गलती का एहसास
गलती का एहसास
विशाल कई घंटे बाजार में चक्कर लगाता रहा और न कोई परेशानी, पर पता नहीं विशाल को क्या सूझी कि वह घर छोड़ भाग निकला। उसकी जेब में थोड़े रुपये थे। सोचने लगा कि क्या काम खोजे क्योंकि वह हाईस्कूल फेल था। उसने अपने उम्र के बच्चों को चाय की दुकानों पर काम करते या भीख मांगते देखा था। उनके बीच अपनी कल्पना कर वह सिहर उठता। उसकी समझ में आया कि पिताजी क्यों चाहते कि वो अच्छे अंको से उत्तीर्ण हो।
हाईस्कूल का परीक्षाफल आया, पर उसका नाम कहीं भी न था। 'घर जाने पर खैर नहीं' इतना तो पता था। रेलवे स्टेशन पहुंचकर, टिकट लेकर गाड़ी में बैठ गया । पास के नगर में उतरकर भटक रहा है। चाय की दुकान में कुछ खा-पीकर विशाल फिर चल पड़ा। चलते-चलते उसे पुस्तकालय दिखा और उसी में घुस दैनिक समाचार उलटने-पलटने लगा। उसकी नजर अचानक विज्ञापन पर पड़ी जिसमें उसकी फोटो के नीचे लिखा था 15 वर्ष का लड़का, नीली पैंट शर्ट पहने दिनांक 02.01.22 से लापता है, पहुँचाने वाले को पुरस्कार दिया जाएगा। 'प्रिय विशाल तुम्हारे माता-पिता बहुत व्याकुल हैं, तुरंत घर चले आओ।' कोई पहचान न ले इस भय से वह पुस्तकालय से चल दिया। चलते-चलते बरगद के समीप उसे एक ज्योतिषी मिले। ज्योतिषी ने उसके लाल चेहरे और मुँह पर चिन्ता देखी तो समझ गये कुछ गड़बड़ है। उन्होंने कहा ' गलत कर रहे हो, रास्ता बदलो तभी सुख पाओगे।' विशाल समझा कि ज्योतिषी ने हाथ देख बातें बता दी। उसने पूछा -' पिताजी नाराज तो न होंगे।' 'पिताजी के पास जाकर माफी माँगो और सही कदम उठाओ। उन्हें सुख मिलेगा और तुम भी कुछ बन जाओगे'-ज्योतिषी बोला।
उन्होंने तो सामान्य बात कही, पर संकट की इस घड़ी में विशाल को लगा कि वह महान ज्योतिषी हैं और उनकी बात मानने में ही भलाई है। उसने पचास रुपये ज्योतिषी को दिये और स्टेशन पहुँच, टिकट लेकर गाड़ी में बैठ गया। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। वह पिताजी से क्षमा मांग, उनकी आज्ञा का पालन कर, अब उनकी आशाओं के अनुरूप बनना चाहता था।
