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meera shree

Inspirational

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हौसलों की जीत

हौसलों की जीत

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उस दिन वो मुझे तीसरी बार मिली थी। हाथों में एक बड़ा सा प्रोजेक्ट लिए मैंने उसे देखा तो पूछ ही लिया कहां लेकर जा रही हो यह सब ? तब उसने बोला रसायन विज्ञान वाले कोचिंग में प्रोजेक्ट बनाने को मिला था तो इसिलए बनाये हैं। मैंने पूछा क्या सारे बच्चे बनाकर ले जाएंगे? वह बोली सब तो नहीं लाते और कुछ लाते भी है तो छोटा सा मैंने बड़ा और अच्छा इसलिए बनाया ताकि सबको फायदा हो और दूसरी बात, सर को मेरे प्रोजेक्ट्स बहुत पसंद है और वो उन्हें क्लास में सबसे आगे लगाते हैं।

इतनी सारे बातें हम दोनों की रास्ते में हो गई जब मैं अंग्रेजी की कोचिंग जा रही थी और वो रसायन विज्ञान की। हम दोनों की मुलाकात अँग्रेजी क्लास मे हुई। मैं वाणिज्य की छात्रा थी और वह विज्ञान की तो हम केवल अंग्रेजी क्लास में ही मिल पाते थे।वैसे तो पहले दिन से ही हमारी दोस्ती हो गई थी। दसवी के बाद पहली बार घर से दूर जाकर पढ़ाई करना और एक नए समाज से रू-ब-रू होने का अवसर मिला, समाज में परिचय बढ़ी, सम्मान मिला और नए दोस्त बने। इसी दौरान हमारी मुलाकात हुई थी। चेहरे पर आत्मविश्वास की चमक पढ़ाई के प्रति जुनून और दैनिक जीवन में अनुशासन ने मेरा ध्यान उसकी तरफ खींचा। जब मैंने नाम पूछा तो उसने अपना नाम झिलमिल बताया। शहरी माहौल में भी ग्रामीण परिवेश से आने वाली झिलमिल हमेशा सादे कपड़ों में ही आती और मेरी हालत भी कुछ वैसे ही थी। कुछ हद तक समानताएं हम दोनों में थीं। धीरे-धीरे हमारी मित्रता बढ़ती गई। हम प्रतिदिन अंग्रेजी क्लास में मिला करते थे। वह पढ़ने में काफी तेज थी और हमारी हमेशा से कोशिश रहती थी कि ट्यूशन में कभी उससे कम अंक न आए। ऐसे में पढ़ाई बहुत अच्छी होने लगी, शायद माहौल और उसके संगत का असर था। दिन बीतते गए।उसे सब प्यार करते थे। कभी उसने पढ़ाई के मामले में लापरवाही नहीं की। शायद यही वो कारण था कि सारे शिक्षक उससे प्रभावित थे। साथ ही साथ कुछ अलग बात थी उसमें, जैसे हमेशा दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहना,उसे देखकर एक सुंदर व्यक्तित्व का एहसास होता था। झिलमिल का सुलझा हुआ व्यवहार सबको अपना बना लेता था।अब हमारी और उसकी अच्छी मित्रता हो गई थी। 

एक दिन अचानक मुझे पता चला कि झिलमिल के माता-पिता इस दुनिया में नहीं है और आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। दोस्ती के दस दिन हो गए पर इन बातों का जिक्र झिलमिल ने कभी नहीं किया। उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं होती थी। शायद वो दुनिया से झूठी सहानुभूति नहीं पाना चाहती थी। इन सब बातों से हम उसके और करीब हो गए मेरे दिल में उसके प्रति सम्मान व विश्वास दोनो बढ़ गया। मैंने उस बारे में पूछा तो उसने कहा कि जो तुम सुनी वह सही है। फिर अचानक मेरे मन में सवालों की बाढ़ सी आ गई पर एक भी सवाल हम उससे पूछ नहीं पाए। शायद वह मेरे ज़ेहन में उठते  सवालों को भांप गयी और बोली, कभी चलो मेरे घर तुम्हें अपना घर दिखाते हैं। मैंने तुरंत हामी भर दी।  

एक दिन हम लोग क्लास में पढ़ाई कर रहे थे। अचानक थोड़ी सी बूंदाबांदी होने लगी। मेरे ही बगल में बैठी झिलमिल कुछ परेशान सी लग रही थी। मैंने कारण पूछा तो बोली कि उसके बस्ते यानी कॉपी किताब कहीं भींग ना जाएँ। मैंने पूछा, तुम उन्हें जहाँ घर में रखी हो वहां पानी आता है क्या ? उसने बताया की बारिश में हमारे घर में थोड़ी दिक्कत हो जाती है। मैंने सोचा उसका घर कैसा है जो उसके कॉपी किताब तक सुरक्षित नहीं है ! मैंने पक्का मन बना लिया कि कल उसके साथ उसके घर जरूर जाएंगे।

अगले दिन क्लास के बाद मैं उसके घर गयी। कोचिंग से उसके घर जाने में थोड़ा वक्त लगा। कई गलियों से होते हुए हम उसके घर जा रहे थे। चुंकि हम भी ग्रामीण परिवेश से हैं और पहली बार उच्च शिक्षा के लिए अपने घर से शहर जाना शुरू किया था, तो कुछ भी यदि नया होता तो आकर्षण का कारण बन जाता मेरे लिए और मैं उस पर मंथन करने लग जाती। पूरे रास्ते हम और झिलमिल बातें करते जा रहे थे। इससे हम भावनात्मक रूप से और करीब आते गए। उसने मेरा हाथ पकड़े रखा, ये एहसास अच्छा लग रहा था साथ ही मैं बहुत खुश हो रही थी कि आज मैं उसके घर जा रही हूँ। उसने रास्ते में ही बताया कि उसका घर थोड़ी दूर अंदर गली में है और अभी कच्चा मकान है। घर में बस दादी दो छोटी बहनें और दो छोटे भाई रहते हैं। वो थोड़ी असहज महसूस कर रही थी कि मैं उसके घर को देखकर कैसी प्रतिक्रिया दूंगी। बातों ही बातों में हम घर पहुंच गए। जहां मैंने एक अलग ही दुनिया देखी। घर मिट्टी का था और लंबी सी गली के अंदर था उसके घर के बगल में ही एक बड़ा सा भव्य मकान था जिसके सामने उसका घर बौना प्रतीत हो रहा था। पर इसी छोटे घर में रहती थी खुशियां घर पहुंचते ही उसने मुझे नाश्ता दिया जिसमें कि अपनापन था।

मैंने बहुत बार देखा है कि जो पैसे वाले लोग होते हैं उनके घर वैसी इज्जत नहीं मिलती जितने गरीबों के घर मिलती है। उसका घर छोटा था पर दिल बहुत बड़ा।कहते हैं ना कि "जिनके घर कच्चे होते हैं वह दिल और इरादों के पक्के होते हैं।" झिलमिल मेरी हमउम्र थी। उस दिन उसके जीवन जीने की कला देखकर मेरे अंदर भी एक आत्मविश्वास जगा। समय किशोरावस्था का था और ऐसे में जीवन में जो कुछ भी घटित होता या मिलता है उसका असर ताउम्र रहता है। मैं खुद को खुशकिस्मत मानती हूँ कि मुझे उस समय झिलमिल का साथ मिला। कुछ देर बाद वह मुझे अपने आंगन में ले गई जहां बगल में एक छोटा सा कमरा था और उसी में सारा सामान रखा हुआ था। बारिश के कारण मिट्टी गीली हो चुकी थी और कहीं-कहीं पानी गिर कर एक सीध में दिए का आकार ले लिए थे।वहीं एक तरफ बांस की एक छोटी सी सीढ़ी थी उस पर से होकर हम लोग ऊपर गए जिसे हमारे गांव की भाषा में कोठा कहते हैं। मैंने वहाँ पर देखा कि झिलमिल की सारी पाठ्य सामग्री बड़े ही करीने से संभाल कर रखी हुई है, अपने सारे जीते हुए तमगे और उपहार भी रखे थे उसने। घर मिट्टी का था और ऊपर से छप्पर था मुझे समझते देर न लगी कि झिलमिल बारिश होने पर क्यों फ़िक्रमंद हो जाती है।

एक ही दिन में मैने बहुत कुछ नया सीखा। हम लोग वहाँ से उतर कर नीचे आए पैरों में मिट्टी लग चुकी थी पर वो पल सुखद था। झिलमिल ने मुझे अपने परिवार से मिलाया जिसमें उसकी बूढ़ी दादी जिन्होंने अपने जीवन में ना जाने कितनी तकलीफें देखीं। मोटे-मोटे चश्मे के भीतर से भी उनकी भरी आंखें बहुत कुछ बयां कर रही थीं। मैं कुछ बोल तो नहीं पा रही थी पर बहुत कुछ घटित हो रहा था मेरे मन के अंदर। दादी उन बच्चों के लिए बरगद की छाया थीं, जो उन्हें समेट कर रखी थी जिनमें उनका बचपन पल रहा था। झिलमिल के दो छोटे भाई जो उसके सबसे बड़े संबल हैं उसकी छोटी बहनें है जिनमें सबसे छोटी वाली तो बहुत ही मासूम और प्यारी सी थी। झिलमिल अपने छोटे भाई बहनों के लिए माँ समान थी। एक बड़ी बहन के साथ उसने उन सबके जीवन में सारे किरदार निभाए। कहते हैं न जिम्मेदारियां सबकुछ सीखा देती हैं और झिलमिल तो इसकी सबसे अच्छी उदाहरण थी। थोड़ी देर बाद मैंने झिलमिल से सब कुछ जानना चाहा कि वो मुझे अपनी सारी बातें मुझसे बताये आखिर हम बहुत अच्छे दोस्त बन चुके थे। झिलमिल कुछ देर चुप रही और मुझसे जो बोली उससे उसकी आँखें भर आयीं और मेरा भी गला रूंध गया। बहुत देर तक माहौल शांत रहा किसी को कुछ सूझ ही नहीं रहा था कि क्या बोले। मैं भी झिलमिल को क्या दिलासा देती। मेरे पास शब्द नहीं थे बस उसके लिए प्यार और दिल से इज्जत की भावना उत्पन्न हो रही थी। 

बात तब की है जब झिलमिल मात्र दस साल की थी। पाँच भाई-बहनों में जिनमें झिलमिल सबसे बड़ी और सेजल सबसे छोटी थी।

 जब सेजल दो वर्ष की थी तो माँ इस दुनिया से चल बसी। झिलमिल की तो जैसे दुनिया ही उजड़ गई। जैसे-तैसे करके उसने खुद को संभाला अपने छोटे भाई बहनों के लिए। पर ये इतना आसान नहीं था कहते हैं न माँ प्यार के जैसा दुनिया में कुछ नहीं है। जब भी वो सेजल का चेहरा देखती उसे आँसू के सिवा कुछ नहीं सूझता। कुछ वर्ष बाद पिता ने बच्चों की मर्जी के खिलाफ दूसरी शादी की जो कभी उन बच्चों की माँ नहीं बन पाई। कुछ वर्षों बाद पिता का साया भी झिलमिल के सर से उठ गया।सबसे छोटी बहन को गोद में लिए झिलमिल बेतहाशा रोये जा रही थी। वह पूरी तरह टूट चुकी थी।

रिश्तेदारों ने भी आश्वासन के सिवा कुछ नहीं दिया। बूढ़ी दादी का रो-रो कर बुरा हाल था। ऐसे समय में सबने अपने हाथ खड़े कर दिए। दूसरी माँ भी उन्हें छोड़कर चली गई। घर में बस बीते यादों को याद करने के सिवा झिलमिल के पास कुछ नहीं था। उसकी आँसुओं से भरी आँखों में भविष्य धुंधला नज़र आ रहा था । ऐसे समय में झिलमिल ने खुद को संभाला। उसने परिस्थितियों के आगे घुटने नहीं टेके। ज़िन्दगी के इतने छलावे के बावजूद भी उसने फिर से खुद को उस मुकाबले के लिए तैयार किया। ऐसे समय में जब बड़े बड़ों के हौसले पस्त हो जाते हैं तब झिलमिल ने हिम्मत दिखाई और फिर से उठ खड़ी हुई। उसने दादी और अपने छोटे भाई-बहनों की तरफ देखा जो उसे आशा की नजर से एकटक निहारे जा रहे थे। झिलमिल जीना चाहती थी क्योंकि वह सिर्फ अकेली नहीं थी। इन्हीं सब को देखते हुए उसने एक नई शुरुआत की। उसने बाजार में ठेले पर सब्जी बेचने के लिए बड़े भाई को लगा दिया जो नियमित रूप से वो कार्य करने लगा।

दादी भी उसका साथ देती थीं। छोटा भाई चाट का ठेला चलाने लगा जिसके लिए सारा सामान झिलमिल घर पर ही बना कर देती थी और वह बेचता था। झिलमिल उन दोनों के लिए दोपहर का भोजन भी खुद बनाकर ले जाकर उन्हें देती थी। उसने ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया और अपनी दोनों छोटी बहनों को भी पढ़ाने लगी वह अपने भाई-बहनों को घर पर भी पढ़ाती थी। परिस्थितियों को उसने कभी भी शिक्षा के आड़े नहीं आने दिया। उसे पता था कि शिक्षा के द्वारा ही उसकी स्थिति सुधर सकती है। उसने खुद की भी पढ़ाई जारी रखी। धीरे-धीरे दिन बीतते गए झिलमिल की होशियारी और जीवन जीने की कला देखकर लोग दांतों तले उंगली दबाते थे क्योंकि इतनी छोटी सी उम्र में झिलमिल जो कर रही थी या जितनी समझदार थी वह बड़े बड़ों को उम्र बीतने पर भी नहीं आती। जिंदगी ने समय से पहले ही उसे बहुत कुछ सीखा दिया था। झिलमिल ने धीरे-धीरे सब कुछ अच्छे से प्रबंध किया एक दो कमरे बनवा लिए ताकि वह अच्छे से रह सकें। उसने हाई स्कूल पास की और उच्च शिक्षा के लिए बगल के ही छोटे शहर जो उसके घर से तीन किलोमीटर दूर था जाने लगी, जहां उससे मेरी दोस्ती हुई। पढ़ाई के दौरान झिलमिल की प्रतिभा से सारे शिक्षक इतने प्रभावित थे कि उसके सारे ट्यूशन फीस माफ कर दिए गए। जब तक वह पढ़ी वहां पर प्रथम स्थान पर रही। इंटर पास करने के बाद उसने अपनी छोटी बहन चांदनी की शादी कर दी और माता-पिता दोनों का फर्ज निभाया। झिलमिल एक स्वाभिमानी लड़की है जिसने कभी भी अपने रिश्तेदारों के आगे हाथ नहीं फैलाया और ना ही हर किसी को उसने इतनी निजी पहलू बताए उसने झूठे सहानभूतियों से नफरत है।

अब तक झिलमिल की आर्थिक स्थिति कुछ हद तक अच्छी हो चुकी थी और वह स्नातक विज्ञान विषय से कर चुकी थी। दादी को उसकी शादी की चिंता सताए जा रही थी आखिर वो घर की बड़ी बेटी जो थी। उसके दोस्त उसे बहुत चाहते थे और आज भी वो सबकी चहेती है।एक दिन सत्संग में उसके एक दोस्त ने अपने दोस्त को उसके बारे में बताया जिसका नाम पवन था। पवन ने झिलमिल की सादगी और उसकी गंभीरता को देखते हुए उसके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर पहली बार में ही शादी के लिए राजी हो गया। उसके दोस्त की वजह से झिलमिल की शादी एक भरे पूरे संयुक्त परिवार में हुई। पवन का सार्थक साथ और उसके सहयोग से झिलमिल के जीवन में खुशियों ने दस्तक दी। शादी होते होते झिलमिल ने स्नाकोत्तर कर लिया था और जल्दी ही उसकी नौकरी लग गई। झिलमिल ने अपने ससुराल में भी सबका दिल जीत लिया। आज झिलमिल एक अच्छे पोस्ट पर नौकरी कर रही है और एक सुखमय जीवन व्यतीत कर रही है। आज उसके पास सब कुछ है। उसके जीवन में उसके जीवनसाथी का भी भरपूर सहयोग है जो उसके साथ हर कदम पर खड़े रहते हैं। आज झिलमिल ससुराल और अपने मायके में बहन का ख्याल रखती है दोनों भाई भी अब कुछ अच्छा काम कर रहे हैं। बचपन से लेकर अबतक झिलमिल ने जीवन के कई रंग देखे। उसके जीने का अंदाज ही अलग है। सच झिलमिल अपने नाम की तरह आज कितनों के जीवन में रोशनी बिखेर रही है।

झिलमिल की कहानी प्रेरणादायक है ऐसे लोगों के लिए जो जीवन में आने वाली थोड़ी से भी परेशानियों से घबराकर हार मान लेते हैं। आज झिलमिल संघर्षों से जिंदगी जीतने वाली जीती जागती मिसाल है।


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