ज़िंदगी
ज़िंदगी


ये ज़िंदगी क्या हैं ये कोई नहीं जानता कब ये ज़िंदगी कौन सा रंग दिखा दे पता नहीं चलता कभी ज़िंदगी में ख़ुशी ही ख़ुशी दिखती हैं कभी दुःख ही दुःख। आज ये समय में किसी के बारे में आप कुछ कह नहीं सकते कब ख़ुशी दुःख में बदल जा रही हैं पता ही नहीं चल रहा। लेकिन अगर हम खुश रहना चाहते हैं तो खुश रह सकते हैं में अपने इस स्टोरी में ज़िंदगी में लोग कैसे खुश रहते हैं बताना चाहती हूँ...
दोस्तों हमारे पास सब हैं लेकिन फिर भी हम खुश नहीं रहते हमें खुश रहना होगा.. मेरे यहाँ एक मेड हैं जिसके 3 बच्चे हैं उसका पति कुछ नहीं करता वो ना करने की इच्छा होती हैं उसे लेकिन वो औरत अपने 3 बच्चे के लिए घर घर जाकर काम करती और काम भी खुश होकर करती है। उसे लाख दुःख है उसका पति मारता हैं पीता हैं लेकिन उसे कोई फ़रक नहीं पड़ता हैं। वो अपने ज़िंदगी में आगे अपने काम में बढ़ती चली जा रही है और खुश है अपने लिए नहीं अपने बच्चों के ख़ुशी के लिए जबकि जितना दुःख हैं उसके ज़िंदगी में वो जानती है। इस महँगे युग में अकेले ज़िंदगी चलाना मुश्किल हैं वो तो 4 लोग की ज़िंदगी चला रही हैं कभी ऐसी रात भी आती हैं कि बिस्कुट खा कर रात कट जाती हैं लेकिन जब सुबह काम करने आती हैं बड़ी ख़ुशी से से बताती हैं मैंने कल ये खाया फिर में उसे नाश्ता देती हूँ और उसके बच्चे के लिए बनाती हूँ और वो ख़ुशी ख़ुशी काम करके चली जाती हैं.. वो खुश है हर दिन ऐसे ही कट रही हैं वो इसी में अपनी ख़ुशी खोज ली है।
।। यदि आपके पास जो कुछ हैं आप संतुष्ट
और खुश हो तो आप बहुत अमीर हो।।