हवा
हवा
मैं सुबह सुबह ही सैर के लिए पार्क में आया था। घूमते घूमते आवाज आई। "भाई, तुम भी फेफड़े खराब कर रहे हो।" मुझे बड़ा अचरज हुआ आस पास कोई नहीं था। ये आवाज कहां से आई, कुछ समझ नहीं आ रहा था।फिर आवाज आई , "तुम अपने फेफड़े खराब कर रहे हो" मैंने फिर देखा आस पास कोई नहीं था। फिर आवाज आई, "मैं हवा हूं और तुम्हें बर्बाद कर दूंगी।तुम लोगों ने मेरा सत्यानाश कर के रख दिया है।मुझे पूरी तरह से बीमार कर दिया है।" हवा बोलती जा रही थी, "पहले मैं बिल्कुल साफ थी फिर तुमने अपनी पॉपुलेशन को पिछले 50 सालों में 2 गुना बढ़ा लिया।" मेरे अचरज का कोई ठिकाना ना था।मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था।हवा फिर बोली "बेतहाशा जंगल काटे और मुझे मटमैला कर दिया" फिर सिर्फ खांसने की आवाज आ रही थी। मैंने समझ लिया था कि हवा बोल रही है। मैंने हवा से बात की। मैंने कहा, "हजारों पेड़ भी तो लगाए हैं और शहर के बीचों बीच जो सारी इंडस्ट्रीज थी उन्हें रिहायशी इलाकों से हटाकर दूर ले गए हैं।इससे भी तो पोलूशन कम होगा।" अब हवा फिर बोली, "जितना बर्बाद किया है उसके हिसाब से यह कुछ भी नहीं है।लोगों के पास अपनी प्राइवेट गाड़ियां पहले से 20 गुना बढ़ गई हैं।सरकारी गाड़ियां भी पहले से बहुत बढ़ गई हैं।कितने बड़े-बड़े डिपार्टमेंट के सारे ऑफिस तुम्हारे ही शहर में है।" हवा चुप हो चुकी थी।मेरे पास बोलने को कुछ नहीं था।
अब आप ही सोचिए कि हमने कितना बर्बाद किया है?
