एकता में बल है ---
एकता में बल है ---
एक दिन, हरिपुर गांव के मधु सर जो कि एक सेवानिवृत्त शिक्षक है, गाँव में दादा जी के नाम से जाना जाते थे। एक दिन मधु सर ने छोटे छोटे बच्चों को बुलाया, और कहा, “अरे मेरे प्यारे बच्चों, मेरी बात सुनो।
दादा जी के शब्दों को सुनकर, गाँव के बच्चों ने उत्साह से पूछा , " हमे बताओ दादा जी आप क्या कहना चाह रहे थे । बच्चों की रुचि देखकर, दादा जी खुश हो कर बोले " क्या आप जानते हैं कि असली ताकत एकता में ही है?" बच्चों ने मना कर दिया, और दादा जी से इस बारे में जानने की इच्छा प्रकट किया ।
दादा जी बच्चों को ले कर गांव के एक चबूतरे पर बैठ गए और 'एकता में ही ताकत है ' इस बारे में उन्होंने बच्चों को एक सच्ची कहानी पर आधारित कहानी सुनाई।
ओडिशा के ज्यादातर इलाके पहाड़ों से घिरे हुए है । ऐसा ही एक पहाड़ी गाँव है और गांव के शेष में एक घना जंगल सटा हुआ है । प्रतिदिन चरवाहों द्वारा गांव के सारे भेड़, बकरी, गाय और भैंस उसी जंगल को चरने के लिए जाते थे ।
एक दिन की बात थी । भैंस के झुंड में से एक भैंस बाहर आने पर दो शेर उसे अकेले में पा के अचानक उसके ऊपर हमला करने लगे । भैंस बेचारा चिल्लाने के अलावा और कुछ कर भी नहीं सकता था । शेर के चंगुल से जितना बच सकता था, उतना बच नहीं पाया।
कुछ दूरी में चर रहे साथी भैंसों ने उसकी चीखें सुनीं और तुरंत सब की सब दौड़ पड़े । अपने सरल निर्दोष साथी को शेर की चंगुल में देख के जीवन की परवाह किए बिना अपने निरीह उस साथी भैंस को बचाने के लिए साहस जुटाया।
शेरों ने हमला करना शुरू कर दिया । एक छोटी सी लड़ाई के बाद, शेर दो हार मान गए और जंगल की तरफ भागने के लिए मजबूर हो गए।भैंस की रक्षा हो गई।
" भैंस कोइ हिंस्र जानवर नहीं है । पर वक्त पड़ने पर अपनी रक्षा की खातिर एकजुट हो के सामने हमलावर का मुकाबला कर पाए । जिस वजह से भैंस का जीवन रक्षा हो पाया । उनकी एकता ने निश्चित रूप से उन्हें खतरे से बचाया।"
"बच्चों देखा तुम लोग..., एकता में ही असली ताकत है क्योंकि शेर ने सोचा था कि एक ही भैंस है । इसलिए उसको शांति से हरा सकते हैं। लेकिन भैंसों की झुंड ने एकता की ताकत दिखा के शेर जैसे महा पराक्रमी जंगल का राजा को भी इस प्रक्रिया में हरा के आत्मसमर्पण करवा दिया था ।"
दादा जी ने बोले यह...
इसलिए बच्चों, अगर तुम हमेशा मिलकर एक मन और एक आत्मा के साथ दुश्मनों का सामना करते हो, तो तुम कभी भी अपनी जान नहीं गंवाओगे।
साथियों के साथ व्यवहार कैसा भी हो, दुश्मन से लड़ते वक्त वो सब भूल के मिलजुल के दुश्मनों का सामना करना चाहिए । तभी तुम नहीं हारोगे कभी भी ।
इसलिए एक कहावत है..
एक से भले दो
जो काम एक से नहीं होता वो काम दो लोगों से बहुत अच्छे से आसानी से हो जाता है
दादा जी की कहानी बच्चों के मन में गहराई से समा गई थी। सभी बच्चों ने दादा के साथ हाथ मिलाया और शपथ ली आज से, वे गाँव के प्रत्येक परिवार का दौरा करने और एकता के पवित्र मंत्र का प्रसार करने के लिए एकजुट होंगे ताकि सभी असंभव चीजें सभी परिवारों, समाज, राज्यों और राष्ट्रों में की जा सके। हम एक सुंदर समाज का निर्माण कर सकें।