"हमारे शिक्षक और हमारा जीवन"
"हमारे शिक्षक और हमारा जीवन"


शिक्षा का अलख जगाते,
नव सृजन-- नव राष्ट्र बनाते ।
सागर में गोते लगवाते ,
विघार्थियों को मोती बनाते ।
सत्यम् वदं सत् चारितम्,
नैतिकता ,अनुशासन की शिक्षा ।
विस्मृत ना हो संस्कृति हमारी,
ये सब शिक्षक की जिम्मेदारी ।।
एक रहे हम नेक बने हम,
मेहनत की हो कमाई ।
पाप -- कर्म से प्रभू बचाए ,
नित करे औरों की भलाई ।
शिक्षक ने वो पाठ पढ़ाया ,
करे कर्म ,कुछ ऐसा।
मानव जीवन सफल हो जाए ,
रखे ना मन में क्लेश ना दूजा।
जाति - धर्म पर हो ना हिंसा ,
मानवता की मिली शिक्षा।
भले -- बुरे की परख सिखाएं,
दुनिया में पहचान दिलाई ।
अंधविश्वास,रूढ़ियों को जड़ से मिटाए,
भारत को विकसित राष्ट्र बनाए।
संसाधनों की कमी ना आए ,
नव -- निर्माण कर राष्ट्र बनाए।
झूठ ,लालच , पाखंडों से ,
होती है अपमानित शिक्षा
सत्मागो का राह दिखाएं ,
विद्या से अविध्या को मिटाए ।
ज्ञान की बहे अविरल गंगा,
सब तर जाए रहे ना जड़ता ।
पाषाण भी मृदु बन जाए,
करे प्रबुद्ध ऎसी दी शिक्षा ।
आत्म विश्वास , दृढ़ इच्छशक्ति,
साहस , शोर्य और धैर्यता।
समय प्रबंधन,के साथ ही ,
आदर्शवान ,बनने की शिक्षा।
आशाओं के दीप जलाकर,
अवसादों,संतापो को हर ले।
जीवन में लाए उजियारा,
सहज ,सरल,सुगम बना दे जीवन ।।