दोस्ती
दोस्ती
दो बहुत गहरे दोस्त थे सोनू और अनिल सोनू अनिल के बिना नहीं रह सकता था और अनिल सोनू के बिना नहीं रह सकता था दोनों की दोस्ती इतनी घनिष्ठ थी कि कोई भी उसमें नहीं बोल सकता था।
सोनू समझदार बालक था वहीं अनिल शरारती और नटखट बालक था अनिल हमेशा दूसरों को परेशान किया करता था सोनू अनिल की इस आदत से बहुत परेशान था वह चाहता था कि अनिल यह आदत छोड़ दें लेकिन अनिल सुधरने का नाम नहीं ले रहा था दोनों हमेशा साथ रहते थे जब सोनू को अनिल की जरूरत होती तो बिना कुछ कहे अनिल पहुंच जाता था और अनिल को जरूरत हो तो सोनू आ जाता था।
दोनों बिना कुछ कहे एक दूसरे की बात समझ जाया करते थे उनके घर में भी उनकी दोस्ती को लेकर किसी को कोई परेशानी नहीं थी दोनों हमेशा एक दूसरे के साथ हमेशा खड़े रहते थे लोगों ने बहुत कोशिश करी उनकी दोस्ती तोड़ने की लेकिन कामयाब नहीं हो पाए वह दोनों इतने ही घर घनिष्ठ मित्र थे कि कभी कबार उनकी लड़ाई भी हो जाया करती थी लेकिन थोड़ी देर में फिर वह साथ घूमना हमेशा की तरह रहने लग जाते थे सोनू अनिल की आदत थी जो बिना वजह दूसरों को परेशान करने की।
उसको सुधारने के लिए एक दिन दोनों हमेशा की तरह घूमने गए वहां उनकी किसी बात को लेकर लड़ाई हो गई लड़ाई इतनी बढ़ गई कि सोनू ने अनिल को धक्का देकर नीचे गिराना चाहा लेकिन जैसे ही अनिल नीचे गिरने ही वाला था तभी सोनू ने हाथ खींच कर अनिल को बचा लिया और नीचे नहीं गिरने दिया तभी अनिल पूछता है कि पहले तो तू ने मुझे धक्का दिया फिर हाथ खींचकर क्यों बचा लिया तभी सोनू से उत्तर देता है कि तू मेरा बचपन का दोस्त है मुझे तेरी हर अच्छी बुरी बात पर मैं तेरे साथ रहता हूं लेकिन जो तूने आज किया वह सही नहीं था।
हम किसी बेकसूर निर्दोष जानवर को नहीं मार सकते मुझे तेरी यह बात बिल्कुल अच्छी नहीं लगी इसीलिए मैंने तुझे केवल एहसास कराया कि जब जान पर आ जाती है तो कैसा लगता है वैसे ही जानवर भी बेजुबान बेकसूर होते हैं हम उन्हें बिना बेवजह परेशान करेंगे तो यह सही नहीं है वह बोल नहीं पाते तो क्या हुआ उनको भी दर्द होता है दर्द कोई भी हो चाहे जानवर हो चाहे इंसान हो किसी से सहन नहीं होता इंसान तो बोल कर अपना दर्द बता देते हैं लेकिन जानवर वह तो किसी को कुछ बोल भी नहीं पाते यही बात को मैं तुझ को समझाना चाहता हूं।
कभी भी बेकसूर बेजुबान लोगों को परेशान नहीं करना चाहिए बेजुबान बोल नहीं पाते तो क्या हुआ उनके पास भी तो दिल है वह उसी दिल से दुआ और बद्दुआ देते हैं इसी बात को हमें समझना है यह बात हुई वह मुझे अच्छी नहीं लगी तो मैंने गुस्से से तुझे धक्का दे दिया और जब तू गिरने लगा तो मैंने तुझे नहीं गिरने दिया क्यों क्योंकि तू मेरा सबसे अच्छा दोस्त था मुझे वह साथ बिताए हुए पल साथ खेले हुए खेल सब याद है उसी प्रकार जानवरों का एक समूह होता है अगर उसमें से किसी को जरा सा भी परेशानी हो तो सभी जानवरों को बराबर दुख होता है। वह भी एक अच्छे दोस्त होते हैं हम कहकर समझते हैं और वह बिना कहीं समझते हैं हमेशा क्रोध से नहीं होती प्यार से बड़ी बड़ी चीजें आसान हो जाती और गुस्से से असम चीजें भी नामुमकिन हो जाती है। दोस्त जो अपना सच्चा होगा वह गुस्सा भी करेगा उसके बाद मनाने भी आएगा लेकिन जो दोस्त नहीं होता है कितना नाराज होने पर मनाने नहीं आता है यही सब बातें सोनू ने अनिल को समझाइए तभी अनिल ने कहा आज से मैं किसी को परेशान नहीं करूंगा और ना ही किसी पर क्रोध करूंगा। जितना हो सकता है मैं दूसरों की मदद करूंगा दोनों की बातें ही पर खत्म हो जाती है और सोनू और अनिल दोनों गले में हाथ डालकर घर की ओर चले जाते हैं।
