इश्क़
इश्क़

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सुर्ख है रंग मेरे इश्क़ का
इश्क़ रंगरेज़ से जो किया मैंने
जो न फीका हो,न मैला हो सके
सुर्ख है रंग इबादत का.
तुम्हारे लिए मेरा प्यार और समर्पण इबादत से कम नहीं है तभी तो ये 25 साल,तुमसे दूर रह कर भी गुज़ार लिए मैंने।
आसान तो तुम्हारे लिए भी न रहा होगा,तुम भी तो अपनों की खातिर,अपनों से दूर रहे इतने साल।
जाने किन हालातों में रहे बस तुम्हारी घर गृहस्थी ठीक से चलती रहे,इस लिए।अब जब बच्चे पढ़ लिख गए,अपने पैरों पर खड़े हो गए,तो मेरा तुम्हारा ये सफ़र अपनी मंज़िल तक पहुंचा है।
हम दोनों अब हमसफ़र की तरह साथ साथ जिएंगे,आज जब तुम मुझे लेने आ गए हो तो ज़िन्दगी की तमाम ख्वाहिशें पूरी हो गई।
हम दोनों का हाथ अब कभी न छूटेगा,ये साथ अब कभी न छूटेगा।
रंग हमारी मुहब्बत का सुर्ख लाल जो है।