Aakash Shah

Inspirational

3.5  

Aakash Shah

Inspirational

इमानदारी

इमानदारी

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बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में नदी के किनारे पर एक साधू की कुटिया थी। एक दिन साधू ने देखा की उनकी कुटिया के सामने वाली नदी में एक सेब तेरता हुआ आ रहा है।साधू ने सेब को नदी से निकाला और अपनी कुटिया में ले आए। महात्मा सेब को खाने ही वाले थे कि उनके अंतरमन से एक आवाज आई – “क्या यह तेरी सम्पति है ? यदि तुमने इसे अपने परिश्रम से पैदा नहीं किया है तो क्या इस सेब पर तुम्हारा अधिकार है ?


अपने अंतर्मन कि आवाज सुन साधू को आभास हुआ कि उसे इस फल को रखने और खाने का कोई अधिकार नहीं है। इतना सोचकर साधू सेब को अपने झोले में डालकर सेब के असली स्वामी की खोज में निकल पड़े।थोड़ी दूर जाने पर साधू को एक सेब का बाग़ दिखाई दिया। उन्होंने बाग के स्वामी से जाकर कहा – “आपके पेड से यह सेब गिरकर नदी में बहते-बहते मेरी कुटिया तक आ गया था, इसलिए में आपकी संपत्ति लौटाने आया हूँ।”


वह बोला, “महात्मा, में तो इस बाग़ का रखवाला मात्र हूँ! इस बाग़ की स्वामी राज्य की रानी है।”

बाग़ के रखवाले की बात सुनकर साधू महात्मा सेब को देने रानी के पास पहुंचे। रानी को जब साधू के सेब को यहाँ तक पहुँचाने के लिए लम्बी यात्रा की बात पता चली तो वह बहुत आश्चर्यचकित हुई।उन्होंने एक छोटे से सेब के लिए इतनी लम्बी यात्रा का कारण साधू से पूछा।

साधू बोले, “महारानी साहिबा! यह यात्रा मैंने सेब के लिए नहीं बल्कि अपने ज़मीर के लिए की है। यदि मेरा ज़मीर भ्रष्ट होई जाता तो मेरी जीवन भर की तपस्या नष्ट हो जाती।


साधू की ईमानदारी से महारानी बड़ी प्रसन्न हुई और उन्होंने साधू महात्मा को राजगुरु की उपाधि से सम्मानित कर उन्हें अपने राज घराने में रहने का निमंत्रण दिया


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