हिन्दी हमारी जान, देश की शान
हिन्दी हमारी जान, देश की शान
उन्नीसवीं सदी में हिंदुस्तानी भाषा, जो की इंडो- यूरोपियन भाषा थी, उससे दो भाषाओ का मानकीकृत किया गया - हिंदी और उर्दू। हिन्दी अनेक भाषाओ से संघबद्धता का उदाहरण देती है, इसलिए इसे 'एकता की भाषा ' भी कहा गया है। हिन्दी, ना सिर्फ हिंदुस्तान की भाषा है, अपितु ये वो शक्ति है जिसने देश विदेशो में अपने झंडे लहराए है। शून्य से मंगल तक हर आविष्कार दुनिया ने हिंदी भाषा में जाना है। कोरोना महामारी के चलते विदेशी देशो ने 'नमस्ते' अपनाकर सामाजिक दूरी बनाए रखने का सन्देश लोगो तक पहुंचाया। अंग्रेजी में भी कई शब्द हिंदी से लिए गए है, जैसे - गुरु, मंत्र, खाकी और भी कई। हिन्दी भाषी आज भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में छाए है।
महात्मा गाँधी और नरेंद्र मोदी जैसे महान नेता हिन्दी में ही दुनिया से प्रतिरूप हुए। 'स्वदेशी' शब्द का वर्णन अब विश्व प्रख्यात ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी में भी पाया जाता है। हिंदी साहित्य के कई प्रसिद्ध साहित्यकार है जिनकी रचनाएँ अन्य भाषाओं में मुद्रित करवाई गयी और पूरे विश्व में छाई हुई है जिनमे महादेवी वर्मा, भारतेन्दु हरिश्चंद्र, प्रेमचंद और भी कई साहित्यकार है। ना केवल हमारे नेता बल्कि पूर्व यू एस प्रेसिडेंट जॉर्ज बुश ने अमेरिकी राष्ट्रों में हिन्दी को पाठ्यक्रम में शामिल किया। इस अनोखे कार्य के लिए उन्होंने ११४ मिलियन डॉलर निवेश किए और हिंदी को स्नातक पद तक शामिल करके अमेरिका को हिन्दी से जोड़ने का गर्व अनुभव करवाया। आज हिन्दी दुनिया भर के ३४० मिलियन लोगो द्वारा बोली जाने वाली भाषा है।
भारत के अलावा नेपाल, फिजी, मॉरिशस, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो भी अब हिन्दी भाषी देश है। जीवनी चलचित्रो पर अगर प्रकाश डाले तो अरुणाचलम मुरुगनंथम (पैड मैन के नाम से विख्यात) जिन्होंने सबसे सस्ते दामों में दुनिया को सेनेटरी पैड मुहैय्या करवाए, उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी और मशीन की कारीगरी यूनाइटेड नेशन्स में हिन्दी में समझायी। आज वो तकरीबन १०६ देशो में हिन्दी भाषा के ज़रिए लोगो की मदद कर रहे है और सब तक अपना प्रतिभाशाली विचार पहुँचा रहे है।
हिन्दी को सीखने के हिसाब से सबसे सरल भाषा कहा गया है, क्युँकि इसे जैसे लिखा जाता है वैसे ही पढ़ा जाता है। हर वर्णमाला के अक्षर की अपनी अलग ध्वनि है। हिन्दी उन ७ भाषाओं में से है जिनसे वेब एड्रेस बनाये जाते है। दुनिया में सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में हिन्दी तीसरे स्थान पर है।
आज योग का दुनिया में एक अलग ही स्थान है। इसे व्यायाम का उपयुक्त तरीका माना गया है। विदेशो से लोग योग साधना सीखने भारत भूमि पर कदम रखते है और यहाँ आकर यहाँ की स्वदेशी भाषा हिन्दी में ही योग अभ्यास करते है।
हिन्दी ऐसी भाषा है जिसने देश को एक अलग पहचान दी, जिसे दुनिया का हर देशी स्वदेशी समुदाय मान देता है। ये अत्यंत गर्व का विषय है की हम इस भूमि पर जन्मे और इस भाषा की छाँव में पले बढे।
पगड़ी देश की है हिन्दी, नव भारत की जान है।
तुझसे ही पहचान मेरी, तू ही मेरी शान है।