नवल पाल प्रभाकर दिनकर

Children Drama

2.0  

नवल पाल प्रभाकर दिनकर

Children Drama

जामुन का पेड़

जामुन का पेड़

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‘रवि...., रवि बेटे अन्दर आओ ।

‘आया मां, जरा यह पेड़ और लगा दूं ।‘

‘क्या रवि बेटे तुम भी दिन भर पेड़ लिए फिरते हो ।‘ झल्लाते हुए मां ने कहा ।

‘देखिए ना मां, आज मेरी इस छोटी सी बगिया में फिर से कितने सुन्दर फूल खिले हैं ।‘

‘हां फूल तो बहुत सुन्दर हैं, पर अन्दर जा और अपने हिस्से की जामून खा ले ।‘

रवि अन्दर गया ओर कुछ देर बाद ही जामून लेकर फिर से अपनी बगिया के पास आकर खाने लगा । आज बड़ा सुकून मिल रहा था उसे ।

रवि ने सोचा- ‘क्यों न मैं जामून बोऊं । उससे पेड़ बनेंगे और जामून लगेंगे । मैं ये बीज जरूर बोऊंगा । मन में बड़बड़ाते हुए दो-चार बीज बो दिए । कुछ दिन बाद गेंदे की जड़ों से कई छोटे-छोटे अंकूर निकले । यह देखकर रवि की बांछें खिल उठी । और दौड़ता हुआ मां के पास आकर कहने लगा ।

‘मां, अरी ओ मां देख आज मेरी इस छोटी सी बगिया में कुछ जामून के पेड़ और उग आये हैं ।

मां को इससे कोई खुषी नही हुई, मगर रवि के लिए तो आज जैसे कोई नायाब चीज मिली हो । उसके कदम जमीन पर नही पड़ रहे थे । अब तो रवि हर समय अपने छोटे-छोटे पौधों के साथ ही अपना समय गुजारता । स्कूल से आने के बाद उसका समय दोस्तों के साथ कम और पेड़-पौधों के साथ अधिक गुजरता था ।

‘आज मेरे जामून के पेड़ों में छः-सात पत्तियां हो जायेंगी‘ स्कूल जाते हुए रवि मन में बड़बड़ाया । और स्कूल चल दिया । स्कूल में बार-बार रवि छुट्टी के लिए समय देखता और बेषब्री से छुट्टी का इंतजार करने लगा । आज का दिन मानो दिन न होकर रवि के लिए सप्ताह, महीना वर्ष के समान हो गया था । बार-बार उसकी नजर घंटी की तरफ जाती और समय खत्म हुआ । टन-टन-टन-टन, छुट्टी- छुट्टी- छुट्टी- छुट्टी । थैला उठाया और घर की तरफ दौड़ पड़ा रवि । आज मेरे जामून के पेड़ में छः-सात पत्तियां खिल गई होंगी । मैं उन्हें देखूंगा और उसमें पानी डालूंगा फिर वह बड़ा होगा । फल की कोई चिंता नही है चाहे लगे या ना लगें बस उसकी छाया में बैठकर पढ़ा करूंगा । उसके ऊपर खेला करूंगा । यही सोचते हुए रवि के कदम घर की तरफ तेजी से बढ़ रहे थे । आज तो घर भी मानो उसके लिए कोसों दूर हो गया था, मगर जल्दी ही उसने यह सफर लम्बा होने के बावजूद भी तय कर लिया । घर आते ही एक तरफ थैला बगाया और झट से अपनी बगिया में जामून के पेड़ देखने को दौड़ पड़ा । मगर यह क्या, बगिया में जामून के पेड़ ना देखकर अचानक उसके पैरों के नीचे के जमीन खिसक गई, और चक्कर आने लगे । धड़ाम से जमीन पर गिर पड़ा । कुछ देर बाद उसे होष आया तो अपने आपको बिस्तर पर पाया ।

‘मेरे जामून का पेड़ किसने तोड़े हैं‘ रोते हुए रवि ने मां से पूछा ।

‘बेटा उसे तो बकरी खा गई है । हम घर पर नही थे । वो जाने कब घर के अन्दर घुसी और कब गई । हमें तो उसके बारे में कुछ भी नही पता लगा‘ मां ने सफाई में कहा ।

‘रवि चुप हो गया, मगर जब भी उसे वह बगिया में जामून का पेड़ याद आता है तो उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं । बगिया आज भी है मगर जामून का पेड़ नही है । यदि होता तो वह आज भरा-पूरा पेड़ बन कर लहलहा रहा होता । हाय ! वह जामून का पेड़ ।


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