इंसान की बेबसी

इंसान की बेबसी

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इंसान भगवान की उत्तम रचना है, क्योंकि उसमें सोचने समझने की क्षमता हैं। पैदा होने से बुढ़ापे तक के सफर में उसे अनेकों मुसीबतों से गुजरना पड़ता है, और जीवन भी इसे ही कहते हैं। मरने के लिए साहस की आवश्यकता नहीं होती है, परंतु जीने के लिए साहस की आवश्यकता होती हैं। इंसान की आवश्यकता उससे कुछ भी कराने में सक्षम है और हमेशा रहेगी। बेबसी भी इंसान के जीवन का आधार बन सकती है, क्योंकि बेबस इंसान का फायदा समस्त संसार ही उठाना चाहता है।

इसी बेबसी का शिकार एक लड़का जिसका नाम राम है। बचपन से बड़ा ही भाग्यशाली, परंतु सोलह वर्ष की उम्र के बाद सब बदल गया। वह खेल कूद में अपना भविष्य बनाना चाहता था, परन्तु परिवार ने मना कर दिया और कहा कि अपना ध्यान पढ़ाई में लगाए। उसने अपने परिवार की बात का अनुसरण किया और पढ़ाई करने लगा। दसवीं कक्षा में उसने 88% लाए, अब उसकी इच्छा एक अच्छा इंजीनियर बनने की थी इसलिए वह आईआईटी में जाना चाहता था। इसीलिए उसने ग्यारवीं कक्षा में विज्ञान विषय चुना। अब वो स्कूल के साथ जेईई परीक्षा की तैयारी करना चाहता था, परन्तु परिवार के सदस्यों ने उसकी बात सुने बिना ही मना कर दिया। उसने अपने परिवार के सदस्यों को बहुत समझाया परन्तु उसके हाथ निराशा ही लगी। अब उसनेे परिवार के आगे बेबस होकर अपनी इच्छा का दमन कर दिया। दो साल बाद बारहवीं कक्षा में उसने 86% अंक हासिल किए, परन्तु उसने उन दो सालों में अपने सपनों के बारे में सोचा। अब उसने परिवार के सदस्यों से कहा कि, वह जेईई की तैयारी करना चाहता है, परन्तु परिवार के सदस्यों ने उसे मना कर दिया। लेकिन उसने इस बार परिवार की बात नहीं मानी और ज़िद पर अड़ा रहा। दो महीने गुजर गए पर परिवार नहीं माना, परन्तु उसके जुनून को देख परिवार ने हां कह दिया। एक कोचिंग सेंटर में उसने दाख़िला लिया जो उसके घर से 14 किलोमीटर दूर स्थित था वह वहां साइकिल से जाता। पूरी साल रात-दिन मेहनत की और जेईई मेन्स पास कर लिया परन्तु उसके भाग्य ने जेईई एडवांस में उसका साथ नहीं दिया और वो उसमे फेल हो गया और उसका सपना पूरा नहीं हुआ। परन्तु उसने किसी अच्छे इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय में प्रवेश चाहा परन्तु परिवार की स्थिति ख़राब होने के कारण परिवार ने मना कर दिया और उसका मज़ाक उड़ाया और कहा कि अब उसे कुछ और करना चाहिए। परिवार व अन्य लोगों द्वारा मज़ाक उड़ाये जाने के कारण उसका सपना व मनोबल दोनों ही टूट गए और परिवार का साथ ना मिलने के कारण उसका किसी भी विश्वविद्यालय में प्रवेश नहीं मिल सका। वह परिवार के सदस्यों के आगे बेबस हो गया और परिवार के द्वारा उसे तुच्छ समझा जाने लगा। उसने विचार किया कि उसकी बेबसी का लोग मज़ाक व फायदा उठाते आए हैं, इसलिए वह स्वयं काम करेगा और अपना सपना पूरा करेगा। उसने महसूस किया कि वह स्वयं अपने दृढ़ संकल्प से अपने भविष्य को सुरक्षित करेगा।


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