जल संरक्षण
जल संरक्षण
पंच तत्वों में जल का प्रमुख स्थान है । इसके बिना इस धरती का कोई भी प्राणी जीवित नहीं रह सकता। इस धरती का तीन- चौथाई भाग जल है और हमारे शरीर का भी तीन चौथाई भाग जल ही है। अधिकांश जल हिमखंड ,ग्लेशियर अथवा समुद्री जल के रूप में निहित है, लेकिन यह बताते हुए बड़ा आश्चर्य हो रहा है कि जल का अपार भंडार होने के बावजूद 1% से भी कम जल पीने योग्य है। ऐसे में जल की महत्ता हम सब को समझनी चाहिए। बूँद -बूँद जल का संरक्षण करना चाहिए। इसका अपव्यय भूल से भी नहीं करना चाहिए।
पिछले कुछ वर्षों में बढ़ती हुई जनसंख्या, नगरीकरण, शहरीकरण, वृक्ष की कटाई, खेतों के निर्माण , मील, फैक्ट्री, कल कारखानों के निर्माण के कारन जल की मांग में बेतहाशा वृद्धि हुई है। नदी, तालाब, नहर, कुआं ,बावलियों का निर्माण तो अब कोल -कल्पित हो गई है। अब समय आ गया है कि हमें जल के बूँद -बूँद को बचाना पड़ेगा, नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब बूँद -बूँद जल के लिए हम सब को पानी पानी होना पड़ेगा।
ठीक ही कहा गया है -" जल है तो कल है।"
हमारे देश के महान संत रहीम दास जी को जल के महत्व का आभास बहुत पूर्व भी हो गया था। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि-रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे, मोती मानुष चून।।"
अंत में मैं इतना ही कहना चाहूंगी- " आओ मिलकर अलख जगाएं, जल संरक्षण के महत्व को बढ़ाएं।".
