई थोरी ना इतने देर तक सोते हैं !
हाँ... आयी माँ कहके मैं जल्दी से रेडी हो के आ गयी और सबके पैर छू के आशीर्वाद लिया !
देउता (पापा ) ने मुस्कुराते हुए आशीर्वाद दिया ! वो आज किसी और ही ख़ुशी की रंग मैं भीगी हुई थी ! बेटी की विदाई की प्रारम्भ के सुख मैं !
असम मैं बहुत ही धूमधाम से बहाग बिहू मानाते हैं ! सारी ओर खुशियाँ ही खुशियाँ... हर तरह की पकवान, पिठा, लड्डू बनाते हैं... जिसे देख के ही मन भर उठता है ! लेकिन बिहू के अलावा घर मैं आज चहल पहल की और एक विशेष कारण थी ! कि आज मुझे देखने पहली बार लड़के वाले आ रहे थे ! मेरा मन भी डर के मारे काँप रहा था... न जाने कैसा होगा वो ! जिसके साथ पूरी जिंदगी बितानी होगी !
एक घंटे बाद वो लोग आये... घर की सब ने बहत अच्छे से मेहमान नवाजी करने लगे ! मैं मुगा के मैखला सादर पहन के उनको चाय देने पहुंची ! मैं सबको पसंद आ गयी... और मुझे वो... ! वो सबके साथ हँसके बात कर रहे थे ! पर एक बार भी मेरी तरफ देखी तक नहीं ! अंकल ने कहा, चलो अब लड़का लड़की आपस में बातचीत कर लो भाई ! कुछ ही देर मैं हम सत पे थे ! पर अभी भी वो कुछ नहीं बोल रहे थे ! दूर कही से ढ़ोल के आवाज आ रहा था, साथ ही बिहू गीत भी ! मैंरी मन तो झूमने लगी थी अंदर ही अंदर.. साथ मैं डर भी रही थी !
अनामिका!...उसने बोली.
जी बोलिये|...मैंने कहा
अगर मैं तुमसे शादी नहीं करूँ तो तुम्हें बह़त बुरा लगेगा ना ! हाँ मैं जानता हूँ कि ये इस वक्त की बहुत ही बेहूदा सवाल है ! फ़िर भी ये मेरे लिए ये जानना बहुत जरुरी है !
वो बोलता रहा...और मैं स्तब्ध रहा गया ! जैसे की समय वही पे अटक गया !
लेकिन आप मुझे शादी क्यों नहीं करना चाहती। मैंने उसे पूछा।
मैं किसी और से प्यार करती हूँ..लेकिन यहाँ आके मुझे लगा की मैं तुम दोनों के साथ धोखा कर रहा हूँ ! लेकिन पापा के सामने बोल भी नहीं सकता। क्या तुम मेरी मदत कर सकती हो??
उसके आँखों मैं दर्द था, कुछ खोने का!मैंरी मन आक्रोश से भर उठा... क्या है ये सब...प्यार तो कर लेते है जब निभाने की बारी आति है भागने पर उतर आति है...मुझे बहत गुस्सा आने लगे ! मैंने उसे जोड़ से कहा...अगर आप इतनी सी बात आपके घर पर कह नहीं पायी, आगे जाके अगर मैं आपकी पत्नी बन भी गयी आप मुझे ख़ुश कैसे रख पायेंगे ! थोड़ा हिम्मत बारहाये ! मैं कुछ नहीं कर सकती जो करना है आपको ही करना पड़ेगा ! शायद अब यहाँ बात करके कोई फ़ायदा नहीं ! नीचे चलिए... कह के मैं चली आयी ! सब हमारे जबाब के लिए ही रुके थे ! मैंने हलके से बोले ...आदित्य को आप सबसे कुछ कहना है ! मैंरी बात चुन के सब उसको देखने लगे। वो डरते हुवे अपनी बात बोल दिए। सबका मुँह से जैसे जबान ही गायब हो गयी थी ! अंकल को बहुत गुस्सा आया, देउता ने उन्हें समझाया!वो देउता से माफ़ी मांग के चले गए !
मैं रूम मैं चली आयी... खिड़की से बाहर देखते हुए नाजाने कितने देर तक ऐसे ही बैठी रही|
फ़ोन मैं आती मैसेज की आवाज से यादो से बाहर आयी... देखा तो किसी अननोन नम्बर से मैसेज था ...ऑन करके देखी तो लिखा था ....thank you... अगर तुमने डांटा नहीं होता तो खुदको कभी पहचान ही नहीं पता!पर अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं इस दोस्त को खोना नहीं सहती।
मुझे तुम्हारी दोस्ती मंजूर है ! मैंने भी एक स्माइली इमोजी के साथ मैसेज भेज दिए|
कभी कभी कुछ खो के दिल को सकून मिलती है,, लेकिन आज जो हुवा उसे मैं क्या कहूँगी... सकून या दर्द ! !
और मैंरे घरवाले... उनको क्या कहूँगी...
शायद सबका मन तो टूट गए होंगे... टूटे भी ना क्यों... कितने अरमान सजाके जो रखे थे अपने बेटी के नाम... कही मैंने गलती तो नहीं करना दी ना... शायद वो मैंरे लिए ही बने थे ! ....उफ़.... हजारों सवालों ने दिमाग़ मैं घूम घूम के अटक रही थी...
करू भी तो क्या?? दूरसे ही पल घरवालों की सहरे याद आने लगे... उनलोगो रिश्तेदार सवाल तो नहीं करेंगे ना ... सारी उलझनो को एक तरफ रख के भगवान से यही प्रार्थना करने लगी की मुझे इतनी शक्ति देना की मैं हर परिस्थितियों का मुकाबला करना सकूँ और हमैंशा खुश रहे मैंरे अपने....
फ़ोन को वैसे ही रख के मुँह हाथ धोके एक मुस्कुराहट होठों पे बिखर ते हुए नीचे आयी और जोड़ जोड़ से कहने लगे...अरे भाई किसीको बिहू देखने जाने है की नहीं.. मैं तो जा रही हू. किसीको चलना है तो चलो ! सब मुस्कुराने लगे... देउता ने मैंरे माथे पे हाथ फिराते हुवे कहा.. आज मैं बहुत खुश हू... क्युकी तुम्हे रिस्तो की और प्यार की एहमियत समझ आ चुकी है ! ...मैंने हँस दी... लेकिन हसीं के पीछे मैंने मन मैं ही यह बात छुपा दिए की मुझे उससे प्यार हो गयी थी पहली नजर मैं ही!!...लेकिन मैं किसी पर बोझ नहीं बनना चाहती, ना ही ऐसा प्यार जहाँ कोई हमारे बीच आये ! मैं तो चाहती हूँ ऐसा प्यार जहाँ वो मेरी और मैं उनकी बनके रह जाऊँ !
अरे चलो भाई... मैं फिर से बोली
इतने उतावला क्यों हो रही हो... माँ बोली !
शायद बिहू मैं मुझे भी कोई मिल जाये...मैंने मजाकिया लहरों मैं बोली तो सब जोड़ जोड़ से हस उठे... मेरी आंगन फिर से झूम उठी जो कहीं खो गयी थी परिस्थितियों के दरिया में।
