गांवों की होली
गांवों की होली
शहरों में होलिका दहन हो गया। गांव में होना बाकी है। गांव मे लोग अपना अपना घर,कंडा,लकड़ी रखाते हुए पूरे गांव का रखाते थे, साथ में पूरी नजर होती थी किसके यहां कहां लकड़ी है और कहां रखाने वाला।
यहां तक कि छप्पर का पूरा ध्यान रखते थे।सब लोग रखाते थे, उसी में से कोई सज्जन रखाने वाले का कंडा लकड़ी होलिका में रख आता था।
सुबह रंग बिरंगे गुलाल के साथ नाली और घूर को घूर घूर तक देखते थे। ""थोड़ा लिखना,बहुत समझना""
"मंजिल करीब आई,तो एक पांव कट गया
चौड़ी हुई सड़क तो मेरा गांव घट गया।"
