घोसला यादो का
घोसला यादो का
बारिश के दिनों में अपने बाग में घूम रहा था। तब मैंने देखा पारिजात के पेड़ पर चिड़िया घोसला बनाने की शुरुआत चल रही थी। दो पत्ते उसने कुछ
धागे लाकर बांध दिये थे। वो पिले रंग की चिड़िया थी। बारिश की दिन वह कुर्ष्णकमल के बेल पर रात निकाली। यह देखकर में मुझे लगा ये क्या हो रहा है
चिड़िया वही थी। उसने वहाँ जल्द ही अपना घोसला बनाना शुरू कर रही थी। मैं समझ गया वह दिन भर कहीं कहीं से लकड़ियाँ लाकर अपना घोसला बुनकर तैयार कर रखा।
जब मैं घोसले के अंदर देखा तो ब्राऊन कलर अंडा था। यही अब कुछ दिनों में हमारे घर के बाग में चिड़िया के बच्चे की चहचहाहट सुनाई देगी। मुझे अच्छा लगा ।
वो चिड़िया दिन भर आवाज कर कर खुद का वजूद दिखाती है। उसने घोसले का डिज़ाइन जो बनाया वह दो पत्ते मिलाकर बहुत ही शानदार बनाया है। वह कम ही दिखाई देती है। सारे कार्य अकेले ही करती थी अब उसका परिवार होगा मुझे अच्छा लगा। इंसान भी इसी तरह अपना घर बनाता है। उस में अपना
परिवार संसार सजाता है। जब बच्चे बड़े होकर घोसले से उड़ कर अपने रास्ते लक्ष्य की ओर निकल कर आगे बढ़कर नाम करते है। याद रह जाती है सिर्फ उन दिनों की। चिड़िया का परिवार बच्चे को सबकुछ सिखायेगी आकाश में उड़कर जीवन की हर उड़ान भरने की तरकीब सिखाएगी।
“ उड़ जाते है पंछी घोसला बनाकर
रह जाती है यादें दिल में बसकर ,,
मेरा अनुभव चिड़िया का स्वाभिमान ……
घोसला बनाकर सजा दिया है चिड़िया ने
अब खुशियाँ ही खुशियाँ है सावन के महीने में
सावन बरस बरस रहा है
आंगन में फूलो की महक अभी ताजा है।
कभी तो सावन बरसता है।
बरसते सावन में मन झूमता है।
आओ फिर से झूमे सावन में
सदियाँ बीत जाए इन लम्हों में।
