Ritu Bawa

Drama

4.6  

Ritu Bawa

Drama

दूसरा रास्ता

दूसरा रास्ता

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रवि जब से अपना पेपर देकर आया था अपने कमरे में बंद था। उसने तब से कुछ खाया-पिया भी नहीं था। रमा बीच-बीच मे जा कर उसको देख आती थी उसने अखबार में रोज बच्चों के खराब पेपर होने पर बुरी-बुरी खबरें पड़ी थी कि उसका मन भयभीत हो रहा था। उसने रंजन को जल्दी घर आने के लिए फोन कर दिया था। उसके मन मे रवि के लिए मां की ममता भर-भर कर बाहर आ रही थी और दिल चाह रहा था कि वह बिस्तर पर ओंधे पड़े रवि के सिर पर हाथ फेरे और अपनी छाती से लगा ले। उससे बोले,"मेरे लाल कोई बात नही, तू चिन्ता मत कर सब ठीक हो जाएगा।'रमा ऐसा कर नहीं सकती थी उसे मालूम था कि वह उसे पसंद नहीं करता है वह बार-बार घड़ी देख रही थी। रंजन को फोन करने के लिए उसने फोन उठाया ही था कि दरवाजे की डोर बेल बज गई। वह लगभग दौड़ते हुए दरवाजा खोलने के लिए उठ गई।रंजन को देख कर धीरे से बोली," कितनी देर लगा दी आपने ?"

रंजन ने लंच बॉक्स और कंप्यूटर बैग उसके हाथ में पकड़ाया और रवि के कमरे की ओर बढ़ गया। रमा ने कमरे में धीरे से झांका तो देखा कि रवि रंजन की गोद मे सिर रख कर रो रहा था। उसकी आंखें भर आई पर साथ ही इत्मीनान भी हुआ कि रंजन उसको संभाल लेगा।

रंजन वास्तव में ही सुलझे स्वभाव के शांत व्यक्ति हैं।वह रंजन की दूसरी पत्नी है उनका पहला विवाह मल्लिका से हुआ था। मल्लिका बहुत ही सुंदर और आधुनिक महिला थी उसे विवाह में दिलचस्पी नहीं थी परंतु अपने माता-पिता के दबाव में उसने विवाह कर लिया था। शादी के तुरंत बाद हीं वह गर्भवती हो गई थी जब तक उसने फैसला लिया कि वह अबॉर्शन करवा लें तब तक काफी देर हो चुकी थी ।रवि के जन्म के एक महीने बाद ही एक दिन वह उसे आया के भरोसे छोड़ अपने गहने और पैसे ले कर भाग गई थी। रंजन ने अपनी माँ के साथ मिल कर रवि को संभाला पर जब वह दो साल का था तब मां इतनी बीमार हो गई कि उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया और तभी उन्होंने जिद्द कर के रंजन को शादी के लिए तैयार कर लिया। रमा गरीब घर की थी और अपनी सौतेली माँ के जुल्मो से दुःखी थी।इसलिए जब शादी करके आई तो नन्हे रवि पर उसने खूब प्यार लुटाया पर जैसे-जैसे वह बढ़ा होता गया उसने रमा से दूरी बनानी शुरू कर दी।शायद आस-पड़ोस के लोग या रिश्ते दारों ने उसके कान भरने शुरू कर दिए थे।

रमा को रवि की चिन्ता थी इसलिए उसने अपने कान दरवाजे पर लगा दिए। रंजन रवि को समझा रहे थे।"बेटा हर समय हमारे पास दो रास्ते होते है पहला सामने होता है दूसरा हमेशा बाद में आता है,इसलिए हम पहले रास्ते को चुनते है क्योंकि हमें वो आसान लगता है पर बेटा, दूसरे रास्ते को भी चुनना पड़ता है अगर हमें आगे बढ़ना है वरना हम पीछे रह जाएंगे।भगवान ने हम इंसानों को बुद्धि दी है कि हम इसका उपयोग कर सके। तुम बाकी के पेपर पर ध्यान लगा कर मेहनत करो। (कुछ देर चुप रहने के बाद उन्होंने दुबारा बोलना शुरू किया)हमारे हाथ मे होता है कि हम परिस्थितियों को बिगड़ने दें या उसे संभाल लें....मैं जानता हूँ कि रमा को तुम पसंद नहीं करते पर कभी सोचा है कि मल्लिका के जाने के बाद मैं हार मान लेता तो क्या होता। मैंने और तुम्हारी दादी ने हार नहीं मानी क्यों...? हम तुमसे प्यार करते थे इसलिए रमा को ले कर आए ताकि वह तुम्हें मां का प्यार दे सके। तुम्हें वो पसंद नहीं.....।""नहीं पापा, मां बहुत अच्छी है,मुझे वो बहुत प्यार करती है बस मैं आपने से नाराज था।" रमा अपने को रोक ना सकी और जल्दी से अंदर आ गई और उसने मुस्कराते हुए रवि को गले लगा लिया। वह भी उसके गले से लग गया। मां से इतने दिन की दूरी से पैदा हुई गहराई को खत्म जो करना चाहता था।


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